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भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार

भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार

क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्ट करने से पहले जान लें, क्या हैं आंख बंद कर निवेश करने के खतरे

भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट में जब क्रिप्टोकरेंसी से भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार हुई इनकम को आयकर के दायरे में लाने की घोषणा की, तब से डिजिटल करेंसी की चर्चा हो रही है. डिजिटल संपत्तियों को टैक्स की जांच के दायरे में लाकर सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है कि वह इस मुद्रा पर प्रतिबंध लगाने के मूड में नहीं है. हालांकि, यह देखना बाकी है कि इसे कब कानूनी मान्यता दी जाएगी. आर्थिक क्षेत्र में नई डिजिटल करेंसी के आने के बाद जरूरी है कि हम डिजिटल करेंसी में निवेश करने के तौर तरीकों को सही से समझें.

हैदराबाद: लोगों के फाइनेंशियल स्टेटस को बेहतर बनाने और कुछ ग्लोबल इनवेस्टर्स के फॉल में डिजिटल करेंसी का बड़ा योगदान रहा है. उदाहरण के लिए, लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन दो बार ऑल टाइम हाई लेवल पर पहुंच गया. पिछले साल मई में बिटकॉइन के एक सिक्के की कीमत 51 लाख रुपये तक पहुंच गई थी, जिसके बाद इसमें तेजी से गिरावट आई. नवंबर में यह फिर से बढ़कर 54 लाख रुपये का हो गया. फिलहाल इसकी कीमत 35 लाख रुपये के करीब है. चूंकि बिटकॉइन सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है, इसलिए इसकी कीमत में उतार-चढ़ाव अन्य क्रिप्टोकरेंसी को भी प्रभावित करता है. कई फाइनेंशियल एक्सपर्ट क्रिप्टो को 'बुलबुला' बताकर खारिज कर दिया. इसके बावजूद कई लोगों का मानना ​​है कि उन्होंने बड़ी रकम कमाने का एक अच्छा मौका गंवा दिया. क्या आपके विचार भी ऐसे ही हैं.

एक संपत्ति के रूप में क्रिप्टो करेंसी (As an asset)

वर्तमान में हमारे देश भारत में क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी संपत्ति के रूप में मान्यता नहीं है. इन सिक्कों से अर्थव्यवस्था के लिए खतरा पैदा होने की आशंका है. कई भारतीय निवेशक इसमें निवेश करना चाहते हैं. कई लोगों का मानना है कि इसके जरिये लेन-देन भी किया जाए. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि कुछ देशों के व्यापारी क्रिप्टोकरेंसी से भुगतान स्वीकार करते हैं. पर सच यह है कि बतौर संपत्ति क्रिप्टोकरेंसी की कोई कीमत नहीं होती है. ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी की ओर से संचालित इस करेंसी में निवेश सट्टे की तरह है, जिसमें आप भरोसा करते हैं कि वह आपके इन्वेस्टमेंट का अधिक भुगतान करेगा. क्रिप्टो से व्यापार के लिए कई एक्सचेंज उपलब्ध हैं. आप उनमें से किसी के साथ रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं और इसे भारतीय रुपये में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं. इसके जरिये आप क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग भी शुरू कर सकते हैं. क्रिप्टो में निवेश करना आसान है, लेकिन इसके लिए सतर्क रहना भी जरूरी है.

पर्सनल रिसर्च (Personal research)

इन दिनों वर्चुअल बाजार में हजारों क्रिप्टो करेंसी उपलब्ध हैं. हर क्रिप्टो करेंसी जटिलता और अस्पष्टता से भरी हुई है. जब आप क्रिप्टो में निवेश करना चाहते हैं, तो अपनी मेहनत की कमाई को लगाने से पहले इसका डिटेल स्टडी करें. क्रिप्टो फोरम में भाग लेने के साथ-साथ इस पर उपलब्ध अधिक से अधिक सामग्री का अध्ययन करें. एक ओर, लोगों के पास किसी भी क्रिप्टो के बारे में 100 प्रतिशत विश्वसनीय जानकारी नहीं है, दूसरी ओर, कुछ क्रिप्टोकरेंसी निवेशक के साथ धोखाधड़ी भी कर रहे हैं. ऐसे में विश्वसनीय क्रिप्टो की तलाश करना जरूरी है. इसके अलावा इसमें शामिल हाई रिस्क को ध्यान में रखते हुए डिजिटल करेंसी में निवेश करना शुरू करें.

क्रिप्टो में निवेश कम से कम करें (Minimise investment)

यह सबको पता है कि हमारा इन्वेस्टमेंट व्यापक होना चाहिए. अपने निश्चित फाइनेंशियल गोल को हासिल करने के लिए, अचल संपत्ति, सोना, इक्विटी, म्यूचुअल फंड, छोटी बचत योजनाओं, बैंक डिपोजिट में मिला-जुलाकर इनवेस्ट करना चाहिए. निवेश मोटे तौर पर लाइफ गोल, रिस्क लेने की क्षमता और होने वाली इनकम पर आधारित होता है. यह आपको तय करना होता है कि किस फोलियो में कितना निवेश किया जाएगा. जीवन में इन्वेस्टमेंट की शुरुआत करने वालों और छोटे निवेशकों के लिए क्रिप्टोकरेंसी से दूर रहना बेहतर है. क्रिप्टोकरेंसी के लिए अपने इन्वेस्टमेंट बजट का एक प्रतिशत ही निवेश करें ताकि नुकसान होने की स्थिति में इसकी भरपाई आसानी हो जाए.

काफी अस्थिर है क्रिप्टो ( Quite unstable)

रिपोर्टस के अनुसार, क्रिप्टो करेंसी का बाजार दो ट्रिलियन डॉलर का है. इसकी कीमतों में हर दिन हर पल बदलाव होता है, इसलिए यह सबसे अधिक अस्थिर संपत्ति में से एक माना जाता है. इसके अस्थिर होने का दूसरा कारण यह है कि अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी सट्टेबाजों द्वारा चलाई जाती हैं. अगर कुछ दिनों के लिए इन्वेस्टमेंट चेन में गड़बड़ी होती है तो निवेशकों को बड़ा नुकसान हो जाता है. यह उन लोगों के लिए नहीं है, जो उतार-चढ़ाव और नुकसान को सहन नहीं कर सकते. यह ऐसे निवेशकों के लिए भी नहीं है, जो अपने-अपने जीवन में कुछ लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इन्वेस्टमेंट और बचत कर रहे हैं. डिजिटल करेंसी में निवेश करने के लिए कभी भी पैसे उधार नहीं ले. क्योंकि बैंकों में फिक्स डिपॉजिट का 5 लाख रुपये तक बीमा किया जाता है, लेकिन क्रिप्टो निवेश के लिए ऐसी सुरक्षा की गारंटी नहीं है.

लालच से बचें (Avoid greediness.)

क्रिप्टो बाजार किसी भी रूल-रेगुलेशन से बंधे नहीं हैं. इसमें निवेश के जरिये पैसे को दोगुना करना जितना आसान है, वैसे ही आपके इनवेस्ट की गई रकम का हवा में गायब होना भी आसान है.

एक्सपर्ट बताते हैं कि हाई रिस्क वाले बाजार में काम करते समय लालच और भय से बचें. यदि आप प्लानिंग के अनुसार अपने निवेश का 50% कमाते हैं, तो बाजार से बाहर निकल जाएं, क्योंकि इसमें बेशुमार फायदा की गारंटी गारंटी नहीं है या पूरी राशि के खोने की संभावना भी ज्यादा है. इसमें कोई शक नहीं, क्रिप्टो इन दिनों अच्छा रिटर्न दे रहा है. कुछ नए निवेशक बाजार में उपलब्ध छोटी क्रिप्टो करेंसी में भी निवेश कर रहे हैं, मगर ध्यान रखें इसमें मोटी कमाई के साथ बड़ा जोखिम भी जुड़ा है. 1 अप्रैल से क्रिप्टोक्यूरेंसी लेनदेन पर लाभ पर बिना किसी छूट के 30 प्रतिशत इनकम टैक्स लगेगा. Bankbazaar.com के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि टैक्स से बचने के लिए अवैध तरीकों का सहारा न लें, जिससे और मुश्किलें आ सकती हैं.

