ज्ञान दलाल

शासन के निर्देशानुसार कोरबा जिला के पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के हाई स्कूल चोटिया कोरबी मे लगाई गई जाति प्रमाण पत्र शिविर, एसडीएम पैकरा ने किया निरीक्षण, देखें वीडियो अधिकारी शिक्षक अभिभावकों ने क्या कहा.
छ,ग कोरबा जिला के पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड अंतर्गत चोटिया कोरबी हाई सेकेंडरी स्कूल में जाति प्रमाण पत्र से ज्ञान दलाल संबंधित शिविर लगाया गया था, जिसमें दर्जनों ग्राम पंचायत के अभिभावक एवं छात्र छात्राएं हाथों में कागज लेकर सैकड़ों की संख्या में इधर-उधर घूमते रहे, दूसरी ओर इस कल्याणकारी शिविर से अभिभावकों का विश्वास बड़ा हुआ था, उन्हें ऐसा लग रहा था की, आज हमारे बच्चों का जाति प्रमाण पत्र बन ही जाएगा, किंतु प्रक्रियाओं की गहराई में जाने में समझ में आया कि यह जाति प्रमाण पत्र इतना आसान नहीं है, कुछ ग्रामीण जानकारी के अभाव में जाति से संबंधित दस्तावेज अधूरे थे इसके अलावा पटवारियों से मुलाकात को लेकर परेशानी उठानी पड़ी साथ ही अभिभावकों ने बताया कि जाति प्रमाण पत्र के नाम पर स्कूलों में कई बार शिविर लगाया जा चुका है किंतु आज तक इस योजना का लाभ छात्र छात्राओं को नहीं मिला, सिविर लगता है दस्तावेज इकट्ठे होते है किंतु कमी खामियां बताकर कचरे में फेंक दिए जाते हैं, इसके बाद हमें तहसील कार्यालय जाकर दलालों के माध्यम से मोटी रकम देकर जाति प्रमाण पत्र बनवाने में मशक्कत करनी पड़ती है,, आइए जानते हैं शिक्षक अधिकारी अभिभावकों ने क्या कहा देखें वीडियो.
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कहानी भारत के एक ऐसे जज की, जिसे दी गई थी.
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4 रीसिलिएंट सिटीज एशिया-पैसिफिक कांग्रेस 2019 नई दिल्ली में शुरू हुई
16 April 2019 Current Affairs: स्थानीय पर्यावरणीय पहल (ICLEI) के लिए अंतर्राष्ट्रीय परिषद और दक्षिण दिल्ली नगर निगम द्वारा सह-मेजबानी द्वारा आयोजित ज्ञान दलाल 4 रेसिलिएंट सिटीज एशिया-पैसिफिक कांग्रेस 2019 नई दिल्ली में शुरू हुई।
इसका समापन 17 अप्रैल 2019 को होगा।
यह बहुत सारे अभिनव समाधान प्रदान करता है जो उप-राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन के लिए लचीलापन पैदा करते हैं।
एशिया प्रशांत क्षेत्र में स्थानीय सरकारें इस आयोजन का मुख्य लक्ष्य हैं।
RCAP 2019 राष्ट्रीय स्तर ज्ञान दलाल पर निर्धारित योगदान (NDC) को निष्पादित करने के अवसरों और तंत्र पर चर्चा करने के लिए एक मंच है।
आरसीएपी 2019 के लिए जिन प्रस्तावित विषयों को मान्यता दी गई है, वे हैं:
जोखिम और कमजोरियों के प्रबंधन के लिए एकीकृत जलवायु लचीलापन योजना
सुशासन और लचीलापन
अनुकूलन के लिए प्रकृति-आधारित समाधान
जलवायु ज्ञान दलाली
क्षेत्रीय नेटवर्किंग और सहयोग के अवसर
सतत अवसंरचना विकास और हरित विकास
शहरी नेक्सस
एशियाई शहरों के लिए वित्त व्यवस्था
लचीला शहरों के बारे में एशिया-प्रशांत:
इसे 2010 में लॉन्च किया गया था। फरवरी 2015 में बैंकॉक, थाईलैंड में मार्च 2016 में मलेशिया और दिसंबर 2017 में वियतनाम में आयोजित पहले तीन संस्करण।
रवीश कुमार का गला घोंटने की कोशिश !
मोदी-अडानी, अर्थात् सरकार-कारपोरेट की धुरी का एनडीटीवी पर झपट्टा भारत के मीडिया जगत में एक घटना के तौर पर दर्ज हुआ है। एक ऐसी घटना के तौर पर जो अपने वक्त के सत्य को सारे आवरणों को चीर कर सामने खड़ा कर दिया करती है। नंगे राजा के बदन के मांस, मज्जा को भी खींच कर निकाल देती है। आज का शासन हर स्वतंत्र आवाज़ को पूरी ताक़त के साथ कुचल डालने के लिए आमादा है, इस पूरे घटनाक्रम ने इसे पूरी तरह से पुष्ट कर दिया है।
और, कहना न होगा, इस पूरी घटना को एक ठोस, वैयक्तिक रूप प्रदान किया है रवीश कुमार ने।
एनडीटीवी पर सरकार-कारपोरेट धुरी का क़ब्ज़ा जैसे सिर्फ़ एक व्यापारिक मीडिया घराने की मिल्कियत पर एक और मालिक का क़ब्ज़ा भर नहीं, बल्कि भारतीय जनतंत्र में सच की आवाज़ का एक प्रतीक बन चुके रवीश कुमार का गला घोंटने की कोशिश का भी सरेआम एक निर्मम, निकृष्ट प्रदर्शन है।
इसमें शक नहीं है कि रवीश कुमार-विहीन एनडीटीवी का सचमुच स्वयं में कोई ऐसा विशेष मायने नहीं है, कि उस पर सत्ताधारियों के क़ब्ज़े को मीडिया जगत के लिए किसी अघटन के रूप में देखा जाता। पर रवीश महज़ एक एंकर नहीं रह गये हैं। वे इस समय में फ़ासिस्ट दमन के प्रतिरोध और प्रतिवाद की आवाज़ के आदर्श प्रतीक के रूप में उभरे हैं।
एक पत्रकार के रूप में उनकी कड़ी मेहनत, विषय की परत-दर-परत पड़ताल करने की तीक्ष्ण दृष्टि, अदम्य साहस के साथ एक अद्भुत लरजती हुई आवाज और धीर-गंभीर ज्ञान दलाल मुद्रा में उनकी प्रस्तुतियों ने उनमें पत्रकारिता के एक उन श्रेष्ठ मानकों को मूर्त किया हैं जो दुनिया के किसी भी पत्रकार के लिए किसी आदर्श से कम नहीं हैं।
इसीलिए, आज उनका मज़ाक़ सिर्फ़ वे फूहड़ और बददिमाग़ लोग ही उड़ा सकते हैं, जो पत्रकारिता के पेशे में होते हुए भी किसी भी मायने में पत्रकार नहीं बचे हैं। वे या तो शुद्ध रूप में सत्ता के दलाल है या ‘चतुर सुजान’ की भंगिमा अपनाए हुए महामूर्ख इंसान। वे मनुष्य के प्रतीकात्मक मूल्य के पहलू से पूरी तरह से अनजान, सिर्फ़ उसके हाड़-मांस के अस्तित्व की ही जानकारी रखते हैं और अपनी इसी जानकारी पर इतराते हुए आत्म मुग्ध रहा करते हैं। मुख्यधारा के मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में ऐसे ‘चतुर सुजानों’ की आपको एक पूरी जमात नज़र आ जाएगी। ऐसे लोगों के लिए प्रमाता के प्रतीकात्मक मूल्य से इंकार करके उसे लघुतर बनाना हमेशा एक खेल की तरह होता है। इसमें उन्हें कुछ वैसा ही मज़ा आता है, जैसे पोर्न के फेटिश खेल में जीवित इंसान को सिर्फ़ एक शरीर मान कर उससे मज़ा लूटा जाता है।
इस लेखक ने तीन साल पहले ही अपनी एक विस्तृत टिप्पणी में रवीश कुमार को भारतीय मीडिया की एक विशेष परिघटना कहा था।
आज एनडीटीवी पर सत्ताधारियों के क़ब्ज़े के वक्त गंभीर पत्रकारिता की पूरी बिरादरी ने जिस प्रकार की भावनाओं को व्यक्त किया है, उससे भी यही ज़ाहिर हुआ है कि एनडीटीवी और रवीश कुमार की तरह की पत्रकारिता पर कोई भी हमला पत्रकारिता-धर्म पर हमला है। यह जनतंत्र का ज्ञान दलाल एक स्तंभ कही जाने वाली एक प्रमुख संस्था पर हमला है।
