स्टॉप लॉस क्या होता है?

ट्रिगर प्राइस क्या होता है?
इसका मतलब यह है कि ट्रिगर प्राइस आपके दोनों ऑर्डर में से किसी एक को एक्टिवेट करने का काम करता है।
ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल स्टॉप लॉस ऑर्डर के लिए किया जाता है। अगर आपने Buy की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं। अगर आपने सेल की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें भी आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं।
जब भी आप स्टॉप लॉस ऑर्डर प्लेस करते हैं तो आपको दो तरह के प्राइस एंटर करने पड़ते हैं: ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस। जब भी शेयर का मूल्य आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है तो सिस्टम द्वारा आपका स्टॉप लॉसआर्डर एक्टिवेट हो जाता है और जब वह प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए लिमिट प्राइस पर पहुंच जाता है तो आपका स्टॉपलॉस आर्डर एग्जीक्यूट हो जाता है।
जब तक स्टॉक का प्राइस आपके स्टॉप लॉस क्या होता है? द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक नहीं पहुंचता है तब तक आपका ऑर्डर सिर्फ आपके स्टॉक ब्रोकर तक ही रहता है। यह एक्सचेंज में नहीं भेजा जाता है और जैसे ही स्टॉक का प्राइस ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है आपका ऑर्डर एक्टिव ऑर्डर में आ जाता है और लिमिट प्राइस तक पहुंचते ही एग्जीक्यूट हो जाता है।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपने कोई शेयर 100 रुपए में खरीदा है और आप उसका स्टॉप लॉस ₹90 रखना चाहते हैं। स्टॉप लॉस का यहां मतलब यह है कि जब भी स्टॉक का प्राइस गिरने लगे और ₹90 से नीचे चला जाए तो आप उस स्टॉक को बेचना चाहेंगे तो ज्यादा नुकसान सहना नहीं जाएंगे और आप ₹10 के नुकसान के साथ ही मार्केट से एग्जिट करना पसंद करेंगे।
इस स्थिति में जब आप अपना स्टॉपलॉस आर्डर लगाने लगेंगे तो आपको ट्रिगर प्राइस दर्ज करने के लिए पूछा जाएगा। वह ट्रिगर प्राइस आपकी मर्जी का होगा आप जहां चाहे वहां ट्रिगर प्राइस रख सकते हैं। मान लीजिए अगर आप ट्रिगर प्राइस ₹95 रख देते हैं और लिमिट प्राइस ₹90 दर्ज कर देते हैं।
तो इस स्थिति में जब भी स्टॉक का प्राइस गिरने लगेगा और ₹95 पर आ जाएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर ऑटोमेटिकली एक्टिवेट हो जाएगा और जब यह गिरते-गिरते ₹90 को पार कर जाएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर एक्जिक्यूट हो जाएगा और आपके द्वारा खरीदा गया शेयर अपने आप ₹90 पर बिक जाएगा।
ट्रिगर प्राइस को शेयर को कम दाम पर खरीदने और ज्यादा दाम पर बेचने के लिए भी सेट किया जाता है।
स्टॉक मार्केट में बने रहना हो तो हमें हमेशा स्टॉप लॉस के साथ ही काम करना चाहिए और एक सीमित नुकसान के साथ मार्केट से निकल जाना चाहिए अगर मार्केट हमारी दिशा में ना चल रहा हो।
Stoploss क्या होता है? किसी भी शेयर में स्टॉप लॉस कैसे लगाएं?
