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ETF क्या है?

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ई.टी.एफ. से आप क्या समझते हैं?

कुछ समय पहले सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी विनिर्दिष्ट करते हुए एक्सचेंज़ ट्रेडेड फंड्स (Exchange Traded Funds - ETFs) को बेचने की बजाय इन्हें अपने अधिकार में ही रखने का निर्णय किया गया है। इसी क्रम में हाल ही में एक नवीनतम पहल भारत 22 ई.टी.एफ. शुरू की गई हैं। यह एक ऐसा फंड है जिसमें 22 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ शामिल हैं।

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ईटीएफ और म्युचुअल फंड, निवेश के लिए कौन सा है बेहतर, क्या है दोनों में अंतर

निवेश करने से पहले ये भी जानना जरूरी है कि म्यूचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, दोनों के क्या फायदे और क्या नुकसान हैं. इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की आधिकारिक वेबसाइट nseindia.com पर भी लॉग इन कर सकते हैं.

निवेश के बेहतर उपाय

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gnttv.com

  • नई दिल्ली ,
  • 21 दिसंबर 2021,
  • (Updated 21 दिसंबर 2021, 4:14 PM IST)

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की आधिकारिक वेबसाइट nseindia.com पर भी मिल सकती है जानकारी.

इंडेक्स फंड की तुलना में ईटीएफ में लेनदेन की कम लागत होती है.

इंवेस्टमेंट करने में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को इस बारे में संदेह हो सकता है कि कहां निवेश करना है- म्यूचुअल फंड या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF). निवेश करने से पहले इनके फायदे और नुकसान के बारे में पता होना चाहिए. इस बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करने के इच्छुक व्यक्ति नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की आधिकारिक वेबसाइट nseindia.com पर भी लॉग इन कर सकते हैं. निवेश करने से पहले ये भी जानना जरूरी है कि म्यूचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, दोनों के क्या फायदे और क्या नुकसान हैं.

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF)

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट के अनुसार, ETF सिक्योरिटी के बास्केट होते हैं (सूचकांक) जिनका कारोबार होता है. जैसे व्यक्तिगत स्टॉक या एक्सचेंज पर. नियमित ओपन-एंड म्यूचुअल फंड के विपरीत, ईटीएफ को किसी भी स्टॉक की तरह पूरे ट्रेडिंग डे में खरीदा और बेचा जा सकता है. इंडेक्स फंड की तुलना में ईटीएफ में लेनदेन की कम लागत और वार्षिक परिवर्तन होते हैं. ईटीएफ को जोखिम से बचने और पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों के लिए एक सेफ प्रोडक्ट माना जाता है, खासतौर पर उनके लिए जो बाजार से जुड़े रिटर्न चाहते हैं.

म्यूचुअल फंड्स

NSE वेबसाइट के अनुसार, म्यूचुअल फंड एक निवेश वाहन है जो स्टॉक, बॉन्ड, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने के उद्देश्य से कई निवेशकों से एकत्र किए गए फंड्स के पूल से बना है. म्यूचुअल फंड का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वे छोटे निवेशकों को ETF क्या है? इक्विटी, बॉन्ड और दूसरी सिक्योरिटीज के पोर्टफोलियो तक पहुंच देते हैं, जोकि कम पूंजी के साथ बनाने के लिए काफी मुश्किल होगा.

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड और म्यूचुअल फंड में अंतर

एक निवेशक को यह ध्यान रखना चाहिए कि एक्सचेंज ट्रेडेड फंड स्टॉक की तरह व्यापार करते हैं. जिसकी वजह से ये पारंपरिक म्यूचुअल फंड से ज्यादा फ्लेक्सिबल होते हैं. खासतौर पर निवेशक स्टॉक के रूप में पूरे दिन ईटीएफ का व्यापार कर सकते हैं. इसकी तुलना में, एक पारंपरिक म्यूचुअल फंड में निवेशक केवल फंड के NAV पर यूनिट खरीद सकते हैं, जोकि प्रत्येक ट्रेडिंग डे के अंत में प्रकाशित होता है. वास्तव में, निवेशक ईटीएफ को क्लोजिंग NAV पर नहीं खरीद सकते हैं. ईटीएफ तुरंत व्यापार करने लायक होते हैं, जिसके चलते ईटीएफ के मामले में निवेश के समय ETF क्या है? और व्यापार के समय के बीच मूल्य अंतर का जोखिम काफी कम होता है.

क्या है भारत बॉन्ड ETF? क्या इस ETF में करना चाहिए निवेश? हां, तो कैसे, जानिए सबकुछ

रेटिंग एजेंसियों के डाउनग्रेड या डिफॉल्ट करने पर ETF की वैल्यू पर असर पड़ता है. साथ ही, इसमें निवेश की अवधि 10 साल की है, ऐसे में इतने लॉन्ग टर्म के लिए क्या आप इनवेस्टमेंट के लिए तैयार हैं ?

क्या है भारत बॉन्ड ETF? क्या इस ETF में करना चाहिए निवेश? हां, तो कैसे, जानिए सबकुछ

TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित त्यागी

Updated on: Dec 08, 2021 | 9:45 AM

गाजियाबाद के रहने वाले अजय को पता चला कि, 3 दिसंबर से भारत बॉन्ड ETF 32 निवेशकों के लिए खुल चुका है, लेकिन अजय को यह समझ नहीं आ रहा है कि, क्या उन्हें अपने पोर्टफोलियो में यह बॉन्ड रखना चाहिए या नहीं. दरअसल इस बात को लेकर कन्फ्यूजन है कि, क्या यह बॉन्ड उनके लिए फायदेमंद रहेगा. अगर आप भी अजय के तरह ही इन सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं, तो आज हम आपको बताएंगे कि, क्‍या आपको इस ETF में नि‍वेश करना चा‍हि‍ए और कैसे ?

दरअसल, भारत बॉन्ड ETF सब्सक्रिप्शन के लिए ओपन हो चुका है और इसके तहत आप 9 दिसंबर तक इसे सब्सक्राइब भी कर सकते ETF क्या है? हैं, बता दें, यह लॉन्ग टर्म यानी की10 साल की लंबी अवधि का निवेश है, तो क्या इसे चुनना सही रहेगा, इससे जुड़े जवाब देने से पहले हम आपको बताते हैं भारत बॉन्ड ETF 2032 है क्या?

भारत बॉन्ड ETF 2032 क्या है?

भारत सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के लोन की जरूरतों को पूरा करने के लिए 2019 में सबसे पहले भारत बॉन्ड ETF को पेश किया था. इसमें निवेशकों को अप्रैल 2032 में 6.87 फीसदी ब्याज सहित पूरा पैसा वापस मिल जाएगा. बता दें, भारत बॉन्ड ETF के जरिए सरकार का लक्ष्य खुदरा और संस्थागत निवेशकों से पैसा हासिल करना है. भारत बॉन्ड ETF स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होने वाला फंड है, जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट है, यानी इसे कंपनियों के शेयर्स की तरह खरीदा और बेचा जा सकता है.

बता दें, यह सरकारी ऋण पत्रों में निवेश करता है और फंड की एक तय परिपक्वता भी होती है, जब निवेशक को रिटर्न के साथ अपना निवेश वापस मिलेगा. फंड अवधि के दौरान, इसकी यूनिट को किसी भी समय एनएसई पर खरीद या बेच सकते हैं.

क्या आपको खरीदना चाहिए भारत बॉन्ड ETF?

भारत बॉन्ड ETF म्यूचुअल फंड, ETF और बॉन्ड का बेहतर मिश्रण है, यह देश का सबसे सस्ता म्यूचुअल फंड उत्पाद है, इसकी लागत बहुत कम है. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि, 2 लाख रुपये के निवेश पर इसकी लागत केवल एक रुपये है. दरअसल ETF बहुत लचीला है, इसे आप एक्सचेंज पर कारोबार अवधि के दौरान इसे आसानी से खरीद या बेच सकते हैं. इसके अलावा इसमें जोखिम भी बहुत कम है क्योंकि इसमें केवल AAA रेटिड बॉन्ड में ही निवेश किया जाता है. साथ ही टैक्स लाभ और रीइनवेस्टमेंट का ध्यान भी फंड हाउस की तरफ से रखा जाता है.

वहीं, भारत बॉन्ड ETF 1 लाख रुपये के निवेश पर 6.73 प्रतिशत तक का रिटर्न देता है. इसके अतंर्गत न्यूनतम 1000 रुपये से निवेश किया जा सकता है. बता दे, निवेशक नेट बैंकिंग और यूपीआई के माध्यम से निवेश कर सकते हैं. साथ ही फंड में कोई लडक-इन पीरियड नहीं है. हालांकि फंड ऑफ फंड में अगर आप 30 दिन के अंदर अपने यूनिट का बेचते हैं, तो आपको 0.110 प्रतिशत शुल्क देना होगा जबकि 30 दिन बाद बाहर निकलने पर कोई शुल्क नहीं लगेगा.

इनवेस्ट करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

रेटिंग एजेंसियों के डाउनग्रेड या डिफॉल्ट करने पर ETF की वैल्यू पर असर पड़ेगा. गौरतलब है कि, इसमें निवेश की अवधि 10 साल की है, ऐसे में इतने लॉन्ग टर्म के लिए क्या आप इनवेस्टमेंट के लिए तैयार हैं? वहीं भारत बॉन्ड ETF का नेट एसेट वैल्यू ब्याज दरों में होने वाले उतार चढ़ाव से प्रभावित भी होता है. यानी की जब ब्याज दरें बढ़ती है तब लंबी अवधि वाले फंड के एनएवी घटती है. इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि, मेच्यूरिटी से पहले बाहर निकलने वाले लोगों पर इसका ज्यादा असर पड़ेगा.

उधर इनवेस्टोग्राफी की संस्थापक श्वेता जैन के मुताबिक, शॉर्ट पीरियड में जिन्हें पैसा चाहिए या जो हाई रिटर्न हासिल करना चाहते हैं, उन्हें इस फंड से दूर रहना चाहिए.

Money9 की सलाह

जो निवेशक बिना किसी जोखिम ETF क्या है? के नियमित आय हासिल करना चाहते हैं, वो भारत बॉन्ड ETF 2032 में निवेश कर सकते हैं.

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