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विषयगत निवेश क्या है

विषयगत निवेश क्या है

और जानिए

यह पोर्टल मध्य प्रदेश में जलवायु परिवर्तन एवं सम्बंधित विषयों पर ज्ञान के सृजन, संचय और प्रसार का कार्य करेगा. राज्य में कई विभाग और संस्थाएं सम्बंधित विषयों पर कार्यरत हैं जैसे कि नगर व ग्राम निवेश, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, वानिकी, ग्रामीण विकास, शहरी विकास, प्रदूषण नियंत्रण विषयगत निवेश क्या है इत्यादी. ये सभी विभाग व संस्थाएं स्वतंत्र रूप से बड़ी मात्रा में ज्ञान का सृजन कर रहीं हैं. इसी तरह के अध्ययन व शोध निजी संस्थाओं, व्यक्तियों, एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों और शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा भी किये जा रहे हैं. ज्ञान के इस विशाल भण्डार को एक साथ संरक्षित, समन्वित और प्रसारित करने की आवश्यकता है. इन संस्थानों के साथ-साथ, एप्को स्वयं भी जलवायु परिवर्तन विषय पर कार्यरत है, और सम्बंधित मुद्दों पर ज्ञान का सृजन कर रहा है. यह ज्ञान प्रबंधन पोर्टल इस पूरी ज्ञान राशि को एक साथ एक मंच पर लाने का कार्य कर रहा है.

इस पोर्टल से किस तरह के लाभ होंगे और किसे होंगे ?

ये पोर्टल शासकीय विभागों, नागरिक समाज, गैर-सरकारी संगठनों, समाज विकास के कार्यकर्ताओं और व्यक्तियों को मदद करेगा. विशेष रूप से वे व्यक्ति व संगठन जो कि जलवायु परिवर्तन और इससे जुड़े मुद्दों पर कार्यरत हैं. ये पोर्टल स्थानीय स्तर पर कार्यरत संस्थाओं,और समुदायों को बेहतर नियोजन और क्रियान्वयन के लिए मदद करेगा और विकास संबंधी नियोजन व क्रियान्वयन में जलवायु परिवर्तन की चिंताओं के समावेश को गति देगा.

यह पोर्टल विभिन्न विभागों और विकास कार्यक्रमों को किस तरह से लाभ पहुंचाएगा?

जैसा कि स्पष्ट है, जलवायु परिवर्तन राज्य में मानव जीवन के प्रत्येक पहलू पर प्रभाव डालेगा, इस दृष्टि से सभी विभागों को अपने नियोजन व क्रियान्वन की प्रक्रियाओं में जलवायु विषयगत निवेश क्या है विषयगत निवेश क्या है परिवर्तन की चिंताओं को शामिल करना चाहिए. यह पोर्टल ज्ञान के एक सक्रिय भण्डार के रूप में कार्य करेगा और विभिन्न विभागों को उनके कार्यक्रमों से सम्बंधित शोध, अध्ययन और समाचारों को उपलब्ध कराकर उनकी मदद करेगा. चूंकि यह पोर्टल मध्यप्रदेश को समर्पित है, अतः शोध व अध्ययन मुख्यतः मध्यप्रदेश से ही सम्बंधित होंगे. इस कारण ये पोर्टल प्रदेश के विकास व जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर बहुत विशेषीकृत जानकारी उपलब्ध कराएगा.

मध्यप्रदेश शासन और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू.एन.डी.पी.) इस कार्य में किस प्रकार से भागीदार हैं ?

मध्यप्रदेश जलवायु परिवर्तन संबंधी कार्यों में एक अग्रणी राज्य है. प्रदेश, भारत का पहला राज्य है जिसने जलवायु परिवर्तन पर “राज्य कार्य योजना” का निर्माण किया है, और राज्य की सुभेद्यता का आकलन किया है. यह तथ्य बताता है कि मध्यप्रदेश शासन जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर कितना गंभीर और सक्रिय है. पर्यावरण नियोजन व संरक्षण विषयगत निवेश क्या है संस्थान (एप्को) ने एक जलवायु परिवर्तन इकाई की स्थापना भी की है जो कि राज्य में जलवायु परिवर्तन विषय पर समर्पित ढंग से कार्य कर रही है. यह ज्ञान प्रबंधन पोर्टल इसी प्रक्रिया का हिस्सा है. यह संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और एप्को का संयुक्त प्रयास है जिसे एक तरफ संयुक्त राष्ट्र संघ का वित्तपोषण व तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त है, वहीं दूसरी तरफ एप्को उपलब्ध ज्ञान को संचित व सृजित करके स्थानीय मुद्दों से जोड़ने का प्रयास कर रहा है.

