ज़ी न्यूज़

हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं

हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं
वीज़ा ना मिलने के कारण वह व्यक्ति यहीं का होकर रह जाता है | जो फिर भी थोड़ा बहुत पढ़ा हुआ होता है , वह तो दिल्ली – बैंगलोर जाकर किसी अच्छी कंपनी में नौकरी कर सकता है , समस्या तो उन लोगों को आती है जो इतने पढ़े हुए या फिर अमीर नहीं होते | यहां उन्हें अच्छी नौकरियां मिलती नहीं , और जो मिलता है उसमें रोज़ के खर्चे निकलते नहीं | वीज़ा अस्वीकार (refusal) हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं होने के बाद ऐसे लोग यहां रहकर वह काम नहीं कर पाते जिनकी उनमें क्षमता होती है | एप्पल और फेसबुक जैसी कंपनियों का बढ़िया काम केवल विदेश में ही हो सकता है , यहां नहीं | जो लोग विदेश चले जाते हैं , वह आगे निकल जाते हैं , अच्छी ज़िन्दगी बिताते हैं , बड़े – बड़े घर बनाते हैं | अच्छे लोग मुश्किलें ना झेलें , इसलिए ज़रूरी है कि वह विदेश जाने की कोशिश करें |

angels-office-1

विदेश जाओ – पूरे पैसे वीज़ा लगने के बाद

किसी सब्जी वाले के पास जाओ , उसे अपनी जेब से 100 रुपये निकाल के दो , उसे बोलो कि लंगड़ा आम दे , वह कहेगा कि इस मौसम में मैं दे नहीं सकता , आप अपने पैसे बिना वापस लिए खाली हाथ घर वापस आ जाना | यानी 100 रुपये का नुकसान करवा आना |

अब आप कहोगे कि ऐसे थोड़े ही होता है , हम पहले सोच समझ के दुकान पर जाते हैं , सामान चुनते हैं , और जब वह चीज़ मिल जाती है तभी उसके पैसे देते हैं | चाहे वह सब्जी हो , कपडे हो , गैस का सिलिंडर हो , बिजली का सामान हो – हर एक चीज़ में पहले सामान लिया जाता है और फिर पैसे दिए जाते हैं |

हम लोग पूरे पैसे तभी देते हैं जब हमें सामान मिल जाता है

तो फिर हम लोग वीज़ा लेने के समय ऐसा क्यों नहीं करते हैं ?

हम लोग एजेंटों के पास जाते हैं , पैसे जमा करवा आते हैं , हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं और अगर वीज़ा ना मिले तो दिए हुए पैसे भी वापस नहीं लेते | इससे बड़ी दुःख की बात यह है कि हम 50-100 रुपये नहीं , पूरे दो – ढाई लाख रुपये का नुकसान करवाते हैं , और वह भी केवल एक बार में | हम अपने माँ – हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं बाप की बरसों की मेहनत , चंद मिनटों में मिट्टी हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं कर आते हैं |

ऐसा करने से काम तो होता नहीं , बस नुकसान ही होता है , लोगों की कोठियां तक बिक जाती हैं |

दोस्तों , अगर आप चाहते हो कि आपको वीज़ा मिले , तो अपने पूरे पैसे वीज़ा लगने के बाद ही दो | क्योंकि इससे धन – संपत्ति ही नहीं , वीज़ा लगने से पहले पैसे देने पर और भी कई नुकसान होते हैं |

गलत उम्मीद से दुःख होता है

वीज़ा ना लगने से बन्दे का आत्मविश्वास (confidence) काम होने लगता है , यह देख कर कि उसके दोस्तों का वीज़ा आ गया मगर उसका खुद का नहीं लगा | उसे लगने लगता है कि उसमें कोई कमी है , जबकि असली कमी तो उस एजेंट में थी जिसने उसे गलत सलाह दी | वीज़ा लगने के लिए सही कोर्स में आवेदन (apply) करना चाहिए | एक प्रमाणित (certified) एजेंट सच बता देता है , अगर उसे लगे कि वीज़ा नहीं लगेगा , बजाये इसके कि बच्चे को गलत उम्मीद देकर पैसे ठगे | वीज़ा ना लगने से कुछ लोग इतने ज़्यादा उदास हो जाते है , कि एक प्रमाणित एजेंट के पास जाने से भी कतराने लगता है , मनोबल खोने के कारण , कि क्या फायदा हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं जब वीज़ा लगना ही नहीं | निराश मत हो , सारे एजेंट एक जैसे नहीं होते , अच्छे हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं वाला एजेंट आपका फायदा ही करवाएगा |

वसीयत के बारे में कई अहम बातों की जानकारी होना आवश्यक: हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं अधिवक्ता रोहन सिंह चौहान

अधिवक्ता - रोहन सिंह चौहान

भारतीय ईसाइयों को उत्तराधिकार में हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं मिलने वाली संपत्ति का निर्धारण उत्तराधिकार कानून के तहत होता है । विशेष विवाह कानून के तहत विवाह करने वाले तथा भारत में रहने वाले यूरोपीय, एंग्लो इंडियन तथा यहूदी भी इसी कानून के तहत आते हैं ।

कोडरमा का एक थाना, जहां ‘टेंडर’ होता है

कोडरमा : गुमो के एक वामपंथी सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता इन दिनों परेशान हैं. वे बताते हैं: मेरी जमीन पर दलालों ने अचानक काम शुरू कर दिया. मैं भागा-भागा थाना पहुंचा. थानेदार आएं और काम बंद करा दिया. मुझे लगा कि हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं देवता आदमी हैं. दूसरे दिन फिर काम शुरू हो गया. पता चला कि दलालों और थानेदार महोदय में ठीक-ठाक ‘डील’ हो गई. जिसे देवता समझ रहा था, दरअसल वह ‘शैतान’ निकला. यह कहानी है झुमरीतिलैया थाना की.

भारी परेशानी के दौर से गुजर रहा यह वामपंथी कार्यकर्ता जिले के ख्यात हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं वामपंथी और वयोवृद्ध नेता श्रीनिवास शर्मा का नजदीकी है. श्रीनिवास शर्मा जिला ही नहीं, झारखंड में वामपंथ के अगुआ नेता हैं-कद और चरित्र दोनों में लंबे. 90 की उम्र में भागदौड़ नहीं कर पाते. लेकिन, नजदीकियों को कानूनी सलाह देते हैं. शाम की उनकी बैठकी में अनेक लोग अपना दुखड़ा हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं लेकर पहुंचते हैं. इस नेता की सलाह पर कुछ लोग अब DGP और PS [होम] तक थानेदार की बात पहुंचा रहे हैं. इसलिए कि SP से शिकायत का असर नहीं हो रहा है. आज नहीं तो कल ये तमाम शिकायतें थानेदार अजय सिंह के लिए परेशानी का सबब बनने वाला है.

रेटिंग: 4.49
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 558
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *