विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश

मुश्किल नहीं है विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश करना, जानिए क्या है तरीका
15 अक्टूबर तक बाजार में म्यूचुअल फंड्स की ऐसी 63 स्कीमें थीं, जो विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं। पिछले तीन साल में विदेश में निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड्स स्कीमों का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) कंपाउंडेड आधार पर 124 फीसदी बढ़ा है
पिछले दशक में हमने अमेरिकी मार्केट में जबर्दस्त तेजी देखी है। इंडियन इनवेस्टर्स इस तेजी का फायदा उठाना चाहते हैं।
पिछले कुछ समय से विदेश में निवेश करने (Foreign Investment) में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ी है। RBI के डेटा के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में भारतीयों ने 1961.1 करोड़ डॉलर विदेश भेजे। एक साल पहले यह आंकड़ा 1268.4 करोड़ डॉलर था। पिछले कुछ सालों में भारतीयों के विदेश पैसे भेजने के नियमों को आसान बनाया गया है।
कोई भारतीय एक फाइनेंशियल ईयर में 2,50,000 डॉलर विदेश भेज सकता है। भारत सरकार की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत यह पैसा भेजा जा सकता है। पिछले कुछ सालों में RBI ने विदेश पैसे भेजने की लिमिट बढ़ाई है। यह स्कीम 2004 में शुरू हुई थी। तब इसकी लिमिट 25,000 डॉलर थी।
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विदेशी शेयरों में म्यूचु्ल फंड्स के जरिए पैसे लगाना आसान है। इंडिया में म्यूचुअल फंड हाउसेज ऐसी स्कीम लॉन्च करते हैं, जो विदेशी शेयरों में निवेश करती हैं। आप पैसा म्यूचुअल फंड्स की ऐसी स्कीम में पैसे रुपये में निवेश करते हैं। यह पैसा आपके जैसे निवेशकों से कलेक्ट करने के बाद विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश किया जाता है।
ACE MF के डेटा के मुताबिक, 15 अक्टूबर तक बाजार में म्यूचुअल फंड्स की ऐसी 63 स्कीमें थीं, जो विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं। पिछले तीन साल में विदेश में निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड्स स्कीमों का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) कंपाउंडेड आधार पर 124 फीसदी बढ़ा है। सितंबर 2019 के अंत में एयूएम करीब 2,743 करोड़ रुपये था, जो इस साल सितंबर को बढ़कर 30,678 करोड़ रुपये हो गया।
हेक्सागोन कैपिटल एडवाइजर्स के एमडी श्रीकांत भागवत ने कहा कि विदेश में निवेश में दिलचस्पी बढ़ने की बड़ी वजह यह है कि धीरे-धीरे इनवेस्टर्स के बीच जागरूकता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में ऐसे प्लेटफॉर्म आ गए हैं, जो न सिर्फ आपको विदेश में निवेश करने की सुविधा देते हैं बल्कि ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनियों की ग्रोथ में हिस्सेदारी करने का भी मौके देते हैं। इनमें एपल, अल्फाबेट और गूगल जैसी दिग्गज अमेरिकी कंपनियां शामिल हैं।
भागवत ने कहा, "पिछले दशक में हमने अमेरिकी मार्केट में जबर्दस्त तेजी विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश देखी है। इंडियन इनवेस्टर्स इस तेजी का फायदा उठाना चाहते हैं। विदेश में निवेश करने में इनवेस्टर्स का ध्यान डायवर्सिफिकेशन पर होना चाहिए। इसके लिए न सिर्फ अमेरिकी बाजार बल्कि दूसरे देशों में भी निवेश के मौके तलाशे जा सकते हैं। अमेरिका के अलावा यूरोप और एशिया में शानदार प्रदर्शन वाली कंपनियां हैं। इनवेस्टर्स इनमें भी निवेश के बारे में सोच सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि अगर आप कंपनियों के बारे में रिसर्च कर सकते हैं तो आपको इंडिविजुअल शेयरों को देखना चाहिए और उनमें निवेश करना चाहिए। आपके पोर्टफोलियो में ऐसी कंपनियों की छोटी हिस्सेदारी हो सकती है। इससे अगर किसी वजह से विदेश में निवेश का आपका फैसला गलत हो भी जाता है तो आपके पोर्टफोलियो को ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
घर बैठे विदेशी शेयर बाजारों में लगाएं पैसे, महज 1 डॉलर से कर सकते हैं शुरुआत!
आज की तारीख में निवेशक अपने पोर्टफोलियो में विदेशी कंपनियों के स्टॉक को भी शामिल करते हैं. ग्लोबल मार्केट में निवेश करने से जहां आप अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर सकते हैं. वहीं डायवर्सिफिकेशन के जरिए रिस्क को कम किया जा सकता है. जानकार मानते हैं कि इससे रिटर्न का संतुलन बना रहता है. (Photo: Getty Images)
भारतीयों को विदेशी शेयरों में सीधे निवेश करने की अनुमति मिले अब करीब 17 साल हो चुके हैं. लेकिन अभी जानकारी के अभाव में लोग विदेशी शेयर बाजारों में पैसे लगा नहीं पाते हैं. हमारे देश में अधिकतर लोगों का ये सवाल होता है कि विदेशी शेयर बाजारों में कैसे पैसे लगा सकते हैं? (Photo: Getty Images)
दरअसल आप घर बैठे गूगल, अमेजन, फेसबुक, टेस्ला और डॉमिनोज जैसे कई ब्लॉकबस्टर शेयरों में निवेश कर सकते हैं. इन कंपनियों का कारोबार दुनियाभर में है, और पिछले कुछ दशकों में इन कंपनियों ने निवेशकों को मालामाम कर दिया है. निवेश कई गुना बढ़ गया है. (Photo: Getty Images)
अमेरिकी समेत कई विदेशी मार्केट में पैसे लगाने से मुख्यतौर पर दो फायदे हैं. एक तो जैसे-जैसे कंपनियों का कारोबार बढ़ेगा, निवेशकों का उसी हिसाब से रिटर्न बढ़ता जाएगा. उदाहरण के तौर पर साल 2004 में गूगल का आईपीओ आया था, उस समय आईपीओ की कीमत 85 डॉलर थी. आज गूगल का एक शेयर 2,450 डॉलर का है. यानी करीब 28 गुना इजाफा हुआ है. (Photo: Getty Images)
इसके अलावा दूसरा बड़ा फायदा यह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के कारण तो रिटर्न और भी ज्यादा शानदार हो जाता है. पिछले कुछ वर्षों में डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हुआ है. फिलहाल एक डॉलर 74 रुपये के बराबर है. जबकि 2004 में एक डॉलर का भाव 46 रुपये था. यानी डॉलर मजबूत होने से रिटर्न और बढ़ जाता है.
लोगों के मन में एक बड़ा सवाल यह होता है कि विदेशी बड़ी कंपनियों के शेयर महंगे होते हैं. यह सच विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश भी है. यूएस स्टॉक मार्केट में कुछ शेयर ऐसे हैं, जिनकी भारतीय रुपये में कीमत 1.5 से 2.5 लाख या इससे भी ज्यादा है. गूगल के एक शेयर की कीमत 181,000 रुपये है, जबकि अमेजन का एक शेयर 254,782 रुपये का है, वहीं फेसबुक का एक शेयर 26 हजार रुपये का है. (Photo: Getty Images)
लेकिन अब आप विदेशी बाजारों महज 1 डॉलर से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. इसके लिए बहुत ज्यादा कैश की जरूरत नहीं है. ऐसे कुछ प्लेटफॉर्म हैं, जहां से आप फ्रैक्शनल इंवेस्टिंग की सुविधा का लाभ उठा सकते हें. फ्रैक्शनल इंवेस्टिंग एक ऐसा तरीका है, जिससे यह काम आसानी से हो सकता है. इसके अलावा कई म्यूचुअल फंड्स हैं, जो विदेशी बाजारों में निवेश करते हैं. जहां आप घर बैठे निवेश कर सकते हैं.
