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बाजार मूल्य

बाजार मूल्य
कंपनी का एमवी = बकाया शेयरों की संख्या * बाजार मूल्य प्रति शेयर

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बाजार कीमत और सामान्य कीमत में .

Solution : मूल्य-निर्धारण में समय का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। समय के दृष्टिकोण से मूल्य को प्राय: दो भागों में विभाजित बाजार मूल्य किया जाता है-बाजार-मूल्य तथा सामान्य मूल्य। बाजार मूल्य अल्पकाल में निर्धारित मूल्य है, जिसके अंतर्गत वस्तु की पूर्ति लगभग निश्चित होती है। दूसरी ओर, सामान्य मूल्य दीर्घकालीन मूल्य होता है तथा इस अवधि में पूर्ति को पूर्णतया माँग के अनुरूप परिवर्तित किया जा सकता है।
(i) बाजार मूल्य और सामान्य मूल्य की तुलना मूल्य-निर्धारण में समय के महत्त्व को अधिक स्पष्ट कर देती है। बाजार मूल्य और. सामान्य मूल्य में हम निम्नलिखित अंतर पाते हैं-
(i) बाजार-मूल्य अति अल्पकालीन मूल्य है। यह मांग और पूर्ति के अस्थायी संतुलन द्वारा निर्धारित होता है। इसके विपरीत, सामान्त मूल्य दीर्धकालीन मूल्य है तथा इसका निर्धारण माँग और पूर्ति के स्थायी संतुलन से होता है।
(ii) बाजार मूल्य के निर्धारण में पूर्ति की अपेक्षा माँग अधिक सक्रिय होती है। क्योंकि अति अल्पकाल में पूर्ति की मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर, सामान्य मूल्य के निर्धारण में पूर्ति की प्रधानता रहती है, क्योंकि इसके अंतर्गत पूर्ति को आवश्यकतानुसार घटाया-बदाया जा सकता है।
(iii) बाजार मूल्य अत्यंत परिवर्तनशील होता है। यह प्रतिदिन या दिन में कई बार बदल सकता है। लेकिन, सामान्य मूल्य अधिक स्थायी होता है तथा इसमें बहुत कम परिवर्तन होते हैं।
(बाजार मूल्य iv) बाजार-मूल्य अस्थायी कारणों तथा तात्कालिक घटनाओं से प्रभावित होता है, जबकि सामान्य मूल्य स्थायी तत्वों से नियंत्रित होता है।
(v) बाजार-मूल्य वास्तविक मूल्य है जो किसी विशेष समय में बाजार में प्रचलित रहता है। वस्तुओं या सेवाओं का क्रय-विक्रय इसी मूल्य पर होता है। परंतु, सामान्य मूल्य काल्पनिक या अमूर्त होता है जो वास्तविक जीवन में नहीं पाया जाता। सामान्य मूल्य वह है जो होना चाहिए या जो सामान्य अवस्थाओं में प्रचलित रहता है। लेकिन, व्यावहारिक जगत में परिस्थितियाँ कभी भी पूर्णत: सामान्य नहीं होती है। अत: सामान्य मूल्य भी वास्तविकता में नहीं बदल पाता।
(vi) बाजार मूल्य उत्पादन-व्यय से कम या अधिक दोनों हो सकता है। लेकिन, सामान्य मूल्य हमेशा उत्पादन-व्यय के बराबर होता है।
(vii) बाजार मूल्य सभी प्रकार की वस्तुओं का होता है चाहे उनका पुन: उत्पादन हो सकता हो या नहीं। किंतु, सामान्य मूल्य केवल उन्हीं वस्तुओं का होता है जिनका पुनरुत्पादन संभव हो।

बाजार मूल्य

Market-value

यह अपने बकाया शेयरों की संख्या को मौजूदा शेयर मूल्य से गुणा करके प्राप्त किया बाजार मूल्य जाता है। बाजार मूल्य वह मूल्य है जो एक परिसंपत्ति बाजार में प्राप्त करेगी। एक कंपनी का बाजार मूल्य उसकी व्यावसायिक संभावनाओं के बारे में निवेशकों की धारणा का एक अच्छा संकेत है।श्रेणी बाजार में बाजार मूल्य बहुत बड़ा है, छोटी कंपनियों के लिए INR 500 करोड़ से कम से लेकर बड़े आकार की सफल कंपनियों के लिए लाखों तक।

