उपयोगी लेख

लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है

लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है
इसके अलावा, एसबीआई लाइफ़ की बचत और निवेश प्लान चुनने के लिए बड़ी संख्या में विकल्पों के साथ आते हैं, चाहे वह निवेश के लिए फंड हो, बीमा राशि, प्रीमियम भुगतान की शर्तें, आदि.

तंग मौद्रिक नीति_30.1

Investment बढ़ती ब्याज दरें: बैंक FD या म्यूचुअल फंड, क्या बेहतर?

मुंबई: विश्व स्तर पर रिकॉर्ड तोड़ महंगाई (High Inflation) को काबू में करने के लिए तमाम देशों के केंद्रीय बैंक (Central Banks) ब्याज दरों (Interest Rates) में लगातार वृद्धि कर रहे हैं। यह बात अलग है कि इसके बावजूद महंगाई क‍ंट्रोल में नहीं आ रही है। लिहाजा ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी का क्रम जारी है। बीते सप्ताह अमेरिका के फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) तथा बैंक ऑफ इंग्लैंड ने अपनी दरों में फिर 0.75% की बड़ी वृद्धि करने की घोषणा की। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी मई 2022 से अब तक 4 बार अपनी ब्याज दर यानी रेपो रेट (Repo Rate) में कुल 1.90% की बढ़ोत्तरी कर चुका है तथा आगे और वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है। अब रेपो रेट 5.90% हो गयी है, जो अप्रैल 2022 में 4% के न्यूनतम स्तर पर थी। आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में लगातार वृद्धि के कारण देश में वाणिज्यिक बैंक भी सावधि जमा दरों यानी फिक्स डिपॉजिट (Fixed Deposit-FD) रेट्स बढ़ा रहे हैं।

बैंक ला रहे हैं ज्यादा ब्याज वाली विशेष स्कीम

अब जबकि लोन डिमांड ज्यादा आ रही है और डिपॉजिट्स कम तो लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए बैंकों के बीच जमा राशि आकर्षित करने की प्रतिस्पर्धा शुरू हो गयी है। इसी कारण कई बैंक अधिक ब्याज वाली विशेष जमा स्कीम लॉन्च करने लगे हैं। देश के तीसरे बड़े सरकारी बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) ने ‘बड़ौदा तिरंगा प्लस डिपॉजिट’ स्कीम शुरू की है। इस स्कीम में जमाकर्ता को 399 दिनों की अवधि की जमा पर 6.75% की दर से ब्याज मिलेगा। इसमें वरिष्ठ नागरिकों को आधा फीसदी ज्यादा ब्याज दिया जाएगा। इसी तरह IDBI Bank ने 700 दिनों की अवधि वाली विशेष ‘अमृत महोत्सव डिपॉजिट’ स्कीम शुरू की है, जिसमें आम जमाकर्ता को 7% एवं वरिष्ठ नागरिकों को 7.50% की दर से ब्याज मिलेगा। इसके अलावा 555 दिनों की अवधि वाली स्कीम में 6.50% एवं लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है वरिष्ठ नागरिकों को 7% ब्याज प्रतिफल ऑफर दिया रहा है। जबकि बैंक ऑफ इंडिया (Bank of india) 777 दिनों की अवधि वाली विशेष ‘स्टार सुपर ट्रिपल सेवन फिक्स डिपॉजिट’ स्कीम लेकर आया है। इसमें बैंक आम जमाकर्ता को 7.25% तथा वरिष्ठ नागरिक को 7.75% ब्याज देगा। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) 599 दिनों की अवधि वाली अपनी विशेष स्कीम में 7% ब्याज प्रतिफल ऑफर कर रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र का ही केनरा बैंक (लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है Canara Bank) 666 दिनों की अवधि वाली अपनी विशेष स्कीम में आम जमाकर्ता को 7% तथा वरिष्ठ नागरिकों को 7.5% ब्याज दे रहा है। जबकि निजी क्षेत्र का IDFC फर्स्ट बैंक (IDFC First Bank) 750 दिनों की अवधि वाली अपनी विशेष डिपॉजिट स्कीम में आम जमाकर्ता को 7.25% तथा वरिष्ठ नागरिकों को 7.75% ब्याज दे रहा है।