भारत में 2021 में 7.3 फीसदी आबादी के पास थी डिजिटल करेंसी: रिपोर्ट

भारत में 2021 में 7.3 फीसदी आबादी के पास थी डिजिटल करेंसी: रिपोर्ट

युनाइटेड नेशंस (united nations) द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) का इस्तेमाल अभूतपूर्व दर से बढ़ा है. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत में सात फीसदी से अधिक आबादी के पास डिजिटल करेंसी है.

युनाइटेड नेशंस की व्यापार एवं विकास संस्था UNCTAD ने कहा कि 2021 में क्रिप्टोकरेंसी रखने वाली आबादी की हिस्सेदारी के लिहाज से 20 शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से 15 विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाएं थीं.

इस सूची में 12.7 फीसदी के साथ यूक्रेन शीर्ष पर है. इसके बाद रूस (11.9 फीसदी), वेनेजुएला (10.3 फीसदी), सिंगापुर (9.4 फीसदी), केन्या (8.5 फीसदी) और अमेरिका (8.3 है) हैं. भारत में 2021 में कुल आबादी में से 7.3 फीसदी लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी थी और इस सूची में उसका स्थान सातवां है.

share of the population that owns crypto-currencies

UNCTAD ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "कोविड-19 के दौरान विकसित देशों समेत दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग बेहद तेजी से बढ़ा है."

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "यदि क्रिप्टोकरेंसी भुगतान का व्यापक माध्यम बन जाती है और अनाधिकारिक रूप से घरेलू मुद्रा का स्थान ले लेती है तो इससे देशों की मौद्रिक संप्रभुता खतरे में पड़ सकती है."

इसमें कहा गया है कि बाजार में हालिया डिजिटल करेंसी क्रैश से पता चलता है कि क्रिप्टो रखने के लिए निजी जोखिम हैं, लेकिन अगर केंद्रीय बैंक वित्तीय स्थिरता की रक्षा के लिए कदम उठाता है, तो समस्या सार्वजनिक हो जाती है.

विकासशील देशों में आरक्षित मुद्राओं की अधूरी मांग के साथ, स्थिर मुद्राएं विशेष जोखिम पैदा करती हैं. इनमें से कुछ कारणों से, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने यह विचार व्यक्त किया है कि क्रिप्टोकरेंसी कानूनी निविदा के रूप में जोखिम पैदा करती है.

डिजिटल युग में सार्वजनिक भुगतान प्रणाली शीर्षक वाली नीति में वित्तीय स्थिरता और क्रिप्टोकरेंसी की सुरक्षा से संबंधित जोखिमों का जवाब मौद्रिक प्रणालियों की स्थिरता और सुरक्षा के लिए और वित्तीय स्थिरता के लिए क्रिप्टोकरेंसी के निहितार्थ पर केंद्रित है.

यह तर्क दिया जाता है कि एक घरेलू डिजिटल भुगतान प्रणाली जो सार्वजनिक भलाई के रूप में कार्य करती है, क्रिप्टो के उपयोग के कम से कम कुछ कारणों को पूरा कर सकती है और विकासशील देशों में क्रिप्टोकरेंसी के विस्तार को सीमित कर सकती है, यह कहते हुए कि राष्ट्रीय क्षमताओं और जरूरतों के आधार पर, मौद्रिक प्राधिकरण एक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा या अधिक आसानी से, एक तेज़ खुदरा भुगतान प्रणाली प्रदान कर सकता है.

जबकि क्रिप्टोकरेंसी प्रेषण की सुविधा प्रदान कर सकती है, वे अवैध प्रवाह के माध्यम से कर चोरी और परिहार को भी सक्षम कर सकते हैं, जैसे कि एक टैक्स हेवन के लिए जहां स्वामित्व आसानी से पहचाना नहीं जा सकता है.