स्टॉक और फ्यूचर्स जैसे एक्सचेंज-ट्रेडेड इंस्ट्रूमेंट्स के लिए बाजार मूल्य निर्धारित करना सबसे आसान है, क्योंकि उनके बाजार मूल्य व्यापक रूप से प्रसारित और आसानी से उपलब्ध हैं, लेकिन फिक्स्ड जैसे ओवर-द-काउंटर उपकरणों के लिए पता लगाना थोड़ा अधिक चुनौतीपूर्ण है।आय प्रतिभूतियां।

हालांकि, बाजार मूल्य निर्धारित करने में सबसे बड़ी कठिनाई के मूल्य का अनुमान लगाने में हैअनकदी अचल संपत्ति और व्यवसायों जैसी संपत्ति, जिन्हें क्रमशः अचल संपत्ति मूल्यांककों और व्यवसाय मूल्यांकन विशेषज्ञों के उपयोग की आवश्यकता हो सकती है।

बाजार मूल्य फॉर्मूला

किसी कंपनी के बाजार मूल्य (एमवी) की गणना निम्न सूत्र का उपयोग करके की जाती है:

कंपनी का एमवी = बकाया शेयरों की संख्या * बाजार मूल्य प्रति शेयर

बाजार मूल्य का निर्धारण निवेशकों द्वारा कंपनियों को दिए गए मूल्यांकन या गुणकों द्वारा किया जाता है, जैसे मूल्य-से-बिक्री, मूल्य-से-आय,उद्यम मान-प्रति-EBITDA, और इसी तरह। मूल्यांकन जितना अधिक होगा, बाजार मूल्य उतना ही अधिक होगा।

बाजार मूल्य का महत्व

प्रारंभिक खरीद से पहले किसी परिसंपत्ति के बाजार मूल्य के भविष्य के अनुमान पर विचार किया जाना चाहिए। विशेष रूप से प्रतिभूतियों और शेयरों के मामले में क्योंकि यहां निवेश भविष्य के मूल्य की धारणा के साथ किया जाता है।

उनके तहत बाजार मूल्य रखने वाली कंपनियांपुस्तक मूल्य अक्सर निवेशकों से अपील कर बाजार मूल्य रहे हैं क्योंकि यह इंगित करता है कि इन व्यवसायों का मूल्यांकन कम हो सकता है।

बाजार मूल्य और बुक वैल्यू के बीच अंतर

बुक वैल्यू यह दर्शाता है कि किसी व्यवसाय बाजार मूल्य का उसके वित्तीय के अनुसार क्या मूल्य है। जबकि, बाजार मूल्य बाजार सहभागियों के रूप में व्यवसाय के मूल्य को दर्शाता है।

बुक वैल्यू कंपनी की इक्विटी का मूल्य निर्धारित करती है, जो कि इक्विटी वैल्यू हैशेयरधारकों कंपनी के परिसमापन के मामले में प्राप्त करना चाहिए। दूसरी ओर, अत्यधिक के लिए बाजार मूल्य आसानी से निर्धारित किया जा सकता हैचल परिसंपत्ति जैसे किइक्विटीज या वायदा।

बाजार मूल्य क्या हैं | What Is Market Price In Hindi

बाजार मूल्य से बाजार मूल्य आप क्या समझते हैं। इसको जानने से पहले आपको बाजार और मूल्य दोनों के बारे में काफी अच्छे से जाना होगा तब जाकर आप अपने प्रोडक्ट को बाजार में उतार कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। तो आइए समझते हैं बाजार का अर्थ क्या होता हैं?

बाजार का अर्थ क्या हैं?

बाजार शब्द से आश्य एक ऐसे स्थान या फिर जगह से होता है जहां पर क्रेता और विक्रेता उपस्थित होकर आपस में लेन-देन करते हैं। लेन-देन में वस्तु, सामग्री या सेवाएं शामिल हो सकती हैं।

मूल्य से क्या आश्य हैं?

सामान्य अर्थ में किसी वस्तु को खरीदने के लिए जो पैसे दिए जाते हैं वह उस वस्तु का मूल्य (दाम) कहलाता हैं। इस मूल्य में वस्तु की लागत, मुनाफा आदि सभी कुछ सम्मिलित होती हैं।

बाजार मूल्य क्या हैं?