इस पोर्टल पर ज्ञान व सूचनाओं का सृजन किस प्रकार होता है ?

यह पोर्टल विभिन्न स्त्रोतों से सूचनाएं इकट्ठी करता है. यहाँ विभिन्न विभागों, संस्थाओं और एजेंसियों द्वारा किये गये शोध और अध्ययन साझा किये जायेंगे. साथ ही राज्य के मुद्दों से जुड़े शोध और अध्ययन भी किये जायेंगे जिनसे जलवायु परिवर्तन संबंधी वैश्विक मुद्दों और स्थानीय मुद्दों के बीच की समझ का अंतर कम किया जा सके, और उन्हें मध्यप्रदेश के अपने अनुभवों के प्रकाश में सही सन्दर्भों में समझा जा सके. इस प्रकार ये पोर्टल राज्य के लिए उपयोगी ज्ञान के सृजन व प्रसारण के लिए एक ऐसीं ज्ञान प्रबंधन संस्था का सृजन करता है जिसकी आधारशिला स्थानीय विभागों, पेशेवरों, और स्वतंत्र कार्यकर्ताओं के अनुभव पर रखी गयी है.

रिटेल निवेशकों को थीम आधारित पैसिव इंडेक्स फंड में निवेश क्यों करना चाहिए?

सरलता, कम लागत और सक्रिय (एक्टिव) फंडों के लगातार घट रहे अल्फा (रिटर्न) की वजह से पैसिव (निष्क्रिय) इंडेक्स फंडों की लोकप्रियता बढ़ रही है.

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मार्च 2020 तक, 110 पैसिव फंडों और 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक एयूएम के साथ, निष्क्रिय फंडों की ग्रोथ काफी उत्साहवर्धक रही है.

बीते कई सालों में वैश्विक स्तर पर पैसिव इनवेस्टिंग विषयगत निवेश क्या है विकसित हुई है. यह साधारण मार्केटकैप आधारित फंडों से भौगोलिक क्षेत्रों, बाजार सेगमेंट, बहुकारक फंडों और थीम आधारित फंडों जैसे कि प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, खपत आदि की दिशा में बढ़ रही है.

हालांकि, भारत में पैसिव निवेश काफी हद तक मार्केटकैप आधारित कारक तक ही सीमित है, जबकि काफी कम संख्या में पैसिव फंड गुणवत्ता और अस्थिरता जैसे अन्य कारकों पर आधारित हैं.

दरअसल, पैसिव फंडों को काफी हद तक पारंपारिक लार्जकैप फंडों के विकल्प के तौर पर देखा जाता है, जो निफ्टी आधारित इंडेक्स फंडों और ईटीएफ की ग्रोथ को बताता है.

हालांकि निवेशकों को पैसिव फंडों से परे अन्य विशेष श्रेणियों की तरफ भी देखना चाहिए. उन्हें विशेषतौर पर सक्रिय प्रबंधित थीमेटिक (विषयगत) फंडों की जगह पैसिव थीम आधारित इंडेक्स फंडों पर विचार करना चाहिए.

अगस्त 2020 तक इंडस्ट्री में 80 सक्रिय प्रबंधित थीम/सेक्टर आधारित फंड मौजूद थे, जिनका कुल एयूएम 54,000 करोड़ रुपये से अधिक है. यह 3 साल पहले के 37,000 करोड़ रुपये के एयूएम से अच्छी वृद्धि को दर्शाता है. हमारा मानना है कि थीम/सेक्टर आधारित फंडों में निवेश करते समय पैसिव निवेश का पक्ष कई वजहों से काफी मजबूत है.

सबसे पहले, सक्रिय थीम आधारित फंडों ने मध्यम से विषयगत निवेश क्या है लंबी अवधि में अपने निर्धारित बेंचमार्क की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया है. बैंकिंग और वित्त जैसी कई श्रेणियों में इसकी प्रदर्शन और भी निराश करता है. वास्तव में तीन साल के औसत रोलिंग रिटर्न के आधार पर ज्यादातर फंडों ने बेंचमार्क की तुलन में खराब रिटर्न दिया है.