इस तरह, क्रिप्टोकरेंसी पूंजी नियंत्रण की प्रभावशीलता पर भी अंकुश लगा सकती है, विकासशील देशों के लिए उनकी नीति स्थान और व्यापक आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए एक प्रमुख साधन है.

UNCTAD ने अधिकारियों से विकासशील देशों में क्रिप्टोकरेंसी के विस्तार को रोकने के लिए कार्रवाई करने का आग्रह किया, जिसमें क्रिप्टो एक्सचेंजों, डिजिटल वॉलेट और विकेन्द्रीकृत वित्त को विनियमित करने के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी के व्यापक वित्तीय विनियमन को भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार सुनिश्चित करना और विनियमित वित्तीय संस्थानों को क्रिप्टोकरेंसी (स्थिर सिक्कों सहित) या संबंधित उत्पादों की पेशकश पर प्रतिबंध लगाना शामिल है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग की इजाजत दी, आरबीआई का प्रतिबंध हटाया

सुप्रीम कोर्ट ने भारत में क्रिप्टकरेंसी की खरीद-फरोख्त पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है. ईटी नाउ ने कई एजेंसियों के हवाले से यह खबर दी है.

Cryptocurrency

सबसे मंहगी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की कीमत 0.39 फीसदी की कमजोरी के साथ $8,815 के आस-पास रिकॉर्ड की गई. इस करेंसी का मार्केटकैप $161 अरब का है.

दुनिया भर में भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार सबसे मंहगी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की कीमत 0.39 फीसदी की कमजोरी के साथ $8,815 के आस-पास रिकॉर्ड की गई. इस करेंसी का मार्केटकैप $161 अरब का है, जो भारतीय शेयर बाजार की कुल मार्केट कैप से काफी अधिक है.

6 अप्रैल 2018 को भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार पर रोक लगा दी थी. उसने कहा था कि नियमों के तहत आने वाली सभी इकाइयां वर्चुअल करेंसी या उससे जुड़ी सेवाओं और व्यक्तियों को प्रोत्साहन नहीं देंगी. रिजर्व बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग से जुड़ी इकाइयों को इससे अलग होने के लिए तीन महीने का समय दिया था.

कई क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय इंटरनेट और मोबाइल संघ का तर्क था कि बिना कानून क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार पर रोक लगाना गलत है. संविधान के तहत यह बिजनेस 'वैध' है. रिजर्व बैंक ऐसे कारोबार के लिए बैंकिंस सेवाओं का लाभ लेने पर रोक नहीं लगा सकता.

इसके जवाब में केंद्रीय बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह किसी वैकल्पिक भुगतान प्रणाली और बैंकिंग सिस्टम की निष्ठ को कमजोर करने वाले तंत्र के खिलाफ रहा है. दूसरी तरफ से तर्क दिया गया कि कि क्रिप्टोकरेंसी पर लगे प्रतिबंध को किसी भी कानून के तहत जायज नहीं माना जा सकता है.

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क्या देश में क्रिप्टो अब कानूनी हो गया? 30% टैक्स के बाद अगर आप भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार भी इसे लीगल मान रहे हैं तो जानिए क्या है हकीकत

Cryptocurrency in India: वित्तमंत्री के बजट भाषण के बाद इतना तो साफ हो गया है कि भारत में अब वर्चुअल एसेट (Virtual Asset) से होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगेगा. इतना ही नहीं, क्रिप्टोकरेंसी के हर एक ट्रांजैक्शन (Transaction) पर अलग से 1% TDS (Tax deduction at source) सरकार को देना होगा.