जो मूल्य अति अल्पकालीन बाजार में प्रचलित रहता है उसे बाजार मूल्य कहते हैं। इस प्रकार से ,
बाजार मूल्य ऐसे बाजार में होता है जिसकी अवधि कुछ घंटों, कुछ दिनों अथवा कुछ सप्ताहों की होती हैं। यह मूल्य, मांग और पूर्ति के अस्थायी संतुलन के द्वारा निर्धारित होता है जिसमें मांग पक्ष का प्रभाव पूर्ति पक्ष की अपेक्षा अधिक रहता है।

पूर्ति प्रायः स्थिर रहती है और मूल्य में परिवर्तन मांग में परिवर्तन होने से होता हैं। पूर्ति स्थिर रहने से यदि मांग बढ़ती है तो मूल्य भी घट जाता है।

अस्थायी संतुलन का अर्थ है कि मांग बाजार मूल्य और पूर्ति का अभियोजन तथा सामंजस्य स्थिर नहीं होता और कुछ समय में बदलता रहता है जिसके फलस्वरूप बाजार मूल्य भी बहुत अधिक परिवर्तनशील होता है।

स्टीगलर के शब्दों में – बाजार मूल्य समय की उस अवधि के मूल्य को कहते हैं जिसमें वस्तु की पूर्ति स्थिर रहती हैं।

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बाजार मूल्य का निर्धारण कैसे होता हैं?

बाजार मूल्य मांग और पूर्ति के अस्थायी संतुलन के द्वारा निर्धारित होता है जो अल्पकालीन मूल्य होता हैं। अल्पकालीन बाजार में पूर्ति बाजार मूल्य स्थिर रहती है और मूल्य निर्धारण में मांग की प्रधानता रहती हैं। बाजार मूल्य के निर्धारण में मांग और पूर्ति दोनों ही शक्तियां कार्यरत रहती है लेकिन पूर्ति की अपेक्षा मांग की प्रधानता अधिक रहती हैं। यह इसलिए होता है कि अति अल्पकालीन बाजार में मांग में होने वाले परिवर्तन के अनुसार पूर्ति में परिवर्तन नहीं होता।

यदि मांग बढ़ जाती है बाजार मूल्य तो मूल्य भी बढ़ जाता है और विक्रेता को बहुत अधिक लाभ होता हैं। यदि मांग घट जाती है तो मूल्य घट जाता हैं और विक्रेता को हानि होता है लेकिन यह नहीं समझना चाहिए कि पूर्ति का मूल्य पर कुछ भी प्रभाव नहीं होता हैं। पूर्ति का भी प्रभाव पड़ता हैं।

जैसा कि प्रो मार्शल ने लिखा है कि……….

जिस प्रकार किसी वस्तु को काटने में कैंची की दोनों ही धार की जरूरत होती है कैंची की स्थिर धार की अपेक्षा चलायी जाने वाली धार अधिक क्रियाशील रहती है, अधिक महत्व रखती है, उसी प्रकार बाजार मूल्य में भी मांग और पूर्ति दोनों का ही रहना जरूरी है परंतु मूल्य निर्धारण में पूर्ति की अपेक्षा मांग का महत्व अधिक होता हैं।

बाजार में मूल्य का निर्धारण कैसे होता है?

बाजार मूल्य प्रायः नाशवान वस्तुओं ( Perishable Goods ) बाजार मूल्य का होता हैं। ऐसी वस्तुओं की पूर्ति मांग के बढ़ने- घटने के साथ बढ़ायी-घटायी नहीं जा सकती।

जैसे दूध शार्क मछली का बाजार अतुल कालीन बाजार होता है मछली के मूल्य निर्धारण के उदाहरण से बाजार मूल्य के निर्धारण को अधिक स्पष्ट किया जा सकता है

मछली एक नाशवान वस्तु हैं। बाजार में हर समय उसकी पूर्ति भी निश्चित नहीं होती हैं। मछली का विक्रेता चाहता है कि मछली जल्दी ही बिक जाए अगर ऐसा नहीं होता है बाजार मूल्य तो वह खराब हो जाता है और विक्रेता को घाटा लग जाता है। परंतु मछली के मूल्य निर्धारण में मांग की प्रधानता होती हैं।

यदि खरीदने वालों की मांग अधिक होगी तो विक्रेता मछली का मूल्य बढ़ा देता हैं। इस प्रकार मांग घटने से मूल्य भी घट जाता है और बढ़ने से मूल्य भी बढ़ जाता है यदि विक्रेता कम मूल्य पर मछली बेचना नहीं चाहेगा तो मछली उसी के पास रह जाएगी और खराब हो जाएगी और उसे कुछ भी पैसा नहीं मिल पाएगा। इसलिए वह कम मूल्य पर बेचने को तैयार हो जाता है।

बाजार मूल्य

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10 रु. वाले शेयर का बाजार मूल् .

10 रु. वाले शेयर का बाजार मूल्य 15 रु. है। गणेश ऐसे 100 शेयर खरीदता है। यदि कम्पनी 8% लाभांश देती है, तो इन शेयर पर उसकी वार्षिक आय क्या होगी ?

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