सीएफडी मॉडलिंग

बारे में
पिछले कुछ दशकों में सीएसआईआर-आईआईपी में पूरी की गई अधिकांश परियोजनाओं में मॉडलिंग और सिमुलेशन क्षेत्र (एमएसए) का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इन पूर्ण परियोजनाओं में से कई को स्वदेशी प्रौद्योगिकियों में बदल दिया गया था, और इनमें से कुछ का रिफाइनरियों में सफलतापूर्वक व्यावसायीकरण किया गया था। इसके अलावा, इस क्षेत्र ने कई सैद्धांतिक और समीक्षा अध्ययन पूरे किए हैं जो बेहतर प्रक्रिया समझ के लिए महत्वपूर्ण हैं, इस प्रकार रिफाइनरियों और फंडिंग एजेंसियों को उनकी रणनीतियों को निर्देशित करने में मदद करते हैं।
MSA रिफाइनिंग और रासायनिक उद्योगों के लिए प्रक्रिया विकास के क्षेत्रों में काम कर रहे CSIR IIP के सभी डिवीजनों को सेवाएं प्रदान करता है। हमारे पास छोटे और बड़े पैमाने के प्रोसेस उद्योगों से प्रोसेस इंजीनियरिंग चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छी सुविधाओं वाली एक मजबूत टीम है।
हमारे विशेषज्ञ
- Development of Steady State and Dynamic Simulation models of सीएफडी मॉडलिंग processes.
- Pinch analysis
- Process synthesis and design
- Process scale-up
- Revamp and retrofitting of refinery’s process
- Processes integration
- Development of Detailed Technology Information Package (TIP)
हमने अब नए चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता में विविधता लाना और विकसित करना शुरू कर दिया है:
- लुगदी और पेपर मिल और रासायनिक उद्योगों में सौर तापीय ऊर्जा के कुशल एकीकरण के लिए सौर-आधारित थर्मल हीटिंग सिस्टम और संचालन रणनीतियों का मूल्यांकन।
- लुगदी और पेपर मिल और रासायनिक उद्योगों में सौर ऊर्जा के एकीकरण के लिए तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता।
- गैर-पारंपरिक प्रक्रियाओं जैसे अवायवीय जैव-पाचक के प्रदर्शन में सुधार के लिए कुशल डिजाइन और नियंत्रण रणनीतियों का विकास।
- लुगदी और कागज मिलों, चीनी मिलों, इस्पात और रासायनिक उद्योगों के लिए Pinch Analysis का अनुप्रयोग।
- प्रक्रिया उद्योगों में सीएफडी आवेदन की खोज।
हमारा उद्देश्य खुद को तकनीकी रूप से अपडेट रखना और भविष्य में आने वाली समस्याओं के लिए तैयार रहना है।
मैकेनिकल इंजीनियर्स को अब सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में भी मिल रही जॉब
जयपुर । पूर्णिमा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की ओर से रोल ऑफ सीएफडी इन मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेसेज विषय पर ऑनलाइन नेशनल वर्कशॉप आयोजित की गई। इसमें प्रतिभागियों को मैन्यूफैक्चरिंग प्रक्रियाओं में कंप्यूटेशनल फ्लूइड डायनेमिक्स की भूमिका के बारे में जानकारी दी गई। विशेषज्ञ वक्ताओं में एनआईटी कालीकट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुमेर दिरबुदे, बीआईडब्लू डिजाइन सीएफडी मॉडलिंग के डिजाइन इंजीनियर अरुण गौतम और पीसीई के असिस्टेंट प्रोफेसर संजय कुमावत शामिल थे। वर्कशॉप में देश विदेश के 200 से अधिक फैकल्टी मेम्बर, रिसर्च स्कॉलर और स्टूडेंट्स शामिल हुए।
वर्कशॉप के समन्वयक डॉ.सुरेंद्र कुमार सैनी ने इसके विषय के बारे में जानकारी दी। पहले एक्सपर्ट सेशन में डॉ.सुमेर दिरबुदे ने इंट्रोडक्शन एंड एप्लीकेशंस ऑफ सीएफडी इन मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेसेज विषय पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मैकेनिकल इंजीनियर्स अब सॉफ्टवेयर कंपनियों में भी जॉब कर रहे हैं, जहां वे एडवांस्ड मैन्यूफैक्चरिंग प्रक्रियाओं के लिए डिजाइन, मॉडलिंग और एनालिसिस सॉफ्टवेयर विकसित कर रहे हैं। एनालिसिस यूजिंग एएनएसवाईएस विषय पर हैंड्स ऑन सैशन में संजय कुमावत ने एएनएसवाइएस सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हुए इंडस्ट्री प्रॉबलम का सीएफडी एनालिसिस कर उसका समाधान सामने रखा। अंत में मेजबान कॉलेज के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के एचओडी डॉ.नारायण लाल जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