म्यूचुअल फंडों की तरफ हुआ झुकाव

विगत 3 वर्षों में ब्याज दरों में लगातार कटौती किए जाने से एक महत्वपूर्ण बदलाव यह आया है कि आम निवेशकों की बचत (Savings) अब बैंकों में कम और म्यूचुअल फंडों (Mutual Funds) में ज्यादा जाने लगी है। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय परिवारों की कुल फाइनेंशियल एसेट्स में बैंक डिपॉजिट की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2022 में घटकर 25.5% रह गयी है, जो वित्त वर्ष 2022 में 34.4% के स्तर पर थी। इसके विपरीत विगत 3 वर्षों में म्यूचुअल फंडों की हिस्सेदारी 2.6% से बढ़कर 6.3% पर पहुंच गयी है। इसी तरह इक्विटी मार्केट (Equity Market) में भी बचत का हिस्सा 1.1% से बढ़कर 1.9% हो गया है। स्पष्ट है कि बैंकों में ब्याज कमाई घटने के कारण लोग अब ज्यादा रिटर्न (Return) के लिए म्यूचुअल फंडों और इक्विटी मार्केट की तरफ रूख कर रहे हैं। इसी वजह से म्यूचुअल फंडों में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए हर माह लगभग 13,000 करोड़ रुपए का निवेश लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है आने लगा है। विश्लेषकों का कहना है कि 3 से 10 साल की अवधि में यानी लॉन्ग टर्म में अच्छी वेल्थ बनाने के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड एक बढ़िया विकल्प है, निफ्टी (Nifty) आधारित ईटीएफ स्कीमों में 10 साल में 12 से 14% वार्षिक रिटर्न मिला है, लेकिन विगत 1 साल में मात्र 1% का ही रिटर्न मिला है। ICICI प्रू निफ्टी नेक्स्ट 50 इंडेक्स फंड (ICICI Pru Nifty Next 50 Index Fund) ने 1 साल में तो 0.9%, लेकिन 10 साल में 14.5% का वार्षिक रिटर्न दिया है। परंतु वर्तमान में बाजार में भारी उतार-चढ़ाव और बढ़ती ब्याज दरों के मद्देनजर 1 से 3 साल की अवधि के लिए बैंक लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है एफडी अधिक सुरक्षित विकल्प है, जहां 6 से 7% का फिक्स रिटर्न मिल रहा है।

चर्चा में क्यों है?

  • महंगाई पर दृष्टि, भारतीय रिजर्व बैंक इस वर्ष तीसरी बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने जा रहा है।
  • मौद्रिक नीति आरबीआई अधिनियम, 1934 में निर्दिष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मौद्रिक साधनों का उपयोग करने में केंद्रीय बैंक की नीति को संदर्भित करती है।
  • आरबीआई की मौद्रिक नीति का उद्देश्य विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है जो सतत विकास के लिए एक आवश्यक पूर्व शर्त है।
  • संशोधित आरबीआई अधिनियम, 1934 रिजर्व बैंक के परामर्श से भारत सरकार के लिए मुद्रास्फीति लक्ष्य (4% + -2%) निर्धारित करता है।

मौद्रिक नीति के उपकरण

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी/एलएएफ)- एलएएफ में ओवरनाइट एवं आवधिक रेपो नीलामियां शामिल हैं।
  • बैंक दर- वह दर जिस पर आरबीआई विनिमय के बिल या अन्य वाणिज्यिक पत्र का क्रय करने के लिए तैयार है। बैंक दर आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 49 के तहत प्रकाशित की जाती है।
  • रेपो दर- वह ब्याज दर जिस पर रिजर्व बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत सरकार एवं अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है के संपार्श्विक के विरुद्ध बैंकों को तरलता प्रदान करता है।
  • रिवर्स रेपो दर- वह ब्याज दर जिस पर रिजर्व बैंक एलएएफ के तहत पात्र सरकारी प्रतिभूतियों के संपार्श्विक के विरुद्ध बैंकों से ओवरनाइट आधार पर तरलता को अवशोषित करता है।
  • सांविधिक चलनिधि अनुपात (स्टेट्यूटरी लिक्विडिटी रेशियो/एसएलआर) – एनडीटीएल का वह हिस्सा जिसे बैंक को सुरक्षित एवं तरल संपत्तियों में बनाए रखने की आवश्यकता होती है, जैसे कि बिना भार वाली सरकारी प्रतिभूतियां, नकद एवं स्वर्ण में परिवर्तन जो प्रायः निजी क्षेत्र को उधार देने हेतु बैंकिंग प्रणाली में संसाधनों की उपलब्धता को प्रभावित करते हैं।
  • नकद आरक्षित अनुपात (कैश रिजर्व रेश्यो/सीआरआर) – औसत दैनिक शेष जो एक बैंक को रिजर्व बैंक के पास अपनी शुद्ध मांग एवं समय देनदारियों (नेट डिमांड एंड टाइम लायबिलिटी/एनडीटीएल) के ऐसे प्रतिशत के हिस्से के रूप में बनाए रखने की आवश्यकता होती है जिसे रिजर्व बैंक समय-समय पर भारत के राजपत्र में अधिसूचित कर सकता है।
  • सीमांत स्थायी सुविधा (मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी/MSF) – एक ऐसी सुविधा जिसके तहत अधिसूचित वाणिज्यिक बैंक अपने सांविधिक तरलता अनुपात (स्टेटयूरी लिक्विडिटी रेश्यो/SLR) पोर्टफोलियो में एक सीमा तक ब्याज की दंडात्मक दर पर पैसा निकाल कर रिज़र्व बैंक से अतिरिक्त राशि उधार ले सकते हैं।
  • मुक्त बाजार संक्रियाएं (ओपन मार्केट ऑपरेशंस/ओएमओ) – इनमें क्रमशः स्थाई तरलता के अंतःक्षेपण एवं अवशोषण के लिए सरकारी प्रतिभूतियों की एकमुश्त खरीद एवं बिक्री दोनों सम्मिलित होते हैं।

भारत में मौद्रिक नीति

  • भारतीय रिजर्व बैंक भारत में मौद्रिक नीति के माध्यम से देश में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करता है।
  • भारतीय रिजर्व लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है बैंक (RBI) को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य मौद्रिक नीति के संचालन का उत्तरदायित्व सौंपा गया है।
  • मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की आवश्यकता है एवं इसके लिए भारत सरकार प्रत्येक पांच वर्ष के लिए मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित करती है जिसमें मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के संबंध में परामर्श प्रक्रिया में आरबीआई की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  • भारत में वर्तमान मुद्रास्फीति-लक्षित ढांचा प्रकृति में लचीला है।
  • भारत में मुद्रास्फीति लक्ष्य कौन निर्धारित करता है: संशोधित आरबीआई अधिनियम में रिजर्व बैंक के परामर्श से भारत सरकार द्वारा प्रत्येक पांच वर्ष में एक बार मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित करने का प्रावधान है।

भारत में मुद्रास्फीति

  • अंतिम तिमाही में 2021-22 में विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग 75.3 प्रतिशत हो गया, जबकि इसके दीर्घकालिक औसत 73.7 प्रतिशत था।
  • आरबीआई ने भी वर्ष 2022-23 के लिए महंगाई दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
  • जबकि उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति अप्रैल में अपने उछाल से कम हुई है, आरबीआई ने कहा कि यह असुविधाजनक रूप से उच्च एवं लक्ष्य की ऊपरी सीमा से ऊपर है।
  • जबकि भारतीय रिजर्व बैंक ने दूसरी तिमाही के लिए 7.1 प्रतिशत की लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया था, यह अपेक्षा करता है कि यह तीसरी तिमाही में घटकर 6.4 प्रतिशत; एवं चौथी तिमाही में घटकर 5.8 प्रतिशत हो जाएगा। इसने 2023-24 की पहली तिमाही में मुद्रास्फीति के 5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है।