यह आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि फंड मैनेजरों के पास अल्फा रिटर्न उतपन्न करने के लिए गिनी-चुनी कंपनियों का छोटा सा संसार है और बड़ी संख्या में कंपनियां अच्छे से शोधित लार्जकैप कंपनियों दायरे में शामिल हो रही हैं. अल्फा रिटर्न देने के लिए इस तरह के फंडों के पोर्टफोलियो में औसतन 20-25 शेयर ही होती है, जो इन फंडों का जोखिम बढ़ाते हैं.

साथ ही, विषयगत इंडेक्स फंड स्वास्थ सेवा, खपत और वित्तीय सेवा जैसे क्षमता दर्शाने वाली थीम्स में निवेश का किफायती तरीका हो सकते हैं, जिनके पास लंबी अवधि में कोई अनुकूलता दिखा सकते हैं.

पैसिव निर्माण के जरिए इसी तरह की थीम/सेक्टर आदि शुद्ध 100 फीसदी निवेश किया जा सकता है. इसके विपरीत, सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार, सक्रिय प्रबंधित थीमेटिक फंडों में 20 फीसदी निवेश थीम से बाहर भी किया जा सकता है. सक्रिय फंड इस प्रावधान का बखूबी इस्तेमाल करते हैं.

अंत में, कई थीमेटिक फंड वैश्विक स्तर पर निवेश करते हैं, जिसके लिए गहन शोध और विशेषज्ञता की जरूरत होती है. यह ज्यादातर म्यूचुअल फंडों के लिए कठिन है क्योंकि भारत के बाहर न तो उनकी मौजूदगी है और न ही इस तरह के अनुसंधान के लिए समर्पित शोध टीम है.

इस समस्या को इंडेक्सिंग उन शेयरों में निवेश करके हल करता है जो पूर्व निर्धारित मानदंड के आधार पर इंडेक्स का हिस्सा होते हैं. यह बाजार को ही इस तरह के निवेश के लिए फंड मैनेजर बनाता है.

हमारा मानना है कि थीम में निवेश करना अपने आप में काफी सक्रिय एसेट आवंटन का फैसला है, जिसे साधारण थीम आधारित फंड में निवेश कर हासिल किया जा सकता है, जिसमें सक्रिय निवेश का मिला-जुला अनुभव है.

एक महत्वपूर्ण सवाल है कि थीमेटिक इंडेक्स फंडों में किसे निवेश करना चाहिए? यह श्रेणी उन निवेशकों के लिए हैं जो लंबी अवधि के लिए संरचनात्मक रूप से ठोस थीम्स में रणनीतिक आवंटन करना चाहते हैं.

इसके अलावा, जो निवेशक प्रदर्शन में बदलाव को पकड़ने के लिए समग्र आवंटन की तलाश कर रहे हैं. जैसे किसी सेक्टर में लंबे समय की कमजोरी के बाद वापस उछाल. वे इस श्रेणी को देख सकते हैं.

आज हम स्वास्थ सेवा का उदाहरण ले सकते हैं. बीते पांच साल में इस थीम ने कमजोर प्रदर्शन किया है और आने वाले समय में विषयगत निवेश क्या है वाजिब तौर पर बढ़िया प्रदर्शन करने की क्षमता रखती है और प्रदर्शन में उलटफेर अभी से ही नजर आ रहा है.

वैल्यूएशन किफायती है विषयगत निवेश क्या है विषयगत निवेश क्या है और लंबे समय में ग्रोथ के अवसर आकर्षक हैं. स्वास्थ के प्रति जागरूकता, बढ़ती जीवनशैली से जुड़ी बीमारी और उपचार के लिए नए इलाज जैसी कई अनुकूलताओं के चलते ऐसा संभव नजर आ रहा है.

ऐसे परिदृश्य में ऐसा एक हेल्थकेयर इंडेक्स फंड आदर्श होगा जो स्वास्थ्य सेवा कम लागत, स्वास्थ्य सेवा के विषय में अनपेक्षित प्रदर्शन प्रदान कर सके. इसमें वैश्विक निवेश भी शामिल है, जो सक्रिय फंडों में शामिल नहीं होता, मगर स्वास्थ्य सेवा जैसी थीम में काफी महत्वपूर्ण होता है, जिसमें अमेरिका जैसे बाजारों पर काफी शोध/खर्च होता है.

जाहिर तौर पर, थीम आधारित फंडों में अंतर्निहित जोखिम होते हैं, चाहे वे सक्रिय हों या निष्क्रिय. उनका सह-संबंध व्यापक बाजारों से नहीं होता, जिसका अर्थ है कि प्रदर्शन अलग दिशा में जा सकता है.

प्रदर्शन चक्रीय हो सकता है, जिसमें कोई दफा कम रिटर्न भी मिलता है. निवेशकों को या तो समझदारी के साथ उचित समय पर प्रवेश या निकासी करनी चाहिए या फिर लंबी अवधि के लिए रणनैतिक निवेश करना चाहिए, जिसमें वे धैर्य के साथ अस्थिरता को झेल सकें.

जैसा कि निष्क्रिय फंडों की यात्रा जारी है, थीम आधारित इंडेक्स फंड इस विकास की कहानी में एक और दिलचस्प आयाम जोड़ सकते हैं और निवेशक पोर्टफोलियो में एक और उपयोगी विकल्प हो सकते हैं.

(नोट: राधिका गुप्ता एडलवाइज एसेट मैनेजमेंट की एमडी और सीईओ हैं. इस लेख में दिए गए विचार उनके निजी हैं. ईटी मार्केट्स हिंदी का उनके विचारों के साथ सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)

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Tata Mutual Fund: टाटा के इस NFO में क्या आपको निवेश करना चाहिए?

Tata Mutual Fund: टाटा म्यूचुअल फंड का ये न्यू फंड ऑफर 16 जुलाई 2021 को खुलकर और 30 जुलाई 2021 को बंद होगा.

  • Himali Patel
  • Publish Date - July 9, 2021 / 11:07 AM IST

Tata Mutual Fund: टाटा के इस NFO में क्या आपको निवेश करना चाहिए?

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड मुख्य रूप से पावर, कंस्ट्रक्शन, कैपिटल गुड्स और मेटल सेगमेंट की कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं.

Tata Mutual Fund: टाटा म्यूचुअल फंड ने टाटा बिजनेस साइकिल फंड (Tata Business Cycle Fund) लॉन्च करने के लिए 7 जुलाई 2021 को बाजार नियामक सेबी के साथ एक योजना सूचना दस्तावेज प्रस्तुत किया है. टाटा म्यूचुअल फंड का यह न्यू फंड ऑफर (New Fund Offer) 16 जुलाई, 2021 को खुलेगा और 30 जुलाई 2021 को बंद होगा.

यानी यह योजना एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है जो व्यापार-चक्र यानि बिजनेस साइकिल आधारित निवेश के अधीन होगी.

फंड निवेश का उद्देश्य निवेश योजनाओं के माध्यम से निवेशकों की लॉन्ग टर्म कैपिटल बढ़ाना है जो व्यापार चक्र के विभिन्न बिंदुओं पर आधारित इक्विटी और दूसरे क्षेत्रों में आवंटित करके व्यापार चक्र पर जोर देती है. इस योजना को निफ्टी 500 टीआरआई के साथ शुरू किया जाएगा.

हालांकि, इस बात का कोई वादा या गारंटी नहीं है कि योजना के निवेश उद्देश्य को पूरा किया ही जाएगा. यह योजना रिटर्न के संबंध में कोई गारंटी या आश्वासन नहीं देती है क्योंकि यह बाजार जोखिम के अधीन है.

योजना की नेट संपत्ति का कम से कम 80% बिजनेस साइकिल के आधार पर चुनी गई कंपनियों के स्टॉक/इक्विटी से संबंधित सिक्योरिटीज में निवेश किया जाएगा.

यह फंड उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो बहुत अधिक जोखिम लेने की क्षमता रखते हैं, जैसा कि इस फंड के रिस्क-ओ-मीटर में उल्लेख किया गया है. हालांकि, ऐसे उच्च जोखिम वाले उत्पादों में निवेश करने से पहले निवेशकों को अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह ले लेनी चाहिए.

यह एक रेगुलर प्लान है, अर्थात, वे निवेशक जो किसी वितरक के साथ सीधे निवेश करना चाहते हैं, और एक डायरेक्ट प्लान भी, यानी उन निवेशकों के लिए जो किसी प्लान में यूनिटों की खरीद/सदस्यता सीधे फंड हाउस से करते हैं.

कोई शुरुआती प्रभार नहीं है; हालांकि, एक निकास शुल्क है; यदि निकासी या स्विच-आउट राशि निवेश की मूल लागत के 12% से कम है, तो कोई एंट्री लोड नहीं है.

हालांकि, अगर निकासी या स्विच-आउट 12% से अधिक है, तो आवंटन की तारीख से 365 दिनों की समाप्ति से पहले ऐसा करने पर 1% का एक्जिट लोड लगेगा.

न्यूनतम सदस्यता रकम 5,000 रुपये से शुरू होती है और उसके बाद 1 रुपये के गुणकों में. अधिकतम कुल व्यय अनुपात 2.25% तक है.

Tata Mutual Fund: टाटा के इस NFO में क्या आपको निवेश करना चाहिए?

Tata Mutual Fund: टाटा म्यूचुअल फंड का ये न्यू फंड ऑफर 16 जुलाई 2021 को खुलकर और 30 जुलाई 2021 को बंद होगा.

  • Himali Patel
  • Publish Date - July 9, 2021 / 11:07 AM IST

Tata Mutual Fund: टाटा के इस NFO में क्या आपको निवेश करना चाहिए?

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड मुख्य रूप से पावर, कंस्ट्रक्शन, कैपिटल गुड्स और मेटल सेगमेंट की कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं.

Tata Mutual Fund: टाटा म्यूचुअल फंड ने टाटा बिजनेस साइकिल फंड (Tata Business Cycle Fund) लॉन्च करने के लिए 7 जुलाई 2021 को बाजार नियामक सेबी के साथ एक योजना सूचना दस्तावेज प्रस्तुत किया है. टाटा म्यूचुअल फंड का यह न्यू फंड ऑफर (New Fund Offer) 16 जुलाई, 2021 को खुलेगा और 30 जुलाई 2021 को बंद होगा.

यानी यह योजना एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है जो व्यापार-चक्र यानि बिजनेस साइकिल आधारित निवेश के अधीन होगी.

फंड निवेश का उद्देश्य निवेश योजनाओं के माध्यम से निवेशकों की लॉन्ग टर्म कैपिटल बढ़ाना है जो व्यापार चक्र के विभिन्न बिंदुओं पर आधारित इक्विटी और दूसरे क्षेत्रों में आवंटित करके व्यापार चक्र पर जोर देती है. इस योजना को निफ्टी 500 टीआरआई के साथ शुरू किया जाएगा.

हालांकि, इस बात का कोई वादा या गारंटी नहीं है कि योजना के निवेश उद्देश्य को पूरा किया ही जाएगा. यह योजना रिटर्न के संबंध में कोई गारंटी या आश्वासन नहीं देती है क्योंकि यह बाजार जोखिम के अधीन है.

योजना की नेट संपत्ति का कम से कम 80% बिजनेस साइकिल के आधार पर चुनी गई कंपनियों के स्टॉक/इक्विटी से संबंधित सिक्योरिटीज में निवेश किया जाएगा.

यह विषयगत निवेश क्या है फंड उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो बहुत अधिक जोखिम लेने की क्षमता रखते हैं, जैसा कि इस फंड के रिस्क-ओ-मीटर में उल्लेख किया गया है. हालांकि, ऐसे उच्च जोखिम वाले उत्पादों में निवेश करने से पहले निवेशकों को अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह ले लेनी चाहिए.

यह एक रेगुलर प्लान है, अर्थात, वे निवेशक जो किसी वितरक के साथ सीधे निवेश करना चाहते हैं, और एक डायरेक्ट प्लान भी, यानी उन निवेशकों के लिए जो किसी प्लान में यूनिटों की खरीद/सदस्यता सीधे फंड हाउस से करते हैं.

कोई शुरुआती प्रभार नहीं है; हालांकि, एक निकास शुल्क है; यदि निकासी या स्विच-आउट राशि निवेश की मूल लागत के 12% से कम है, तो कोई एंट्री लोड नहीं है.

हालांकि, अगर निकासी या स्विच-आउट 12% से अधिक है, तो आवंटन की तारीख से 365 दिनों की समाप्ति से पहले ऐसा करने पर 1% का एक्जिट लोड लगेगा.

न्यूनतम सदस्यता रकम 5,000 रुपये से शुरू होती है और उसके बाद 1 रुपये के गुणकों में. अधिकतम कुल व्यय अनुपात 2.25% तक है.

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