मैकेनिकल इंजीनियर्स को अब सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में भी मिल रही जॉब
जयपुर । पूर्णिमा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की ओर से रोल ऑफ सीएफडी इन मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेसेज विषय पर ऑनलाइन नेशनल वर्कशॉप आयोजित की गई। इसमें प्रतिभागियों को मैन्यूफैक्चरिंग प्रक्रियाओं में कंप्यूटेशनल फ्लूइड डायनेमिक्स की भूमिका के बारे में जानकारी दी गई। विशेषज्ञ वक्ताओं में एनआईटी कालीकट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुमेर दिरबुदे, बीआईडब्लू डिजाइन के डिजाइन इंजीनियर अरुण गौतम और पीसीई के असिस्टेंट प्रोफेसर संजय कुमावत शामिल थे। वर्कशॉप में देश विदेश के 200 से अधिक फैकल्टी मेम्बर, रिसर्च स्कॉलर और स्टूडेंट्स शामिल हुए।
वर्कशॉप के समन्वयक डॉ.सुरेंद्र कुमार सैनी ने इसके विषय के बारे में जानकारी दी। पहले एक्सपर्ट सेशन में डॉ.सुमेर दिरबुदे ने इंट्रोडक्शन एंड एप्लीकेशंस ऑफ सीएफडी इन मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेसेज विषय पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मैकेनिकल इंजीनियर्स अब सॉफ्टवेयर कंपनियों में भी जॉब कर रहे हैं, जहां वे एडवांस्ड मैन्यूफैक्चरिंग प्रक्रियाओं के लिए डिजाइन, मॉडलिंग और एनालिसिस सॉफ्टवेयर विकसित कर रहे हैं। एनालिसिस यूजिंग एएनएसवाईएस विषय पर हैंड्स ऑन सैशन में संजय कुमावत ने एएनएसवाइएस सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हुए इंडस्ट्री प्रॉबलम का सीएफडी एनालिसिस कर उसका समाधान सामने रखा। अंत में मेजबान कॉलेज के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के एचओडी डॉ.नारायण लाल जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
दिल्ली: कनॉट प्लेस में देश के पहले स्मॉग टावर की शुरुआत, ऐसे कम होगा प्रदूषण
दिल्ली के कनॉट प्लेस में देश के पहले स्मॉग टावर की शुरुआत हुई है. अमेरिकी तकनीक से बने इस स्मॉग टावर की खासियत यह है कि यह हवा में मौजूद प्रदूषण की मात्रा को कम करता है. इसका उद्घाटन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किया है.
पंकज जैन
- नई दिल्ली,
- 23 अगस्त 2021,
- (अपडेटेड 23 अगस्त 2021, 10:40 PM IST)
- अमेरिकी तकनीक पर आधारित है स्मॉग टावर
- प्रदूषण कम करने में साबित होगा मददगार
- प्रोजेक्ट के नतीजे रहे बेहतर, मिलेगी साफ हवा
दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के मकसद से देश का पहला स्मॉग टावर कनॉट प्लेस में लगाया गया है. अमेरिकी तकनीक से बना यह स्मॉग टावर हवा में प्रदूषण की मात्रा को कम करेगा. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कनॉट प्लेस में सोमवार को देश के पहले स्मॉग टावर का उद्घाटन किया. इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि अगर इस प्रोजेक्ट के नतीजे बेहतर रहे, तो पूरी दिल्ली में ऐसे और स्मॉग टावर लगाए जाएंगे.
सीएम केजरीवाल ने कहा कि आज तक देश में ऐसे टावर लगाकर प्रदूषित हवा को साफ करने की कोशिश नहीं की गई. हमारा यह नया कदम मील का पत्थर साबित होगा. वहीं, दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि हमने सकारात्मक सोच के साथ यह पहल की है. इसकी सफलता के बाद हमें प्रदूषण को कम करने में एक तकनीकी मदद मिलेगी.
स्मॉग टावर के उद्घाटन के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण से लड़ने और हवा साफ सीएफडी मॉडलिंग करने के लिएदेश का सबसे पहला स्मॉग टावर शुरू किया जा रहा है. यह अपने आप में एक नई तरह की तकनीक है. आज तक देश में ऐसा टावर कभी नहीं लगाया गया. इस तरह से हवा साफ करने की कोशिश कभी की ही नहीं गई थी. हम लोगों ने इस तकनीक को अमेरिका से आयात किया है. यह 24 मीटर ऊंचा टावर सीएफडी मॉडलिंग है.
ऐसे ऑपरेट करेगा स्मॉग टावर!
यह स्मॉग टावर ऊपर से आसपास के एक किलोमीटर के दायरे की हवा को खींचेगा और फिर उस हवा को साफ करेगा. इसके बाद इसमें नीचे जो पंखे लगे हैं, उनके जरिए साफ हवा बाहर निकाली जाएगी. इसकी सीएफडी मॉडलिंग क्षमता लगभग एक हजार घन मीटर प्रति सेकेंड है. यह स्मॉग टावर एक हजार घन मीटर हवा प्रति सेकेंड साफ करके बाहर छोडेगा. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि आसपास के एक किलोमीटर के दायरे के अंदर की हवा को सीएफडी मॉडलिंग सीएफडी मॉडलिंग यह साफ कर पाएगा.
पॉल्यूशन डेटा पर रखी जाएगी नजर
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह नई तरह की तकनीक है. इसे प्रायोगिक तौर पर देखा जा रहा है. आने वाले समय में इसके ऊपर लगातार निगरानी रखी जाएगी. आईआईटी दिल्ली और आईआईटी बॉम्बे के लोग इस डाटा का विश्लेषण करेंगे और यह बताएंगे कि यह स्मॉग टावर प्रदूषित हवा को साफ करने में कितना प्रभावी है. अगर यह प्रयोग काफी प्रभावी होता है, तो फिर इस तरह के कई अन्य स्मॉग टावर पूरे सीएफडी मॉडलिंग दिल्ली के अंदर लगाए जा सकते हैं. टाटा प्रोजेक्ट्स ने इसको बनाया है और एनबीसीसी ने कंसल्टेंसी दी है. साथ ही, इसे आईआईटी दिल्ली और आईआईटी बॉम्बे की देखरेख में दिल्ली सरकार ने बनवाया है.
दिल्ली में साफ हवा के लिए हो रहे हैं प्रयास!
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में वायु प्रदूषण पर भी दिल्ली में काम हुआ है. 2014 में पीएम-10 और पीएम 2.5 का जो स्तर था, वह अब काफी घट गया है. जैसे पीएम-2.5 ही 2014 में 150 के करीब था और अब घट कर 100 के करीब आ गया है. उसी तरह, पीएम-10 भी 300 के करीब था और अब घट कर 150 के करीब आ गया है. पीएम-10 और पीएम-2.5 पहले से काफी कम हुआ है. अगर यह टेक्नोलॉजी फेल होती है तो नई तकनीक लेकर आएंगे 2 साल तक इसके डाटा पर नजर रखी जाएगी. एक महीने में शुरुआती रुझान मिलने लगेंगे.
बारिश खत्म होते ही पूरी क्षमता से चलेगा स्मॉग टावर
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि बारिश खत्म होते ही स्मॉग टावर को पूरी क्षमता के साथ चालू कर दिया जाएगा. उसके बाद आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ इसका विश्लेषण करेंगे और उनकी रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई करेंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम भी स्मॉग टावर के प्रभावशीलता के बारे में आकलन कर रहे हैं. चूंकि देश में पहली बार यह टावर लगाया गया है. इस पर सबका अपना अनुमान है. कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि इससे प्रदूषण कम हो सकता है. हमने सकारात्मक सोच के साथ पहल की है. अगर परिणाम अच्छे आएंगे, तो हम इस सीएफडी मॉडलिंग तरह के कई और टावर लगाएंगे और अगर परिणाम अच्छे नहीं आते हैं, तो और तकनीक तलाशेंगे.
वायु प्रदूषण जलवायु के लिए बड़ा खतरा!
दिल्ली सरकार के मुताबिक बाहरी वायु प्रदूषण स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी और जलवायु के लिए एक बड़ा खतरा है. दिल्ली बिगड़ती हवा, खासकर पीएम 2.5 की गुणवत्ता से जूझ रही है. यह आउटडोर एयर क्लीनिंग टेक्नोलॉजी लोगों को आसपास स्वच्छ हवा दे सकती है. यह डाउनवर्ड एयर क्लीनिंग डिवाइस है. इसके आसपास में रहने वाली आबादी को सीधे स्वच्छ हवा यह दे सकता है. एयर क्लीनिंग सिस्टम के प्रदर्शन मूल्यांकन के लिए आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी दिल्ली द्वारा सीएफडी मॉडलिंग और विस्तृत वायु गुणवत्ता निगरानी अध्ययन किया जाएगा.
क्या है स्मॉग टावर की खासियत?
1. जमीन से स्मॉग टावर की ऊंचाई 24.2 मीटर.
2. स्मॉग टावर का प्लान एरिया- 28X28 मीटर. (784.5 वर्ग मीटर)
3. टावर आरसीसी और स्टील संरचना से बना है.
4. टावर ऊपर से हवा खींचेगा और फ़िल्टर्ड हवा छोड़ेगा.
5. पंखे के माध्यम से एक हजार घन मीटर सीएफडी मॉडलिंग प्रति सेकेंड फिल्टर हवा जमीन के पास छोड़ेगा.
6. स्मॉग टावर का प्रभाव केंद्र करीब एक किलोमीटर के दायरे में सीएफडी मॉडलिंग है.
7. इसमें कुल 40 पंखे लगे हैं.
8. 25 घन मीटर प्रति सेकंड वायु प्रवाह दर है.
9. 960 आरपीएम (रोटेशन प्रति मिनट) पंखे की गति.
10. 16.1 मीटर प्रति सेकंड फैन की आउटलेट वेलॉसिटी
11. कुल फिल्टर की संख्या 5000 है.
12. ईएसएस की क्षमता 1250 केवीए है.
क्या होंगे इस फिल्टर के फायदे?
थ्री-एम फिल्टर, इलेक्ट्रोस्टैटिक एयर फिल्टर की रेटिंग घर की हवा में सबसे छोटे हवा में मौजूद कणों को पकड़ने की क्षमता के आधार पर होती है. यह छोटे कण आपके फेफड़ों में रह सकते हैं, जबकि बड़े कण मिनटों में फर्श पर आ सकते हैं. इन छोटे कणों को पकड़ने की एक फिल्टर की क्षमता के माप को माइक्रोपार्टिकल परफॉर्मेंस रेटिंग (पीआर) कहा जाता है. इसके फिल्टर का एमपीआर 2200 है. स्मॉग टावर की मॉनिटरिंग इन बिल्ट स्काडा सिस्टम (पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण) के माध्यम से की जाएगी.
एमयूजे द्वारा इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ फिजिकल साइंसेज, प्रयागराज के सहयोग से आयोजित
जयपुर। मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर (एमयूजे) के गणित एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ फिजिकल साइंसेज (आईएपीएस), प्रयागराज के सहयोग से आयोजित 3 दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ‘CONIAPS XXVI’ का रविवार को समापन हुआ। इस वर्चुअल कॉन्फ्रेंस का विषय ‘इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन एडवांस इन मैकेनिक्स’ था। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि इंटर यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर, नई दिल्ली के निदेशक, अविनाश चंद्र पांडे थे। इस अवसर पर प्रेसिडेंट एमयूजे, प्रोफेसर जी.के. प्रभु भी उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम में 7 प्रख्यात अंतर्राष्ट्रीय वक्ता और 15 प्रतिष्ठित राष्ट्रीय वक्ता विशेष रुप से शामिल हुए। कॉन्फ्रेंस में देश और विदेश के 250 से अधिक डेलिगेट्स ने भाग लिया और 15 टेक्निकल सेशंस के दौरान 61 पेपर्स प्रस्तुत किए गए। इसमें मोंटक्लेयर स्टेट यूनिवर्सिटी, एनजे; जोहान्सबर्ग विश्वविद्यालय; गबकिन रशियन स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ऑयल एंड गैस, मॉस्को; आईआईटी; एनआईटी जैसे प्रतिष्ठित संगठनों सहित अन्य कई स्टेट विश्वविद्यालयों से स्पीकर्स शामिल हुए।
कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य शोधकर्ताओं के रिसर्च कार्य को साझा करना और मैकेनिक्स ऑफ फ्लुइड, गैस एवं सॉलिड, बायोफ्लुइड्स, रियोलॉजी, हीट एवं मास ट्रांसफर, कम्प्यूटेशनल फ्लुइड डायनेमिक्स (सीएफडी), मॉडलिंग इन कॉन्टिनम मैकेनिक्स और संबंधित क्षेत्रों के रिसर्च में नए आयामों की खोज करना था।।
उद्घाटन समारोह में प्रो प्रेसिडेंट प्रो. एन एन शर्मा, डीन एफओएस प्रो. अनूप मुखोपाध्याय, निदेशक एफओएस ललिता लेदवानी, सदस्य सचिव आईएपीएस प्रो. पी एन पाण्डे, आईएपीएस के कार्यकारी परिषद सदस्य प्रो. एम शर्मा और गणित एवं सांख्यिकी विभाग की प्रमुख प्रो. कल्पना शर्मा ने भाग लिया। कॉन्फ्रेंस की सह संयोजक डॉ. रुचिका मेहता ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
समापन समारोह के दौरान, कॉन्फ्रेंस की संक्षिप्त रिपोर्ट आईसीएएम-2020 की संयोजक डॉ. कल्पना शर्मा द्वारा प्रस्तुत की गई थी। कॉन्फ्रेंस को लेकर कुछ डेलिगेट्स ने अपने अनुभव साझा किए। कॉन्फ्रेंस के सह-संयोजक डॉ. आलोक भार्गव द्वारा धन्यवाद ज्ञापित करने के साथ कॉन्फ्रेंस का समापन हुआ।