Cryptocurrency: हम जिसे क्रिप्टोकरेंसी मान रहे हैं और वित्तमंत्री ने जिसे Virtual asset कहा उससे होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगेगा. बजट 2022 में यही एक प्वाइंट था, जिसने सबका ध्यान खींचा. बजट में ऐलान के बाद क्रिप्टो में निवेश करने वाले निराश हुए होंगे और इसके कारोबार से जुड़े कुछ लोग खुश भी हुए होंगे. खुशी इसलिए क्योंकि, कई लोग ये दावा कर रहे हैं कि अब क्रिप्टोकरेंसी देश में लीगल हो गई है. ये इस बात से भी साफ होता है कि बजट में ऐलान के ठीक बाद क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज WazirX, Coinswitchkuber की तरफ से रिएक्शन आए कि सरकार यह कदम अच्छा है. लेकिन, यहां थोड़ा सा कन्फ्यूजन है. पहले समझते हैं कि वित्तमंत्री ने क्या कहा और उसका इंटरप्रिटेशन करने वाले कहां चूक कर रहे हैं.

डिजिटल करेंसी नहीं एसेट पर लगा है टैक्स

सबसे पहले तो ये समझिए सरकार ने जो टैक्स लगाया है वो डिजिटल एसेट या यूं कहें क्रिप्टोकरेंसी (Cyrptocurrency) जैसे बिटकॉइन पर लगा है, जो फिलहाल लीगल नहीं है. गौर करने की बात ये है कि सरकार इसे करेंसी नहीं मान रही है. तो अब भारत में डिजिटल एसेट (Cryptocurrency) से होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगेगा. मतलब अब अगर कोई व्यक्ति किसी डिजिटल एसेट (Digital Asset) में निवेश करके 100 रुपए का मुनाफा कमाता है, तो उसे 30 रुपए टैक्स के रूप में सरकार को देने होंगे.

ट्रांजैक्शन पर TDS भी वसूलेगी सरकार

क्रिप्टोकरेंसी के हर एक ट्रांजैक्शन (Transaction) पर अलग से 1% TDS (Tax deduction at source) सरकार को देना होगा. मान लीजिए, किसी ने कोई क्रिप्टोकरेंसी खरीदी हुई है. ये उसका निवेश है. मतलब उसका ये Asset हुआ. अब अगर खरीदने वाला इस एसेट को किसी और को ट्रांसफर करता है, तो उसे अलग से उस Asset की कुल कीमत पर 1% के हिसाब से TDS चुकाना होगा. TDS किसी Source पर लगाया जाता है. जैसे आपको हर महीने मिलने वाली तनख्वाह पर सरकार जो टैक्स लेती है, वो TDS होता है. कुल मिलाकर सरकार डिजिटल करेंसी को एक इनकम सोर्स मान रही है. इसकी कमाई पर 30% टैक्स भी लगा दिया गया है.

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तो क्या क्रिप्टो करेंसी लीगल हो गई?

बजट में हुए इस ऐलान के बाद ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगा कर इसे लीगल कर दिया है? जवाब है- नहीं. इसे ऐसे समझिए, सरकार सिर्फ उस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लीगल यानी वैध मानती है, जिसे Reserve Bank of India-RBI जारी करता है या करेगा. मतलब अभी जो Bitcoin जैसी Crypto भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार Currency हैं, वो वैध नहीं है. बजट भाषण के बाद पत्रकारों से सवाल-जवाब में वित्तमंत्री ने साफ किया कि क्रिप्टो की वैधता को लेकर सरकार में चर्चा जारी है लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क के बाहर जो भी क्रिप्टोकरेंसी हैं, वे करेंसी नहीं हैं. अगर कोई आपसे कहे कि ये लीगल हो गई हैं तो जब तक सरकार नहीं कहती, मानिएगा नहीं. यहां पर गौर करने की बात ये भी है कि सरकार अप्रैल से शुरू होने वाले कारोबारी साल में अपनी डिजिटल करेंसी लाने की भी तैयारी में है जिसका जिक्र वित्तमंत्री ने अपने भाषण में किया. जाहिर है ये करेंसी पूरी तरह लीगल होगी.

क्रिप्टो पर कन्फ्यूजन फैला क्यों?