हम जानते हैं, सत्य को दबाने की जितनी भी कोशिश होती है, सत्य हमेशा नए-नए रूपों में सामने आने के रास्ते खोज लेता है। वह दमन की कोशिश की हर दरार के अंदर से और भी ज़्यादा तीव्र चमक के साथ आभासित होता है। वह अपनी अनुपस्थिति में भी हमेशा उपस्थिति रहता है। मौक़ा मिलते ही सिर्फ़ लक्षणों में नहीं, ठोस रूप में भी प्रकट होता है। सत्य की संभावनाओं का कभी कोई अंत नहीं होता है।
इसीलिए रवीश की संभावनाओं का भी कोई अंत नहीं होगा। जो कीर्तिमान उन्होंने स्थापित कर दिया है, उसे शायद ही कभी कोई मलिन कर पायेगा। और इस घटना को उनकी पारी का अंत मानना भी पूरी तरह से ग़लत साबित होगा।
IPL 2023: आईपीएल में भी लागू होगा Impact Player Rule, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी से हुई थी शुरुआत
IPL 2023: Impact Player Rule will be applicable in IPL as well, started with Syed Mushtaq Ali Trophy
IPL 2023: आईपीएल में भी लागू होगा Impact Player Rule, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी से हुई थी शुरुआत
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के बाद अब आईपीएल में भी ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नियम को लागू कर दिया गया है. आइए जानते हैं क्या यह नियम.
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के बाद अब आईपीएल में भी ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ के नियम को लागू किया जाएगा. सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में इस नियम को लागू करने के से पहले भी कहा गया था कि इस नियम को आईपीएल में लागू किया जा सकता है.
स्पोर्ट्स तक के मुताबिक अब इस नियम को आईपीएल (IPL) में लागू कर दिया गया है, यानी अगले साल होने वाले आईपीएल सीज़न में यह नियम देखने को मिलेगा.
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क्या है ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ का नियम
इस नियम के मुताबिक, टीमें रणनीतिक तौर पर किसी भी एक खिलाड़ी सब्सिट्यूट के तौर पर मैदान पर ज्ञान दलाल उतार सकेंगी. टॉस के वक़्त टीमों को प्लेइंग इलेवन के साथ अपने चार सब्सिट्यूट खिलाड़ी बताने होंगे.
इन चार खिलाड़ियों में से टीम किसी भी एक खिलाड़ी का इस्तेमाल बतौर ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ के रूप में कर सकेगी. सब्सिट्यूट को मैच के 14वें ओवर तक मैदान पर उतारा जा सकता है.
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में हुआ था इस्तेमाल
‘इम्पैक्ट प्लेयर’ को सबसे पहले घरेलू क्रिकेट के टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में लागू किया था. इस नियम को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के पहले ही मैच में दिल्ली की टीम द्वारा इस्तेमाल किया गया था. दिल्ली की टीम ने हितेन दलाल की जगह ऋतिक शौकीन को टीम में शामिल किया गया था.
मिनी ऑक्शन के लिए 991 खिलाड़ी होंगे शामिल
आईपीएल 2023 के लिए होने वाले मिनी ऑक्शन में कुल 991 खिलाड़ियों ने खुद को रजिस्टर किया है. इसमें 714 भारतीय खिलाड़ी और 277 विदेशी खिलाड़ी शामिल है. इन विदेशी खिलाड़ियों में सबसे ज़्यादा ऑस्ट्रेलिया के 57 खिलाड़ी शामिल होंगे. इसके आलावा साउथ अफ्रीका के कुल 52 खिलाड़ी होंगे. वहीं, इन खिलाड़ियों में कुल 185 कैप्ड खिलाड़ी और 786 अनकैप्ड खिलाड़ी हिस्सा लेंगे.
Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.