तंग मौद्रिक नीति_50.1

एसबीआई इनवेस्टमेंट प्लान

एसबीआई इनवेस्टमेंट प्लान ग्राहकों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए प्रसिद्ध और विश्वसनीय विकल्पों में से एक है। 2001 से, कंपनी अपने ग्राहकों की हर बीमा और निवेश आवश्यकताओं की देखभाल करती है और अपने विभिन्न प्रकार के बीमा उत्पादों के माध्यम से इसके लिए समाधान प्रदान करती है। एसबीआई निवेश योजनाएँ आपको धन सृजन के लिए वांछित सुरक्षा और अवसर प्राप्त करने की अनुमति देती हैं। भुगतान किए गए प्रीमियम का एक हिस्सा आपको बीमा कवरेज प्रदान करने के लिए उपयोग किया जाता है और शेष राशि आपकी जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार वित्तीय साधन में निवेश की जाती है।

विभिन्न प्लान जैसे कि 5 साल के लिए एसबीआई इन्वेस्टमेंट प्लान और 7 साल के लिए एसबीआई इनवेस्टमेंट प्लान आपको भविष्य के लिए फाइनेंशियल कॉर्पस बनाने में मदद करते हैं- चाहे वह आपके बच्चे की शादी, शिक्षा या रिटायरमेंट सेविंग के लिए हो। एसबीआई लाइफ़ द्वारा पेश किए गए एसबीआई निवेश प्लान किसी व्यक्ति को निवेश और बीमा का दोहरा लाभ प्राप्त करने की अनुमति देते हैं। आपको भविष्य के लिए अपने पैसे बचाने के साथ-साथ बाजार में निवेश करके अपने धन की राशि बढ़ाने का लाभ मिलता है।

एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस की मुख्य विशेषताएं

एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस भारत में सबसे भरोसेमंद बीमा प्रदाताओं में से एक है। भारत में इतनी सारी जीवन बीमा कंपनियां उपलब्ध होने के लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है कारण, सही बीमा कंपनी चुनना एक मुश्किल काम हो सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि आप सही इंश्योरर और सही प्लान चुनें जो आपके परिवार की संभावित ज़रूरतों के लिए सबसे उपयुक्त हो। इसलिए, किसी भी जीवन बीमा कंपनी को चुनने से पहले, आपको बीमा कंपनी के कुछ महत्वपूर्ण कारकों जैसे कि क्लेम सेटलमेंट रेशियो, सॉल्वेंसी रेशियो, वार्षिक प्रीमियम और ऑपरेटिंग नेटवर्क की जांच करनी होगी।

एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के प्रदर्शन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, नीचे दी गई प्रमुख विशेषताओं पर एक नज़र डालें, जो कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर विश्लेषण करने में आपकी मदद करेंगी:

Bank Account Minimum Balance Rule : बैंक अकाउंट में मिनिमम बैलेंस न रखने वालों पर इसलिए नहीं लगेगा जुर्माना

बैंक में सेविंग्स अकाउंट खुलवाने पर आपको एक मिनिमम बैलेंस का नियम फॉलो करना होता है। हर बैंक की अपनी एक अलग मिनिमम बैलेंस लिमिट होती है, जिसे कस्टमर को मेंटेन करना होता है। अगर अकाउंट में इससे नीचे पैसा होता है तो बैंक अकाउंटहोल्डर पर जुर्माना लगाता है जो उसके अमाउंट से ही कट जाता है।

Bank Account Minimum Balance Rule : बैंक अकाउंट में मिनिमम बैलेंस न रखने वालों पर इसलिए नहीं लगेगा जुर्माना

HR Breaking News (डिजिटल डेस्क)। हर बैंक की अपनी एक अलग मिनिमम बैलेंस लिमिट होती है, जिसे कस्टमर को मेंटेन करना होता है. अगर अकाउंट में इससे नीचे पैसा होता है तो बैंक अकाउंटहोल्डर पर जुर्माना लगाता है जो उसके अमाउंट से ही कट जाता है. लेकिन अगर नियम बदल जाए तो?

रेटिंग: 4.30
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 144
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *