अमेरिकन एक्सचेंज

American Option- अमेरिकन ऑप्शन की परिभाषा
अमेरिकी विकल्प यानी अमेरिकन ऑप्शन की परिभाषा
अमेरिकन ऑप्शन (American Option) डेरिवेटिव अनुबंध होते हैं, जिनमें ऑप्शन के जीवनकाल में अनुबंध को भुनाने का विकल्प होता है। आसान भाषा में समझें तो अमेरिकन ऑप्शन में ऑप्शन खरीदने वाले के पास अपने ऑप्शन को कभी भी एक्सरसाइज करने का अधिकार होता है। इस ऑप्शन में सेटलमेंट उस समय की कीमत के आधार पर होता है, जब खरीदने वाले ने ऑप्शन को एक्सरसाइज किया, न कि उस कीमत पर जो एक्सपायरी के दिन होती है। यह यूरोपीय विकल्प के विपरीत है। यूरोपियन ऑप्शन में खरीदार को अपना ऑप्शन एक्सरसाइज करने के लिए नियमित रूप से ऑप्शन की एक्सपायरी तक इंतजार करना पड़ता है।
विवरण:
किसी कॉन्ट्रैक्ट को उसकी मैच्योरिटी से पहले या मैच्योरिटी के दिन भुनाने की अनूठी विशेषता इसे ट्रेडिबिलिटी का अतिरिक्त फायदा देती है। इस खास फीचर के कारण यह ट्रेड एक्सचेंज पर सबसे अधिक कारोबार किया जाने वाला विकल्प है। यह प्रकृति में अत्यधिक तरल है। आपको बता दें कि इस ऑप्शन के नाम में अमेरिकन होने से इसका लेनादेना किसी खास भौगोलिक क्षेत्र या किसी भौगोलिक नाम से नहीं है।
एक्सचेंजेज, अलुम्नी, शिक्षा
प्रतिवर्ष भारत में अमेरिकी दूतावास लगभग 300 लोगों को विभिन्न अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रोफेसनल, अकादमिक, और सांस्कृतिक एक्सचेंज कार्यक्रमों के अंतर्गत हाईस्कूल के छात्रों से लेकर मध्य करियर प्रोफेसनल्स को एक सप्ताह से लेकर दो साल की अवधि के लिए भेजता है। इनमें से कुछ विश्वव्यापी कार्यक्रम हैं जिन्हें अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के एजूकेशनल एंड कल्चरल अफेयर्स (ईसीए) ब्यूरो द्वारा प्रायोजित होते हैं, और अन्य क्षेत्रीय कार्यक्रम हैं जो साउथ और सेंट्रल अफेयर्स ब्यूरो द्वारा वित्त पोषित होते हैं, और अन्य मिशन इंडिया के लिए विशेष होते हैं। इन एक्सचेंजेज कार्यक्रमों की और जानकारी यहां प्राप्त करें। मिशन की एक्सचेंजेज टीम भूटानी एक्सचेंज भागीदारों तथा कांग्रेस द्वारा अनुमति प्राप्त तिब्बती स्कॉलरशिप कार्यक्रम का भी समन्वय करती है। (2017 तिब्बती स्कॉलरशिप प्रोग्राम (टीएसपी) अनाउंसमेंट के लिए यहां क्लिक करें)। अमेरिका-भारत एजूकेशनल फाउंडेशन (यूएसआईईएफ) हमारे द्विराष्ट्रीय अमेरिका-और भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित फुलब्राइट-नेहरू अकादमिक फैलोशिप का अलग कार्यान्वयन करता है। एक्सचेंज कार्यक्रमों के बारे में अधिक जानकारी के लिए तथा उनकी पात्रता की कसौटी तथा नामांकन प्रक्रिया, या नए कार्यक्रम का सुझाव देने के लिए कृपया हमें [email protected]. पर ईमेल करें।
अलुम्नी कार्यक्रम
एक्सचेंज कार्यक्रम में भाग लेना एक बार का कार्य नहीं है, बल्कि विचारों का आदान-प्रदान भागीदार के जीवनभर जारी रहता है। अमेरिकी सरकार द्वारा प्रायोजित एक्सचेंज कार्यक्रमों में लगभग 16,000 अलुम्नी वाला, भारत दुनिया में सबसे अधिक विविधतापूर्ण अमेरिकी सरकार के एक्सचेंज अलुम्नी समुदाय वाले देशों में एक है। (किसे अलुम्नी (पूर्व छात्र) माना जाए यह जानने के लिए यहां क्लिक करें।) वर्षों से सैकड़ों पूर्व एक्सचेंज कार्यक्रम के भागीदार भारत में महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचते रहे हैं, इनमें चार प्रधान मंत्री, दो राष्ट्रपति, कई मंत्री और विधायकों के साथ-साथ मीडिया, नागरिक समाज, और बिजनेस क्षेत्रों के लोग सम्मिलित हैं।
यदि आप हमारे एक्सचेंज कार्यक्रमों के पूर्व छात्र है, यह देखने के लिए आप किस प्रकार इस समुदाय में शामिल हो सकते हैं हमें [email protected] पर ईमेल लिखें।
जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं और लड़कियों के सशक्तीकरण पर केंद्रित परियोजनाओं को लेकर 2016 में भारत के पूर्व छात्रों के दो समूह वार्षिक अलुम्नी इंगेजमेंट इनोवेशन फंड में भाग लेने के लिए चुने गए अमेरिकन एक्सचेंज थे।
फोटो परिचयः कम्युनिकेशंस वर्कशॉप के लिए तिब्बती स्कॉलरशिप प्रोग्राम के पूर्व छात्रों के साथ एक्सचेंजेज टीम (मई 2016)
उच्च शिक्षा प्रोत्साहन, संस्थानिक संपर्क, और नीति समर्थन
मिशन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में आर्थिक, वैज्ञानिक, और शैक्षिक रिश्तों पर बल देते हुए द्विपक्षीय संबंधों में सुधार करना है। भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी उच्च शिक्षा प्रणाली है तथा छात्रों को अमेरिका भेजने वाला चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है। मिशन ने बहुत से एक्सचेंज छात्रों, संस्थानिक भागीदारियों, और अमेरिकी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए अवसरों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है।
उच्च शिक्षा विभाग, भारतीय भागीदार संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाने हेतु अवसरों पर विचार-विमर्श अमेरिकन एक्सचेंज करने के लिए विश्वविद्यालय अधिकारियों, प्रशासन, और फैकल्टी से नियमित भेंट करता है। नई नेशनल एजूकेशन पाॅलिसी के मसौदे सहित यह भारतीय उच्च शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तनों का भी अनुपालन करता है।
मिशन का पब्लिक अफेयर्स, कांसुलर, और विदेश वाणिज्यिक सेवा विभाग अमेरिकी उच्च शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए साल भर निकटता से कार्य करते हैं, विशेष रूप से स्टूडेंट वीज़ा डे और इंटरनेशनल एजूकेशन वीक के दौरान, जो अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा पर ओपन डोर्स रिपोर्ट के प्रकाशन के अनुरूप है।
डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट की पासपोर्ट टू इंडिया योजना का उद्देश्य भारत में पढने वाले और इंटरर्नशिप कर रहे छात्रों की संख्या बढ़ाना है। फरवरी 2016 में पासपोर्ट टू इंडिया ने रूज़वेल्ट हाउस में स्वागत समारोह के बाद 150 शैक्षिक साझेदारों के लिए अमेरिकन सेंटर में एक कार्यशाला का आयोजन किया था। हजारों नामांकनों के साथ कोर्सेरा के बारे में जून 2016 में योजना का ‘‘द इंपोर्टेंस ऑफ इंडिया’’ एमओओसी शुरू किया गया।
अमेरिका-भारत 21वीं सेंचुरी नॉलेज इनीशिएटिव के पांचवें और अंतिम दौर के पुरस्कारों के लिए जून 2016 में दूतावास और यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ने आठ शैक्षिक संस्थानिक भागीदारी परियोजनाओं की घोषणा की। योजना का उद्देश्य सहयोग को मजबूत बनाना और अमेरिका और भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच भागीदारी का निर्माण करना है।
अमेरिकी शेयर सूचकांक
अब जैसा कि आप अमेरिका के विभिन्न स्टॉक एक्सचेंज के बारे में जान कर चुके हैं हमारी यात्रा का अगला तार्किक कदम अमेरिका के स्टॉक एक्सचेंज के बारे में जानकारी प्राप्त करने का होगा जोकि इसके स्टॉक इंडेक्स के विषय में है । जैसा कि आप पहले पढ़ चुके हैं , स्टॉक इंडेक्स अच्छे निर्देशक हैं जो हमें यह अनुमति देते हैं कि हम इकोनॉमी के प्रदर्शन को नाप सके। लेकिन यह काफी नहीं है। इन के बारे में जानना हमें भली-भांति इन्वेस्टमेंट डिसीजन लेने में मदद करता है। चलिए आगे बढ़ते हैं अपने पाठ के उस पन्ने में अमेरिकन स्टॉक इंडेक्स पर।
अमेरिकन स्टॉक इंडेक्स: प्रस्तावना
जिस प्रकार प्रमुख भारतीय शेयर बाजार बीएसई तथा एनएसई बड़े स्टॉक बाजार अमेरिकन एक्सचेंज में है और सेक्टर स्पेसिफिक इंडेक्स , द यूएस स्टॉक एक्सचेंजस के पास अपने इंडेक्स भी है। यहां आपके लिए मजेदार फैक्ट है। U.S में 5000 अलग स्टॉक इंडेक्स है जो की बड़े एवं प्रमुख 4 फॉलो किए जाने वाले से अलग है। अभीभूत ? चिंता मत करो हम धीरे-धीरे एक के बाद एक उन्हें diconstruct करने के लिए आगे बढ़ेंगे ।
द मेजर अमेरिकन स्टॉक इंडेक्सेस
हालांकि वहां सौ प्रकार के स्टॉक इंडेक्स है , तुम्हे बतौर निवेशकर्ता अमेरिकन स्टॉक इंडेक्स के बारे में एक अच्छा विचार प्राप्त करने के लिए सब को फॉलो करने की आवश्यकता नहीं है। असल में वहां केवल तीन चार बड़े स्टॉक इंडेक्स है जिन पर तुम्हे विचार करना चाहिए । वो क्या है उसका यहां preview दिया गया है:
- The Nasdaq Composite Index
- The S&P 500
- The Dow Jones Industrial Average
- The Wilshire 5000
हम Nasdaq Composite Index से शुरुआत करेंगे और आगे बढ़ेंगे ।
The Nasdaq Composite Index
अब तक आप Nasdaq Composite Index के बारे में पिछले पाठ में जान चुके है हम यहां पर केवल एक्सचेंज इंडेक्स पर फोकस करेंगे।
द Nasdaq Composite Index एक ब्रॉड मार्केट इंडेक्स है जो कि नसदाक एक्सचेंज की सभी कंपनियों को सूचीबद्ध रखता है। 2500 से भी अधिक constituenent की विशेषता बताते हुए the Nasdaq Composite index अमेरिकन इकोनॉमी का एक अच्छा निर्देशक है।
इंडेक्स में से लगभग 50 परसेंट कंपनियां tech space से है , जो कि इसे अमेरिकन टेक इंड्रस्ट्री को पाने के लिए एक बेस्ट इंडेक्स बनाती हैं। tech के अलावा इंडेक्स विभिन्न सेक्टर्स की प्रमुख कंपनियों की विशेषता बताता है , जैसे कि कंज्यूमर सर्विसेज , हेल्थ केयर , इंडस्ट्री , कंज्यूमर गुड्स एंड फाइनेंस।
एक बड़ा तथ्य जो कि Nasdaq Composite Index को और इंडेक्सको से अलग करता है वह यह है कि यह उन कंपनियों को भी शामिल करता है जो USA के हेड क्वार्टर में नहीं है।स्टॉक्स के अलावा यह इंडेक्स निम्नलिखित सिक्योरिटीज भी रखता है -
- American Depositary Receipts (ADRs)
- Limited Partnership Interests
- Real Estate Investment Trusts (REITs)
- Shares of Beneficial Interest (SBIs)
- Tracking Stocks
The S&P 500
अगर तुम पिछले मॉड्यूल्स को याद कर सकते हो तो यह शब्द S&P Standard & Poor's को दर्शाता है । द S&P 500 इंडेक्स अमेरिकन स्टॉक मार्केट की टॉप 500 कंपनियों को रखता है। हालांकि इस इंडेक्स में केवल 500 constituents है फिर भी यह यूएस की स्टॉक मार्केट का लगभग 80% भाग दर्शाता है जो इसे एक अच्छा निर्देशक बनाता अमेरिकन एक्सचेंज है। जैसा कहा गया था S&P 500 के constituents ज्यादातर विभिन्न क्षेत्रों तथा सहायक क्षेत्रों की लार्ज कैप कंपनियां है ।
द S&P 500 मार्केट कैप्टलाइजेशन वेट मैथड का उपयोग करके बनाया जाता है। इस इंडेक्स में कंपनियो का स्थान उनके मार्केट कैप्टलाइजेशन तथा दिए गए भार के अनुसार होता है, इन कंपनियों का मार्केट कैप्टलाइजेशन हाई होता हैं वह अधिक भारवान मानी गई है, और जिन कंपनियों का मार्केट कैप्टलाइजेशन low होता है वह कम भारवान मानी गई है। इसलिए हाई वेहट वाली कंपनियां इंडेक्स को चलाने में निम्न भार वाली कंपनियों से ज्यादा सक्षम मानी गई हैं।
हालांकि मार्केट कैप्टलाइजेशन ही ऐसा फैक्टर नही है जिसे इंडेक्स बनाते समय ध्यान में रखना चाहिए। यहां अन्य फैक्टर भी है जैसे कि - पब्लिक फ्लोट , लिक्विडिटी, सेक्टर क्लासिफिकेशन, ट्रेडिंग हिस्ट्री एंड फाइनेंसिएल वायबिलिटी भी ।
The Dow Jones Industrial Average (DJIA)
US की टॉप 30 कंपनियों को रखने वाला TheDow Jones Industrial Average (DJIA) आसान एवं सबसे प्रसिद्ध और अत्यधिक यूज किए जाने वाला इंडेक्स है। the DJIA इस लिस्ट के बाकी इंडेक्स जैसे मार्केट कैप्टलाइजेशन के अकॉर्डिंग वेट न होकर प्राइस वेटेड है ।
इसका मतलब यह है कि द DJIA मैं कंपनियों का वेट और स्थान उनके प्राइस मार्केट के अकॉर्डिंग है। उदाहरण के लिए: एक कंपनी जिसका शेयर प्राइस लगभग $150 है उसकी रैंक हाई होगी तथा वह हाई वेट कैरी करेगी उस कंपनी की अपेक्षा जिसका शेयर प्राइस $50 है।
एक ही एक्सचेंज के इंडेक्स पर concentrate करने के अलावा यह इंडेक्स Nasdaq और NYSE के सभी 30 constituents लेता है। यह 198 6 मे चार्ल्स डॉ और एडवार्ड जोन्स द्वारा प्रस्तावित किया गया था । द DJIA दुनिया का दूसरा सबसे पुराना और लगातार उपयोग किया जाने वाला इंडेक्स है ।
हालांकि यह परफॉर्मेंस बेंचमार्क के व्यापक रूप मे उपयोग किया जाता है ।इस इंडेक्स के फेयर शेयर ऑफ डेस्ट्रेक्टर भी है। जबसे इसने 30 कंपनियों को कंसीडरेशन में लिया है , बहुत सारे अनुभवी ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स DJIA को US इकोनॉमी का अच्छा मेजर नहीं मानते हैं। वहीं दूसरी और वह यह मानते है कि प्राइस वेटेज की अपेक्षा मार्केट कैप्टलाइजेशन के वेटेज को इवोल्यूशन के लिए कहीं ज्यादा अच्छा है।
The Wilshire 5000 Total Market Index
यह the Wilshire 5000 Total Market Index (TMWX) लिस्ट के तीनों इंडेक्सको मे ना ज्यादा विख्यात है न अत्यधिक उपयोग होता है। बहुत सारे एक्सपर्ट यह मानते हैं कि यह अमेरिकन स्टॉक मार्केट को बेहतर तरीके से दर्शाता है , इन फैक्टो से दिखता है कि इस इंडेक्स को USA की सारी पब्लिक ट्रेडेड कंपनीज मिलकर दुनिया का सबसे कंप्रीहेंसिव इंडेक्स बनाते हैं।
इसके नाम के विपरीत Wilshire 5000 यह 5000 कंपनियां नहीं रखता है बल्कि या केवल 3500 के लगभग फीचर करता है जैसा कि कहा गया था जब इसे पहली बार सन् 1974 में इंट्रोड्यूस किया गया , यह 5000 स्टॉक रखता था। दोबारा the Nasdaq Composite इंडेक्स और the S&P 500 , के साथ the Wilshire 5000 ने मार्किट कैप्टिलाइजेशन वेटेड मेथड का उपयोग भी किया।
अदर अमेरिकन स्टॉक एक्सचेंजेस
जैसा कि हमने ऊपर देखा चारों इंडेक्स व्यापक रूप से ब्रॉड मार्केट इंडेक्स का उपयोग करते हैं।यहां इन चारों के साथ कुछ छोटे दूसरे इंडेक्स भी है यहां उनमें से कुछ पर जल्दी नजर डालिए –
- Dow Jones Transportation Average
- Dow Jones Utility Average
- Dow Jones 65 Composite
- Dow Jones Total Stock Market
- Dow Jones Barron’s 400
- S&P 100 Index
- S&P Midcap 400
- S&P SmallCap 600
- S&P SuperComp 1500
- Nasdaq 100
- NYSE Composite
- Russel 3000
- Russel 2000
- Russel 1000
यह 14 इंडेक्सेज दूसरे छोटे ब्रॉड मार्केट इंडेक्सस है जिनकी प्रवत्ति संपूर्ण नही है केवल उदाहरण है। अमेरिकन मार्केट में ऐसे बहुत सारे दूसरे स्पेसिफिक सेक्टर इंडेक्स भी है।
Wrapping up
अभी तुम्हारे पास चार बड़े अमेरिकन स्टॉक इंडेक्सेस है । जैसा कि एक भारतीय इन्वेस्टर अमेरिकन स्टॉक इंडेक्स को अपना पैसा लगाने के लिए देखता है , तो यह चारों इंडेक्स काफी महत्वपूर्ण है , जिन पर उसे फोकस करना चाहिए। आगे बढ़ते हुए हम इस पर फोकस करेंगे कि तुम बतौर एक इन्वेस्टर US मार्केट में किस प्रकार इन्वेस्ट कर सकते हो।
अमेरिका का स्टॉक एक्सचेंज
स्मार्ट मनी क़े अगले मॉडल में आपका स्वागत है ! पिछले मॉडल्स में, हम इंडियन स्टॉक मार्केट्स कि निट्टी ग्रीटीएस पर फोकस कर रहे थे। इस मॉडल में, हालाँकि, हम डीप में जानेंगे पैरेलल यूनिवर्स क़े बारे में - अमेरिकन स्टॉक मार्केट्स। अब, आप सोच रहे होंगे कि हम अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंजों की बारीकियों के बारे में क्यों सोच रहे हैं, राइट ? इसका जवाब यहाँ है।
क्युकी, इंडियन इन्वेस्टर बनने क़े अलावा , आपकी इन्वेस्टमेंट चोइसस सिर्फ इंडियन स्टॉक मार्केट्स तक ही रिस्ट्रिक्टेड नहीं रहती। इन फैक्ट , आपके पास अमेरिकन मार्केट्स और इंडिसिस में इन्वेस्ट करने का भी फ्रीडम है। तो,अमेरिकन स्टॉक मार्केट्स से रिलेटेड ट्रेडिंग डिसिशन लेने में सक्षम होने क़े लिए, अमेरिकी इन्वेस्टिंग के तरीके के बारे में सब कुछ पता होना एसेंशियल है। आप इस बात पे एग्री करते हैं ?
ठीक यही कारण है कि हमने अमेरिकन स्टॉक मार्केट्स के आधार पर एक अलग मॉड्यूल रखा है। इसलिए, अमेरिका के विभिन्न स्टॉक एक्सचेंजों पर एक नज़र डालते हैं ।
हालांकि, ग्लोबल फाइनेंस में यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका सबसे आगे था (और अभी भी है ), मगर दुनिया का सबसे पहला ऑफिसियल स्टॉक एक्सचेंज ओपन करने का ऑनर इस कंट्री क़े पास नहीं है।जबकि, ब्रिटिश ने ये टाइटल छीन लिया। दुनिया का सबसे पहला स्टॉक एक्सचेंज लंदन स्टॉक एक्सचेंज(LSE) था, जो ईयर 1773 में ढूँढा गया था।
ब्रिटिश द्वारा मात देने के लिए तैयार नहीं, अमेरिकियों ने अपना पहला स्टॉक एक्सचेंज - फिलाडेल्फिया स्टॉक एक्सचेंज (PHLX) - वर्ष 1790 में बनाया। उन्होंने जल्दी से एक दूसरे एक्सचेंज कि शुरुआत करि - न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज ( एनवाईएसई) - वर्ष 1792 में।
हालांकि फिलाडेल्फिया स्टॉक एक्सचेंज पहले था, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज कुछ सालों में इसे पार करने में कामयाब रहा। तब से, NYSE दुनिया में सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।
यहाँ एक बहुत ही दिलचस्प ख़बर है। एनवाईएसई पहली बार वॉल स्ट्रीट पर एक बटनवुड पेड़ की शांत छाया में ब्रोकर्स के एक समूह द्वारा किया गया था। हां, आपने उसे सही पढ़ा है। वह प्रसिद्ध पेड़ वॉल स्ट्रीट में स्थित था, जिसे दुनिया का अब फाइनेंसियल एपिसेंटर कंसीडर किया जाता है । एन वाई एस ई को एस्टब्लिश करने क़े लिए जिस एग्रीमेंट को ब्रोकर्स और मर्चेंट्स ने मिलकर सिग्न किया उन्होंने यह नाम इस फेमस ट्री से बोर्रो किया , और वह बटनवुड एग्रीमेंट से जाना जाने लगा।
रास्ते में कई अन्य एक्सचेंजों के पॉप अप होने के बावजूद, एन वाई एस ई का शीअर डोमिनान्स कई डेक़ेडस तक उन्चल्लेंजेड रहा उसके इन्सेप्शन तक। जो था, साल 1971। इस समय में एक दूसरा चैलेंजर अमेरिकन मार्केट्स में आया - द नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ सिक्योरिटीज डीलर्स ऑटोमेटेड क्वोटेशन सिस्टम (नैस्डेक) अपनी शुरुआत के बाद से, नैस्डैक काफी बढ़ गया है और अब इसे NYSE के लिए एक वर्थी कॉम्पिटिटर माना जाता है।
अमेरिका में मेजर स्टॉक एक्सचैंजेस
अब, हिस्ट्री काफी हो गयी है, अब प्रेजेंट में फ़ास्ट फॉरवर्ड करते हैं। अभी, अमेरिका में 2 मेजर स्टॉक एक्सचैंजेस हैं और आप दोनों से इंट्रोड्यूस हो चुके हैं - द नई यॉर्क एक्सचेंज (NYSE) और द नेशनल अस्ससिअशन ऑफ़ सिक्योरिटीज डीलर्स ऑटोमेटेड क्वोटेशन सिस्टम (नैस्डेक)। यहाँ दोनों क़े बारे में कुछ और इनफार्मेशन दी गयी है।
न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (NYSE)
जैसा कि आपने पहले पढ़ा था, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज सिर्फ यू एस ए का नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। फेब्रुअरी 2021 तक इसके एक्सचेंज कि टोटल मार्किट कैपिटलाइजेशन $26.23 ट्रिलियन है। यहाँ एक और इंटरेस्टिंग बात है । एन वाई एस इ अमेरिकन एक्सचेंज अमेरिकन एक्सचेंज कि टोटल मार्किट कैप इतनी ज़्यादा है कि वह लंदन, टोक्यो और नैस्डेक एक्सचैंजेस क़े मार्किट कैप को मिलाने पर भी एक्ससीड करती है।
जब NYSE कि शुरुआत हुई थी, इन्होने ओपन आउटक्राई सिस्टम को फॉलो किया। हालांकि, समय क़े साथ रहने क़े लिए, उन्होंने एक्सचेंज को ट्रेडिंग क़े इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में ट्रांजीशन कर दिया। और अब, NYSE क़े 80 % से ज़्यादा टोटल ट्रांसक्शन्स इलेक्ट्रॉनिक मोड से होते हैं, एक्सचेंज ने फिजिकल ट्रेडिंग क़े लिए भी फ्लोर ओपन किया हुआ है। फैक्ट कि बात यह है , NYSE का फिजिकल ट्रेडिंग फ्लोर आज भी काफी एक्शन में रहता है, जिसमे बौहौत सारे बल्क ट्रेड्स और इंस्टीटूशनल ट्रेडिंग होती हैं।
इंडियन स्टॉक एक्सचैंजेस कि तरह, NYSE भी मंडे से फ्राइडे तक ऑपरेट होता है। एक्सचेंज ट्रेडिंग क़े लिए 9.30 AM (EST) पर ओपन होता है और 4.00 AM (EST) पर बंद होता है, जो ट्रांसलेट होता है 8.00 PM (IST) और 2.30 AM (IST)।
नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ सिक्योरिटीज डीलर्स ऑटोमेटेड क्वोटेशन सिस्टम (Nasdaq)
जबकि NYSE बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) कि तरह अमेरिकन कॉउंटरपार्ट है , नैस्डैक में हमारे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के साथ बौहौत समानताएं हैं। NYSE के विपरीत, नैस्डेक में कोई फिजिकल ट्रेडिंग फ्लोर नहीं है और वह पूरा इलेक्ट्रॉनिक है , NSE कि तरह ।
हालाँकि, NYSE क़े पास सबसे बड़ा मार्किट कैपिटलाइजेशन है, नैस्डेक क़े पास ज़्यादा कम्पनीज लिस्ट होने का डिस्टिंक्शन है। और उसके साथ, एक्सचेंज क़े पास दुनिया का सबसे बड़ा कम्प्लेटली इलेक्ट्रॉनिक स्टॉक मार्किट होने का भी ऑनर है। इसके मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रोप्रिएटरी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स, और लोअर लिस्टिंग फीस इसकी कुछ प्रमुख बातें है जो नैस्डेक को इन्वेस्टर्स और लिस्टेड कम्पनीज क़े बीच काफी पॉपुलर बनाती है।
नेशनल एसोसिएशन ऑफ सिक्योरिटीज डीलर्स (NASD) द्वारा निर्मित, नैस्डैक में लिस्टिंग की आवश्यकताओं और नियमों में अधिक आराम है।यह एक्सचेंज को काफी फवौराबले डेस्टिनेशन बनाती है स्टार्टअप्स और दूसरी नसकेंत कम्पनीज जो कैपिटल क़े लिए एक्सेस गेन करना चाहती हैं। नैस्डेक में भी NYSE कि तरह शामे ओपनिंग अमेरिकन एक्सचेंज और क्लोजिंग टाइम्स होते हैं।
NYSE और नैस्डैक संयुक्त राज्य अमेरिका में उपलब्ध एकमात्र स्टॉक एक्सचेंजों से बहुत दूर हैं, हालांकि ये दोनों प्राथमिक हैं जिन्हें आपको भारतीय निवेशक के रूप में अमेरिकी शेयर बाजारों में निवेश अमेरिकन एक्सचेंज करने के लिए चिंतित होना चाहिए, साथ ही कई अन्य छोटे एक्सचेंज भी हैं जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए। इन्हें नीचे देखें।
फिलाडेल्फिया स्टॉक एक्सचेंज (PHLX)
बोस्टन स्टॉक एक्सचेंज (BSE) - दोनों बोस्टन इक्विटी एक्सचेंज (BEX) और बोस्टन विकल्प एक्सचेंज (BOX) शामिल हैं
शिकागो स्टॉक एक्सचेंज (CHX)
शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज (सीएमई) - दुनिया का सबसे बड़ा कमोडिटी डेरिवेटिव्स एक्सचेंज
शिकागो बोर्ड विकल्प विनिमय (CBOE)
शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (CBOT)
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति विनिमय (ISE) - इसमें ISE विकल्प एक्सचेंज और ISE स्टॉक एक्सचेंज दोनों शामिल हैं
मियामी स्टॉक एक्सचेंज (MS4X)
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSX)
रैपिंग अप
आशा है कि आपको अमेरिका में डिफरेंट स्टॉक एक्सचैंजेस का एक फेयर आईडिया हुआ होगा। अगले चैप्टर में, हम डिफरेंट अमेरिकन स्टॉक एक्सचैंजेस और उनके सिग्नीफिकेन्स पर फोकस करेंगे , जब तक , हमारे साथ बने रहिये !
' अमेरिका शेयर बाजार'
Sensex, Nifty today: बाजार बंद होने के पहले दोपहर तीन बजे के आसपास बेंचमार्क इंडेक्स अपने इंट्रा-डे लो यानी दिन के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे. दरअसल, अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक की पॉलिसी मीटिंग के फैसले के इंतजार के बीच बाजार में सुस्ती चल रही है.
अमेरिका में नयी सरकार से नये राहत उपायों की उम्मीद में वैश्विक बाजारों में तेजी रही. इसके बीच सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), ऊर्जा और वाहन कंपनियों के शेयरों में मजबूती आने से बुधवार को घरेलू शेयर बाजार (Share Market) नयी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गये. बीएसई (BSE) का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स (Sensex) 393.83 अंक यानी 0.80 प्रतिशत की बढ़त के साथ 49,792.12 अंक के नये रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने मंगलवार को एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अमेरिका रिकवरी की राह पर है. उनके इस ट्वीट के पीछे शेयर मार्केट खुलने के बाद बाजार में दिखी तेजी है.
कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के संकट से पूरी दुनिया जूझ रही है. अमेरिका, इटली, फ्रांस और दुनिया के कई देशों में इस महामारी के कारण हजारों लोगों की जान जा चुकी है. वहीं, भारत में भी यह संक्रमण धीरे-धीरे फैल रहा है. जिसके चलते देश को 21 दिनों के लिए लॉकडाउन (Lockdown) कर दिया गया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पहला दो दिवसीय भारत दौरा सोमवार को शुरू हो रहा है. ट्रंप और उनकी पत्नी व अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप का भारत दौरा सोमवार को अहमदाबाद से शुरू होगा और वे आगरा में ताजमहल का दीदार करने के बाद दिल्ली पहुंचेंगे. ट्रंप के इस दौरे के दौरान भारत और अमेरिका के बीच बड़े व्यापारिक सौदे की उम्मीद की जा रही है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि यह जरूरी नहीं है कि अमेरिका इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हुए ईरानी हमलों का जवाब दे.
अमेरिका और ईरान के बीच तनाव कम होने की उम्मीदों से शेयर बाजार में मंगलवार को जबरदस्त अमेरिकन एक्सचेंज रिकवरी आई और सेंसेक्स में 192.84 अंकों की तेजी देखने को मिली सेंसेक्स 40869.47 अंकों पर बंद हुआ वहीं निफ्टी 12052.95 के आंकड़ों तक पहुंच गया. दिन के शुरुआत में सेंसेक्स में 500 अंक से ज्यादा की उछाल हुई थी.
सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को अमेरिका ईरान संकट का असर भारतीय शेयर बाजार में देखने को मिला. भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली. सेंसेक्स अमेरिकन एक्सचेंज में 787 अंकों की गिरावट हुई और सेंसेक्स 40676.63 अंकोें पर बंद हुआ वहीं निफ्टी में 233.60 अंकों की गिरावट हुई और निफ्टी 11993.05 के आंकड़ों पर बंद हुआ.
अमेरिका के ईरानी कमांडर पर हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से रुपया शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले 24 पैसे गिरकर 71.62 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया.
अमेरिका - चीन व्यापार समझौते को लेकर सकारात्मक रुख से निवेशकों की धारणा मजबूत हुई. मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और घरेलू शेयर बाजार की अच्छी शुरुआत से भी रुपये को समर्थन मिला.