डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?

उन्होंने कहा, "ब्लॉकचैन ने आज एनएफटी की एक पूरी नई अवधारणा बनाई है. टेक्नोलॉजी वास्तविक समय के लेनदेन और निपटान को सक्षम कर सकती है, सभी लेनदेन की प्रामाणिक डिजिटल रिकॉर्डिंग- भूमि, संपत्ति, सोना और अन्य प्रकार की संपत्ति का डिजिटलकरण स्वामित्व रखती है. ई-कॉमर्स क्षेत्र में, हमें लाखों व्यापारियों की कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए अभिनव समाधानों की आवश्यकता होगी, जबकि उनके क्रेडिट स्कोर को वास्तविक समय में प्रबंधित करना होगा."
डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?
आजकल एक नया टर्म क्रिप्टोकरेंसी, बिटकॉइन बहुत ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है। और सभी लोग इसके बारे में जानना चाहते है धीरे धीरे कुछ लोग इस टर्म से परिचित भी हो गए है। पर ज्यादातर लोग अब भी इसे जानने की, समझने की कोशिश कर रहे हैं। तो आज हम इस पोस्ट में इसी के बारे कुछ जानकारी दे रहे है।
-क्रिप्टो शब्द का अर्थ है छुपा हुआ, सिक्रेट, राज। और इसी शब्द से बना है क्रिप्टोकरेंसी।
-क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी है। जो की ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसे हम डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? छू नही सकते, हाथ में पकड़ नही सकते। जैसे की हम रुपए पैसों को छू सकते है हाथ में पकड़ सकते है। लेकिन डिजिटल करेंसी को नहीं डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? छू सकते है। क्योंकि यह एक तरह के डिजिटल कोड होते है जो कुछ स्पेशल कंप्यूटर्स पर बहुत ही जटिल तरीके से तैयार किए जाते है। जिसे डिकोड कर पाना लगभग नामुमकिन है।
बिटकॉइन क्या है| Bitcoin kya hai :-
-बिटकॉइन एक तरह कि क्रिप्टोकरेंसी ही है। अर्थात यह एक डिजिटल करेंसी या आभासी मुद्रा है। जो की ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी पर काम करती है।
-बिटकॉइन को 2008 में सातोशी नाकामोतो (यह एक व्यक्ति है या समूह है, इसकी जानकारी नहीं है) ने बनाया था। और 2009 में इसे ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में लॉन्च किया गया था। उन्हे इसका फाउंडर माना जाता है।
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Bitcoin |
बिटकॉइन वॉलेट क्या है:-
बिटकॉइन क्योंकि एक डिजिटल करेंसी है इसलिए इसको सिर्फ electronically स्टोर किया जा सकता है इसके लिए एक वॉलेट की जरूरत होती है जिसे हम bitcoin wallet कहते है। बिटकॉइन वॉलेट कई तरह के होते है जैसे - ऑनलाइन क्लाउड वॉलेट, mobile wallet, web based wallet etc.
इनमें से किसी एक वॉलेट का प्रयोग कर उसमे account क्रियेट करते है। और हमे एड्रेस के रूप में एक unique ID प्रदान की जाती है। इन वॉलेट में क्रिप्टोकरेंसी को स्टोर कर सुरक्षित रखा जा सकता है।
बिटकॉइन माइनर क्या है:-
बिटकॉइन ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसलिए जब भी किसी प्रकार का transaction या लेनदेन होता है तो वो सारे प्राइवेट कंप्यूटर का नेटवर्क जो इस काम में लगे हैं वो सभी काम करना शुरू कर देते है। कुछ मेथेमेटिकली इक्वेशन या क्रिप्टोग्राफिक puzzles होते है उन्हे सॉल्व करने में लग जाते जब तक की ट्रांसेक्शन कंपलीट नही हो जाता है। उसके बाद other नोड पर इसका वेरिफिकेशन होता है और फिर इस ब्लॉक को प्रोसेस कमप्लिट होने के बाद दूसरे ब्लॉक से जोड़ दिया जाता है। इस तरह ये ब्लॉक चेन बढ़ती जाती है। जो लोग ये काम करते है उन्हे माइनर कहते है। उन्हे इस काम के बदले में कुछ रिवार्ड मिलता है।
इस तरह जो भी transaction होते है उनका रिकार्ड एक पब्लिक Ledger में दर्ज हो जाता है। ये ब्लॉक होते है। क्योंकि यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसलिए सभी ब्लॉक एक दूसरे से जुड़े रहते है। और यह रिकार्ड एक कंप्यूटर पर नही बल्कि सभी कंप्यूटर पर इनक्रिप्टेड फार्म में स्टोर हो जाते है।
आखिर क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी?, जिसपर मुकेश अंबानी ने जताया भरोसा
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने आज एक फिनटेक इवेंट में क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन को लेकर बातचीत की. उन्होंने कहा कि क्रिप्टो के मुकाबले ब्लॉकचेन बहुत अलग टेक्नोलॉजी है. IFSCA द्वारा आयोजित इनफिनिटी फोरम में इंटरव्यू के दौरान मुकेश अंबानी ने कहा, "ब्लॉकचेन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसमें मैं भरोसा करता हूं. ये क्रिप्टो से बहुत अलग है." उन्होंने कहा कि यहां ऐसे स्मार्ट टोकन हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि आप ऐसे लेनदेन कर रहे हैं जिन्हें बदला नहीं जा सकता है. जबकि यह कहते हुए कि वह वास्तविक समय में विश्वास करते हैं और वास्तविक समय में सब कुछ बदल जाएगा.
मुकेश अंबानी ने कहा, "ब्लॉकचेन की मदद से हम लगभग किसी भी प्रकार के लेनदेन के लिए जबरदस्त सुरक्षा, विश्वास, स्वचालन और दक्षता प्रदान कर सकते हैं." बताते चलें कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए केंद्र सरकार और आरबीआई मिलकर काम कर रहे हैं. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास उन लोगों में से ही हैं, जो मानते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी के मुकाबले ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी ज्यादा मजबूत है जो करेंसी डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? के बिना भी मौजूद रह सकती है.
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है और कैसे UPI से भी बड़ी क्रांति करेगा भारत, यहां जानें
ब्लॉकचेन टेक्नोलोजी की खास बात ये है कि कंप्यूटर्स में सेव डिटेल्स में बदलाव करना, हैक करना या सिस्टम के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ मुमकिन नहीं है।
नई दिल्ली: भारत टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक कदम आगे बढ़ने जा रहा है।
ब्लॉकचेन इंफ्रास्ट्रक्चर को पेश करने और इसके फायदों को भुनाने के लिए भारत पूरी तरह से तैयार है।
ब्लॉकचेन इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर केंद्र सरकार ने ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है।
ब्लॉकचेन किसे कहते हैं?
सबसे पहले तो बता दें कि ब्लॉकचेन एक तरह का डेटाबेस है।
जिसमें जानकारी/सूचना ब्लॉक्स में स्टोर रहती है। ये ब्लॉक्स एक चेन के जरिए आपस में कनेक्ट रहते हैं।
जैसे कि बिटक्वॉइन क्रिप्टोकरंसी डिसेंट्रलाइज्ड ब्लॉकचेन पर बेस्ड होती हैं।
इसमें हर ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड तो होता है लेकिन व्यक्ति डेटा को कंट्रोल नहीं कर सकता। जानकारी कई कंप्यूटर्स में सेव रहती है।
दूसरे शब्दों में, ब्लॉकचैन एक वितरित खाता-बही डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? है जो रिकॉर्ड्स के भंडारण के लिए सभी के लिए खुला है। एक बार जब कुछ ब्लॉकचेन में दर्ज हो जाता है, तो इसे बदलना लगभग असंभव है।
प्रौद्योगिकी पर सभी लेनदेन इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि के लिए एक डिजिटल हस्ताक्षर के साथ संरक्षित हैं।
ब्लॉकचेन टेक्नोलोजी से क्या फायदा होगा
ब्लॉकचेन टेक्नोलोजी की खास बात ये है कि कंप्यूटर्स में सेव डिटेल्स में बदलाव करना, हैक करना या सिस्टम के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ मुमकिन नहीं है।
एक्सपर्ट्स की मानें तो आधुनिक टेक्नोलॉजी को अपनाने की दिशा में भारत के इस अगले कदम को एक बार फिर टेक दिग्गजों से वाहवाही मिलने की उम्मीद है।
टेक्नोलॉजी के मामले में ब्लॉकचेन इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना देश में यूपीआई से भी कहीं बड़ा कदम रह डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? सकता है।
क्योंकि अभी तक यूपीआई को ही भारत का सबसे सफल डिजिटल प्रोजेक्ट कहा जाता है।
लेकिन ब्लॉकचेन इंफ्रास्ट्रक्चर की बदौलत होने वाले बदलावों का स्तर यूपीआई क्रांति से कहीं बड़ा होने वाला है।
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कैसे काम करेगा Web 3.0
अब आपको ये तो मालूम चल ही गया है कि Web 3.0 में आप ज्यादा ताकतवर हो जाएंगे. ऐसे में जब आप Web 3.0 के जरिए इंटरनेट पर अपना कोई कंटेंट डालेंगे तो इसके बदले आपको एक डिजिटल टोकन मिलेगा. इसके साथ ही, आपके कंटेंट का पूरा अधिकार आपके पास ही होगा. Web 3.0 में गूगल, फेसबुक, ट्विटर जैसी कोई भी कंपनी अपनी मर्जी से आपका कंटेंट नहीं हटा पाएगी.
Web 3.0 के बारे में एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ये ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा, डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? जहां सारा डेटा डिसेंट्रलाइज्ड होगा. दरअसल, ब्लॉकचेन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसमें आपका कंटेंट या डेटा किसी कंपनी के डेटाबेस में नहीं बल्कि आपके डिवाइस में सेव होगा. इसका मतलब ये हुआ कि आपके डेटा के साथ कोई भी दूसरा व्यक्ति किसी तरह की कोई छेड़खानी नहीं कर पाएगा. अब बेशक वह गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियां ही क्यों न हों?
डिसेंट्रलाइज्ड डाटा मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म की हुई स्थापना
दुबई की इन्वेस्टमेंट ऑफिस के शेख हमदन बिन अहमद अल मकतूम और CTEX ने सबसे पहले ब्लॉक चैन आधारित डिसेंट्रलाइज्ड डाटा मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म की स्थापना की
क्रिप्टो टैक्स ने विश्व में सबसे पहले ब्लॉकचेन डिसेंट्रलाइज डाटा मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म की स्थापना करने के लिए दुबई के शेख हमदन बिन अहमद अल मकतूम के साथ भागीदारी की
विश्व के सबसे पहले डिसेंट्रलाइज्ड डाटा प्लेटफार्म को लांच करने के लिए दुबई के शेख हमदन बिन अहमद अल मकतूम ने CTEX में इन्वेस्टमेंट करने का निश्चय किया