शेयर बाजार एक ऐसी जगह है जहां पर रोजाना Shares की खरीदारी और बिकवाली का कारोबार होता स्टॉप लॉस क्या होता है? है, और शेयर के भाव ऊपर नीचे होते हैं। शेयर बाजार में हर इंसान मुनाफा कमाने की उम्मीद में आता है, और जरूरी नहीं है आपने जो भी शेयर खरीदा हो वह हमेशा ऊपर ही जाए वह नीचे भी आ सकता है। इस परिस्थिति में आप को नुकसान उठाना पड़ता है तो उस नुकसान से बचने के लिए हम शेयर बाजार में जिस Tool का Use करते हैं उसे स्टॉपलॉस कहते हैं।
अब आसान भाषा में समझते हैं Stoploss वह मूल्य होता है जो शेयर बाजार में किसी भी Trader or Investor को अधिक नुकसान होने से बचाता है, और उसके जोखिम को कम करने में मदद करता है। अगर आप बाजार में Short-term के लिए Trade करते हैं, तो Stoploss आपके लिए एक महत्वपूर्ण हथियार के रूप में काम करता है। क्योंकि वहां पर आपके नुकसान की जो संभावना होती है वह कम हो जाती है।
Example- मान लीजिए आपने XYZ Share ₹1000 के भाव पर खरीदे और आप चाहते हैं उसका भाव ₹1050 हो जाए। तो आप शेयर बेचकर मुनाफा वसूल करेंगे, लेकिन उसके विपरीत मान लीजिए अगर वह शेयर का भाव ₹980 आ जाता है। तब उस परिस्थिति में आपको नुकसान हो जाता है, अब वह शेयर और नीचे भी जा सकता है, तो आप वहां पर ₹970 का स्टॉपलॉस लगा देते हैं। अगर वह शेयर का भाव ₹970 के नीचे चला जाता है, तो आपका नुकसान ₹970 पर रुक जाएगा और उसके बाद उस शेयर में आने वाली जो भी गिरावट होगी आप उससे बच जाते हैं। आपको थोड़ा नुकसान उठाना पड़ता है, लेकिन स्टॉपलॉस के कारण आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं।
Stop loss Trigger Price In Hindi
अगर आप सही Price पर Stoploss लगाते हैं तो आप अपने नुकसान को सीमित कर सकते हैं। Stoploss लगाने से पहले आपको एक चीज का हमेशा ध्यान रखना होगा, कि अगर आपने Long position बना रखी है तो आपको Sell Stoploss हमेशा Current market price के नीचे लगाना होगा। इसके विपरीत अगर आपने Short position बना कर रखी है तो आपको Buy Stoploss हमेशा Current market price के ऊपर लगाना होगा।
अब बात करते हैं Stoploss Trigger Price की, यह वह Price होता है जिस Price पर आर्डर एक्सचेंज में ट्रांसफर हो जाता है और फिर Stoploss Hit होते ही आपका Order Execute हो जाता है। आपके Buying- Selling Position दोनों ही के लिए Stoploss Trigger Price की Value अलग-अलग होती है।
अगर आपने Buying position बना कर रखी है तो आपको Selling का Stoploss लगाना पड़ेगा, जहां पर Trigger Price की वैल्यू Stoploss की वैल्यू से ज्यादा होगी। ठीक उसी तरह अगर आपने Short या Selling की Position बना रखी है, उस समय आपको Buying का Stoploss लगाना होगा जहां पर Trigger Price आपके Stoploss प्राइस से कम रखना होगा।
स्टॉप लॉस कैसे लगाएं?
अगर आप शेयर बाजार में नए हैं। Trading की शुरुआत करना चाहते हैं और आपके पास मार्केट का ज्यादा अनुभव नहीं है। इन परिस्थितियों में आपको शेयर बाजार में नुकसान उठाना पड़ सकता है। उस नुकसान से बचने के लिए आपको अपने शेयरों में Stoploss लगाने की सलाह दी जाती है। Stoploss एक ट्रेडर के लिए सहारे का काम करता है। जहां पर वह अपने Loss को तय करके अपने प्रॉफिट को बुक कर सकता है।
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में हमेशा ही अनिश्चितता बनी रहती है इन कारणों से शेयर के भाव ऊपर और नीचे होते हैं। जिसे हम Charts के माध्यम से समझ सकते हैं। हर Chart में एक Support और Resistance का Level बनता है। और आपको इन्हीं Level के आसपास Stoploss लगाने की सलाह दी जाती है। अगर आपने कोई शेयर खरीदा है तो आपको पहले उसका सपोर्ट Level पहचानना होता है, और उस सपोर्ट लेवल के थोड़ा नीचे स्टॉपलॉस लगा सकते हैं।
Example- अगर आपने ₹100 में कोई Stock खरीदा हुआ है और उसका Support Level ₹95 के आसपास है तो आप ₹93 या ₹94 के बीच Stoploss लगा सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको Chart की पूरी समझ होनी चाहिए।
स्टॉप लॉस के फायदे
- आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं।
- आपको अपना नुकसान पता होता है इस कारण आप बिना डरे अपनी पोजीशन को Hold कर सकते हैं।
- स्टॉप लॉस मार्केट में आपके लिए एक इंश्योरेंस की तरह स्टॉप लॉस क्या होता है? काम करता है।
स्टॉप लॉस के नुकसान
क्योंकि Stock Market में अस्थिरता हमेशा बनी रहती है। कई बार देखा जाता है कि आपने कोई स्टॉक खरीदा तो वह Stock आपके Target में पहुंचने से पहले Stoploss को हिट कर लेता है। और आपकी पोजीशन खत्म हो जाती है उसके बाद स्टॉक ऊपर चला जाता है। और आप का टारगेट भी आ जाता है पर आपको इसमें कोई रिटर्न नहीं मिलता।
मान लीजिए आपने ₹100 में कोई शेयर खरीदा, ₹110 का Target लगाया और ₹95 का स्टॉपलॉस लगाया। फिर अगर वह स्टॉक ₹95 का Stoploss Hit कर ले, और उसके बाद उस Share का भाव घूम जाए और कुछ ही समय बाद वह ₹110 पर आ जाए। इससे आपके सही निर्णय लेने के बावजूद भी आप को नुकसान होता है।
तो Stoploss लगाने का कोई स्थाई नियम नहीं है अलग-अलग ट्रेडर अपने अपने हिसाब से Stoploss का आकलन करके अपने अनुसार लगा सकते हैं।
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What is Stop Loss in Hindi – स्टॉप लोस क्या होता है स्टॉप लोस कहाँ तथा कैसे लगायें
What is Stop Loss in Hindi – स्टॉप लोस क्या होता है स्टॉप लोस कहाँ तथा कैसे लगायें : अक्सर निवेशक शेयर बाज़ार (Share Market) में ट्रेडिंग करते समय एक छोटी सी गलती के कारण अपने पैसे गवा देते हैं। जिससे उन्हें लॉस हो जाता है।ऐसे में स्टॉप लॉस (Stop Loss) एक सुरक्षा कवच की तरह काम करती है।
स्टॉप लॉस (Stop Loss) निवेशकों को उतार-चढ़ाव (volatility) के नुकसान से बचाता है। तो चलिए दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानते हैं कि स्टॉप लॉस क्या है (What is Stop Loss in Hindi) और यह किस तरीके से काम करता है।
स्टॉप लोस क्या होता है – What स्टॉप लॉस क्या होता है? is Stop Loss in Hindi
शेयर बाज़ार में जब ट्रेडर्स ट्रेडिंग करते हैं, तो उनमें होने वाले उतार-चढ़ाव के नुकसान से स्टॉप लॉस (Stop Loss) बचाता है। शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग करते समय परिस्थितियों कुछ भी हो सकती है। इसमें जितना लाभ कमाने की संभावना होती है ठीक उतना ही नुकसान होने का चांस रहता है।
इसी नुकसान को कम करने के लिए स्टॉप लॉस (Stop Loss) काम करता है और ट्रेडिंग के दौरान जब आप स्टॉप लॉस (Stop Loss) का उपयोग करते हैं। तो यह आपके रिक्स लेने की क्षमता को बताता है।
स्टॉप लॉस किस तरीके से काम करता है – How to Put Stop Loss in Hindi
- मान लीजिए आप कोई 200 रुपए का शेयर किसी भी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से खरीदते हैं और उस शेयर को 230 रुपए के प्राइस पर बेचना चाहते हैं।
- लेकिन शेयर बाज़ार में होने वाले ज्यादा उतार-चढ़ाव (volatility) के कारण आप उस शेयर पर केवल 5 रुपये का रिक्स ले सकते हैं। तो उसके लिए स्टॉप लॉस (Stop Loss) 195 रुपये पर लगाना होगा।
- स्टॉप लॉस लगाने के लिए उस शेयर के Exit या sell के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। जिसके बाद स्टॉप लॉस (Stop Loss) का ऑप्शन दिखाई देगा।
- मार्केट ऑर्डर और स्टॉप लॉस के साथ आपको वहाँ ट्रिगर प्राइस (trigger price) में जाकर 195 रुपया भरना होगा। इसके उपरांत आर्डर पैलेस कर दें।
- अब जब भी शेयर का प्राइस गिरने लगेगा तो ट्रिगर प्राइस को टच करते ही 195 रुपये पर स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाए जाने के वजह से ऑटोमेटिक सेल ऑर्डर लग जाएगा।
स्टॉप लॉस के प्रकार – Types of Stop Loss in Hindi
स्टॉप लॉस मुख्य रूप से 2 टाइप के होते हैं। पहला स्टॉप लॉस ऑर्डर (SL) जिसमें ट्रेडर्स निकासी मूल्य को तय करता है। और दूसरा स्टॉप लॉस मार्केट (SL-M) जिसमें ट्रेडर्स सिर्फ ट्रिगर मूल्य को निर्धारित करता है।
स्टॉप लॉस लगाने के फायदे – What are the Benefits of Putting a Stop Loss in Hindi
- इसका इस्तेमाल करने पर स्टॉप लॉस क्या होता है? हमें कोई भी एक्स्ट्रा चार्ज पे नहीं करना पड़ता।
- हमारे होने वाले नुकसान को सीमित कर देता है।
- ट्रेडिंग करते समय स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाने से बार-बार स्टॉक की निगरानी नहीं करनी पड़ती।
- हमारे रिक्स लेने की क्षमता को बेहतर बनाता है।
स्टॉप लॉस लगाने के नुकसान What are the Disadvantages of putting a Stop Loss
- यह केवल डे ट्रेडिंग में ही काम करता है। स्टॉप लॉस बड़े व्यापारियों के लिए उपयोगी नहीं है।
- कई बार अस्थिरता (volatility) के कारण स्टॉप लॉस क्या होता है? शार्ट टर्म में स्टॉक स्टॉप लॉस (Stop Loss) को जल्दी छू लेता है।
- स्टॉप लॉस (stop loss) के कारण स्टॉक के परफॉर्मेंस से आपका ध्यान हट जाता है।
- स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करने के लिए किसी भी प्रकार का नियम नहीं होता। यह पूरी तरह आपके डिसीजन और तौर-तरीके पर निर्भर करता है।
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तो दोस्तों इस आर्टिकल में हमने बताया कि स्टॉप लॉस क्या होता है (What is Stop Loss in Hindi) स्टॉप लॉस किस तरीके से लगाया जाता है (How to Put Stop Loss in Hindi)। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा।
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अपने हाथ में रखें अपने मुनाफे का 'ट्रिगर', जानिए इसके बारे में सभी जरूरी बातें
5paisa की मदद से आप भी trigger का फायदा उठा सकते हैं। एप के जरिए आपको ट्रिगर प्राइस देने का का विकल्प मिलता है। ध्यान रखें कि ट्रिगर प्राइस स्टॉप लॉस से अलग होता है। Trigger Price वो स्तर होते हैं जहां आपका ऑर्डर एक्टिव हो जाता है।
नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। Stock Market में कारोबार भविष्य को लेकर अनुमान के आधार पर किया जाता है, जैसे बाजार या स्टॉक में आगे बढ़त रहेगी या फिर गिरावट आएगी। सटीक अनुमान के लिए कारोबारी देखते हैं कि उनके सौदों पर किन संकेतों का असर पड़ता है। तेज फैसले के लिए कारोबारी ऐसे संभावित संकेतों की स्टॉप लॉस क्या होता है? पूरी लिस्ट पहले से ही अपने पास रखते हैं जिसका बाजार , स्टॉक या इंडेक्स या फिर किसी खास सौदे पर असर देखने को मिलता है। इन संभावित संकेतों को पहले से समझने का फायदा ये होता है कि अगर ये घटनाएं या स्थितियां वास्तव में सामने आती हैं तो सौदे करने में कारोबारी को ज्यादा वक्त नहीं लगाता क्योंकि उन्हें पता होता है कि ऐसी स्थितियों में स्टॉक या बाजार किस तरह की प्रतिक्रिया दे सकता है और ऐसे में समय पर फैसला लेने से वो बाकी लोगों से बेहतर ट्रेड करता है। इन संकेतों को ही ट्रिगर कहते हैं। तकनीक के बेहतर होने के साथ ट्रिगर का महत्व और बढ़ गया है क्योंकि कीमत आधारित ट्रिगर में सौदे बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के खुद होते हैं और कारोबारी का कीमती समय बच जाता है। आज हम समझेंगे कि ट्रिगर क्या होते हैं और ये इतने महत्वपू्र्ण क्यों हैं.
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क्या होते हैं ट्रिगर?
Trigger बाजार की ऐसी परिस्थितियां होती हैं जिसकी वजह से सौदों का एक निश्चित क्रम शुरू होता है। उदाहरण के लिए स्टॉक में खरीदारी या stock में बिकवाली। मौजूदा समय में ट्रिगर का अर्थ काफी व्यापक है और ये किसी कारोबारी के द्वारा खुद से किए जाने वाले कारोबार से लेकर ऑटोमैटिक सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन तक फैला हुआ है। उदाहरण के लिए एक आम कारोबारी के लिए रिजर्व बैंक के द्वारा दरें बढ़ाने की शुरुआत banking stocks के लिए एक ट्रिगर है। वहीं दूसरी तरफ बेहद तेजी से कारोबार करने वाले कारोबारियों के लिए इस मौके पर बैंकिंग इंडेक्स या किसी बैंक के स्टॉक की कीमतों का एक खास स्तर ट्रिगर है। अगर रिजर्व बैंक दरों में बदलाव करता है तो कारोबारी इसी के हिसाब से रेट sensitive stocks में निवेश करते हैं। वहीं दूसरी तरफ ऑटोमैटिक ट्रांजेक्शन में इस मौके पर प्राइस मूवमेंट शुरू होते ही ट्रिगर प्राइस हिट होने के साथ ही कारोबारी के निर्देशों के अनुसार सिस्टम खुद ही सौदों में खरीद या बिक्री की प्रक्रिया शुरू कर देता है।
क्यों जरूरी होते हैं ट्रिगर?
Warren Buffett से लेकर Rakesh Jhunjhunwala जैसे दिग्गज निवेशकों की माने तो निवेश में सबसे जरूरी सही समय पर कदम उठाना होता है। ट्रिगर उनकी इसी सलाह पर आधारित है। बाजार के दिग्गज अपनी मेहनत का अधिकांश हिस्सा ट्रिगर या ऐसे संकेतों की पहचान करने में लगाते हैं जो सौदों के एक खास क्रम की शुरुआत को बताते हैं। ट्रिगर इस पूरे क्रम का शुरुआती बिंदु होता है। अगर बढ़त की बात करें तो trigger के साथ कारोबारी को इस बढ़त के क्रम की शुरुआत में ही सौदे में उतरने का मौका मिल जाता है और उसका मुनाफा इस पूरे समय में सबसे अधिक रह सकता है। वहीं इसकी विपरीत स्थितियों में यानि नुकसान की स्थितियों में कारोबारी को गिरावट की शुरुआत में ही बाहर निकलने का मौका मिलता है और उसका न केवल नुकसान कम होता है, साथ ही वो गिरावट के क्रम को देखते हुए अपने लिए मुनाफे का सौदा कर सकता है।
5paisa की मदद से उठाए ट्रिगर्स का फायदा
5paisa की मदद से आप भी trigger का फायदा उठा सकते हैं। एप के जरिए आपको ट्रिगर प्राइस देने का का विकल्प मिलता है। ध्यान रखें कि ट्रिगर प्राइस स्टॉप लॉस से अलग होता है। Trigger Price वो स्तर होते हैं जहां आपका ऑर्डर एक्टिव हो जाता है। यानि इस स्तर पर आपका ऑर्डर एक्सचेंज में भेज दिया जाता है। इसका फायदा ये होता है कि अगर आपका क्रम का अनुमान सही है तो आपको ट्रिगर प्राइस और stop loss के बीच में बेहतर कीमत मिल सकती है जिससे आपका नुकसान कम रहता है।
what is stop loss order स्टॉप लॉस आर्डर क्या होता है
what is stop loss order
नमस्ते दोस्तों। आज हम जानने वाले है की what is stop loss order .मतलब स्टॉप लोस आर्डर क्या होता है। और साथ ही हम जानने वाले है की स्टॉप लॉस लगाने के क्या क्या फायदे है। और स्टॉप लॉस ना लगाने के क्या नुकसान है। अपने स्टॉप लॉस नाम तो बहोत बार सुना होगा। लेकिन कभी आपने जानने की कोशिश नहीं की की ये होता क्या है। किससे जुड़ा है। और क्या काम आता है स्टॉप लॉस। तो आज हम इन्ही सब चीजों के बारे में समझने वाले है।तो चलिए समझते है what is stop loss order .
what is stop loss order / स्टॉप लॉस आर्डर क्या होता है
stop loss order वो होता है जहा शेयर बाजार में आप intraday trading करते हो तो आपका नुकसान बच्याने के लिए जो आर्डर लगायी जाती है। उसेही स्टॉप लॉस आर्डर कहा जाता है। शेयर बाजार में आप ट्रेडिंग करते हो तो आपको मुनाफा कमाना होता है। जब आप कोई शेयर खरीदते हो। और अगर आपके विरुद्ध वो शेयर जाता है। तो आप आपके लॉस के मुताबिक स्टॉप लॉस आर्डर लगा सकते हो। तो स्टॉप लॉस एक आपका नुक़सान बचने का काम करता है।
इसे अभी उदाहरण के तौर पर समझते है। समझ लीजिये आपको कोई १०० रुपये का शेयर ख़रीदा। और आपको लगता है की ये शेयर ११० रुपये तक ऊपर जा सकता है। लेकिन आपको शंका है की कही ये निचे ना आजाये। इसीलिए आप स्टॉप लॉस लगाते हो ९८ रुपये का। इसका मतलब अगर शेयर की प्राइज ऊपर जाने की बजाय निचे आती है। तो स्टॉप लॉस लगाने की वजह से आपको सिर्फ २ रुपये का नुकसान होगा। क्युकी स्टॉप लॉस लगाने से आपका शेयर अपने आप ९८ रुपये पे बिक जायेगा।
types of stop loss स्टॉप लॉस के प्रकार
अभी आपको शेयर बाजार में स्टॉप लॉस (what is stop loss orde)क्या होता है ये तो समझ आ गया होगा। अभी हम स्टॉप लॉस के प्रकार कितने और कोनसे होते है। ये समझते है। स्टॉप लोस के दो प्रकार होते है। एक होता है primary stop loss .और एक होता है trailing stop loss . तो जानते हे इनके बारे में विस्तार में।
१.primary stop loss
ये एक फिक्स स्टॉप लॉस होता है। मतलब आप एक फिक्स रेंज में इस स्टॉप लॉस को लगते हो। जैसे की आप इस स्टॉप लॉस को स्टॉक प्राइज के सपोर्ट के निचे लगते हो। ज्यादातर अनुभवी ट्रेडर्स ऐसाही करते है। लेकिन जो शेयर बाजार में नए होते है उन्हें तो स्टॉप लॉस मालूम ही नहीं होता। और जिनको मालूम होता है। वो कभी उसे लगाते ही नहीं है। क्यकि शेयर की प्राइज ऊपर निचे होती रहती है। तो उन्हें लगता है की हमारा स्टॉप लॉस हिट होकर फिरसे प्राइज ऊपर जायेगा। इस सोच की वजह से उन्हें और भी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है।
प्राइमरी स्टॉप लॉस लगाने का भी एक वसूल होता है। यानि की उसकी भी स्ट्रैटर्जी होती है। आप कह भी स्टॉप लॉस नहीं लगा सकते। अगर आपने ऐसा किया तो आपका नुकसान भले ही कम हो लेकिन नुकसान होना तय है।
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इसे एक उदाहरण से समझते है। एक स्टॉक हे जिसे आपको खरीदना है। लिकन आप देख रहे है की शेयर की प्राइज काफी ऊपर निचे हो रही है। तो सिंपल स्ट्रैटर्जी है। आप ऐसी प्राइज ढूंडो जहा से स्टॉक लगातार छू के वापस ऊपर की और जा रहा हो। तो उस छूने वाली प्राइज पर आपको शेयर को खरीदना है। तो आपका स्टॉप लॉस हमेश उसके सपोर्ट यानि की लगातार चुने वाली प्राइज के निचे ही लगाना होगा। उसेही primary stop loss कहा जाता है।
२.trailing stop loss
ये एक स्तालान्तरित स्टॉप लॉस है। यानि की जिस स्टॉप लॉस को आप आपके प्रॉफिट के मुताबिक स्तालान्तरित करते हो उन्हें ही traling stop loss कहा जाता है। मतलब की अगर आपने शेयर को ख़रीदा है। और अगर शेयर प्राइज ऊपर की और जा रही होती है तो आप आपका निचे लगाया हुआ स्टॉप निचे से उठाकर ऊपर की और रख सकते हो।
चलिए इसे भी उदाहरन के तौर पर समझते है। समझो आपने xyz कंपनी के स्टॉक को १०० रुपये में ख़रीदा। और ९८ रुपये पर स्टॉप लॉस लगाया। ज्यादा नुकसान न हो इसीलिए। और अभी आपको लगता है की शेयर की प्राइज ११० रुपये जा सकती है। और जैसे ही शेयर की प्राइज ऊपर जाने लगती है।और १०५ रुपये होती है। तो आपने लगया स्टॉप लॉस क्या होता है? हुआ स्टॉप लॉस आप ९८ रुपये से उठाकर १०३ रुआपये भी रख सकक्ते हो। या आपके हिसाब से १०४ रुपये भी रख सकते हो। उसेही traling stop loss कहा जाता है।
आपको समझ आ ही गया होगा की what is stop loss order और स्टॉप लॉस प्रकार के बारे में अभी हम स्टॉप लॉस के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार में समझते है।
stop loss order lagane ke fayde
स्टॉप लॉस लगाने से आपका नुकसान आप के काबू में होता है। स्टॉप लॉस से आप चाहे उतनाही नुकसान आपको हो सकता है उसके ऊपर आपको नुकसान नहीं हो सकता। मार्किट में अचानक मंदी आती है। और जिस प्राइज पर आपने स्टॉप लॉस लगाए है। उसकी प्राइज पर आपकी पोजीशन एग्जिट हो जाती है।
trailing stop loss का तो नहुत बड़ा फायदे है। जैसे की मैंने बताया जब आप ट्रेडिंग के लिए शेयर खरीदते हो। तो ऊपर जाने पर आप अपना निचे का स्टॉप ऊपर लगा सकते हो।जिससे आपको लॉस होगा ही नहीं। कुछ न कुछ प्रॉफिट तो आपको ट्रेलिंग स्टॉप लॉस से मिल ही जाता है।
stop loss na lagane ke nuksan
अगर आपने किसी स्टॉक में पोजीशन ली है। और अचानक से बाजार में मंदी आती है। और आपने ख़रीदा हुए शेयर में अचानक से गिरावट होने लगती है। तो उस टाइम पर अगर आपने स्टॉप लॉस नहीं लगाया। तो फिर आपका बड़ा नुकसान उठाना पडत है। जब तक आप उस शेयर को बेचने लगोगे तबतक तो शेयर काफी गिर गया होगा।
बहुत लोगो की मानसिकता होती है की शेयर निचे गया है ऊपर भी आएगा। और वो स्टॉप लॉस नहीं लगते। वो फिर भी मार्केट से एग्जिट नहीं करते। और फिर उनका ज्यादा नुकसान दिखने लगता है। तो और ज्यादा वो डरने लगते है। और इतना लॉस में नहीं ले सकता। ऐसा वो सोचने लगते है। लेकिन उनका और भी ज्यादा लॉस हो जाता है। पूरा कैपिटल ही ख़तम हो जाता है।
दरअसल ऐसा दस बार में से एक बार होता है की आपका निचे गया हुआ स्टॉक फिर से ऊपर आया हो। और आपका फायदा हुआ हो। लेकिन आप हर बार ये अंदाजा लेके नहीं चल सकते की स्टॉप लॉस नहीं लगाना शेयर निचे जाके ऊपर आएगा। क्युकी हर बार वो शेयर ऊपर आएगा ही। इस सोच की वजह से लोगो को और भी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है।
what is stop loss order को और बारीकीसे इंग्लिश में समझ ने के लिए आप investopedia.com पर जाकर पढ़ सकते हो।
निष्कर्ष
शेयर बाजार ट्रेडिंग करना एक रिस्क भरा काम है। उनके के अनुभव की जरुरत है। और शेयर बाजार में बहुत उतर चढाव होते रहते है। ऐसे में ट्रेडिंग करते समय अगर आप stop loss नहीं लगते हो ऐसे समय पर आपको भारी नुकसान देखना पड सकता है। तो ट्रेडिंग में हमेश स्टॉप लॉस लगाकर ही अपनी पोजीशन बनाये। ताकि रिस्क आपकी कम रहे।
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