वर्चुअल एसेट पर 30 परसेंट टैक्स का एलान होते ही कई लोगों ने ये मान लिया कि जो चीज टैक्स के दायरे में आ गई वो तो लीगल हो गई. जबकि ऐसा नहीं है. इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक आपकी आय कहीं से भी हो, सरकार उस पर टैक्स वसूलती है. इससे आपके आय के लीगल होने की गारंटी नहीं मिल जाती. टैक्स एक्सपर्ट वेद जैन (Tax Expert Ved Jain) के मुताबिक, इनकम टैक्स प्रोविजन में साफ है कि आपकी कहीं से भी कमाई हुई है, उस पर टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स की देनदारी बनेगी. चाहे इनकम सोर्स वैध हो या फिर अवैध. सुप्रीम कोर्ट ने भी काफी वक्त पहले स्मगलिंग बिजनेस के मामले में ऐसा ही फैसला सुनाया था. इसलिए ऐसी कोई एसेट पर लगने वाले टैक्स को लीगल कहना सही नहीं है.

वर्चुअल एसेट से वित्तमंत्री का मतलब क्या है?

आसान तरीके से समझें तो आप जो सोना खरीदते हैं या जो घर खरीदते हैं, वो आपकी Assets होती है. मतलब आपकी सम्पत्ति, ना कि ये करेंसी है. ठीक इसी तरह Crypto Currency भारत सरकार के लिए एक Asset होगी और इस पर लोगों से टैक्स वसूला जाएगा. अगर आप ये सोच रहे हैं कि Bitcoin, Ethereum, Tether, Ripple जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल माना गया है तो तकनीकी तौर पर बिल्कुल सही नहीं है. हालांकि, लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.

इस टैक्स के पीछे क्या है सरकार की मंशा

सरकार के प्रतिनिधियों ने ये भी बताया कि देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन साल 2017 से ही सरकार के राडार पर है. इस पर टैक्स लगाने से सरकारी खजाने में मोटी रकम पहुंचनी तय है. अभी अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, Netherlands और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) पर वहां की सरकारें टैक्स लगाती हैं. सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि, हमारे देश में जितने लोगों ने CryptoCurrency में निवेश किया है, वो देश की आबादी का लगभग 8% हैं. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इन लोगों ने अपने 70 हजार करोड़ रुपए इस समय ऐसी Virtual Currency में लगाए हुए हैं. पूरी दुनिया में CryptoCurrency में ट्रेड करने के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये 30 प्रतिशत टैक्स, सीधे भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार तौर पर 70 हजार करोड़ रुपए के निवेश को एक गारंटी देगा और हो सकता है कि भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ जाए.

गिफ्ट पर भी लगेगा टैक्स, ऐसे होगा कैलकुलेट

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने वर्चुअल एसेट्स (Virtual Assets) के ट्रांजैक्शन से हुई कमाई पर 30% टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया. क्रिप्टोकरेंसी गिफ्ट करने को भी ट्रांजेक्शन माना जाएगा. मतलब अगर आप क्रिप्टोकरेंसी किसी को गिफ्ट में देते हैं तब भी 30 फीसदी टैक्स की देनदारी बनेगी. गिफ्ट किए जाने के मामले में उस समय की वैल्यू पर टैक्स लगेगा. इस वैल्यू को Recipient का इनकम माना जाएगा और उसे वैल्यू पर टैक्स देना होगा.

कब से लगेगा नया टैक्स?

एक और बात जो नोटिस करने वाली है कि ये नया टैक्स आने वाले कारोबारी साल यानी 1 अप्रैल से लागू होगा. यानी क्रिप्टो में कारोबार करने वालों के पास फिलहाल 31 मार्च तक की मोहलत है. वित्त मंत्री ने यह भी प्रस्ताव किया कि डिजिटल एसेट्स के दायरे में क्रिप्टोकरेंसी के अलावा NFT समेत सारे टोकन आते हैं, जो सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क में नहीं हैं. वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी आने आने वाली है. ये सारे बदलाव बजट पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद 1 अप्रैल 2022 से लागू हो जाएंगे.

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