हालांकि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय शेयर बाजारों ने दूसरे विदेशी बाजारों की तुलना में अच्छा किया है. जिससे विदेशी निवेशकों से तेजी से भारत का रुख किया है. हालांकि कहीं भी पैसे लगाने से पहले अपने वित्तीय सलाह की मदद जरूर लें.
कितना कर सकते हैं निवेश
आरबीआई की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) की गाइडलाइंस के मुताबिक कोई भारतीय विदेशी बाजारों में हर साल 2.50 लाख डॉलर तक निवेश कर सकता है. यह आरबीआई से अप्रूवल लिए बिना भी किया जा सकता है.
कैसे खुलेगा अकाउंट
इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी अकाउंट ओपनिंग की फ्री में सुविधा देते हैं. KYC प्रक्रिया पूरी करने के बाद कोई भी निवेशक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवा सकता है. यह डीमैड अकाउंट की तरह होता है. अमेरिकी नियमों के अनुसार निवेशक को बर्थ सर्टिफिकेट, एड्रे प्रूफ और PAN कार्ड की स्कैन कॉपी लगानी जरूरी होती है.
करना चाहते हैं विदेशी शेयर बाजारों में निवेश तो जान लीजिए ये Tax Rules, बड़े काम की है ये जानकारी
भारतीयों का विदेशी शेयर बाजारों (Foreign Equity Investmet) में निवेश करने का रूझान बढ़ता जा रहा है. विदेशी बाजारों में भी अमेरिकी बाजार भारतीयों की पहली पसंद है.
Tax Rules: विदेशी शेयर बाजारों (Foreign Equity Investment) में निवेश करने का रूझान बढ़ता जा रहा है. अमेरिकी बाजार भारती . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : February 22, 2022, 10:39 IST
नई दिल्ली. अपने निवेश पोर्टफोलियो (Investment Portfolio) में विविधता लाने का एक तरीका विदेशी बाजारों में निवेश (Investing In Foreign Markets) करना है. विदेशी बाजारों में निवेश से निवेशकों को अस्थिरता से निपटने में मदद मिलती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि जरूरी नहीं कि जब घरेलू बाजार में गिरावट हो तो विदेशी बाजार भी गिर रहे होंगे. इसका एक अन्य फायदा यह है कि इसमें मुद्रा में उतार-चढ़ाव के जोखिम से राहत मिलती है. निवेशक को निवेश पर रिटर्न डॉलर में मिलता है. रुपये में गिरावट होने पर विदेशी मुद्रा में निवेश का मूल्य बढ़ जाता है. इसका आपको दोहरा फायदा होता है.
भारतीय कई देशों के शेयर बाजारों में निवेश कर सकते हैं. परंतु ज्यादातर भारतीयों के लिए न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज (New York Stock Exchange) और नेस्डेक (NASDAQ) में ही निवेश करना पसंद करते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि ये सबसे बड़े स्टॉक मार्केट हैं. किसी घरेलू या विदेशी ब्रोकरेज के माध्यम से एक ब्रोकरेज अकाउंट (Brokerage Account) खोलकर कोई भी भारतीय एप्पल (Apple), टेस्ला (Tesla), स्टारबक्स और मेटा (Meta) जैसी कंपनियों के शेयरों में निवेश कर सकता है. कोई भी भारतीय निवेशक विदेशी शेयर बाजार में स्वयं 2.5 लाख डॉलर प्रति वर्ष निवेश कर सकता है. म्यूंचुअल फंड (Mutual Fund) के माध्यम से निवेश की कोई सीमा नहीं है.
कैसे करें निवेश (How To Invest in Foreign Markets)
कोई भी निवेशक घरेलू शेयर बाजारों की तरह विदेशी शेयर बाजारों में भी निवेश कर सकता है. विदेशी बाजारों में भी निवेश 2 तरीके से किया जा सकता है. निवेशक म्यूचुअल फंड के जरिए इनमें निवेश कर सकता है. कोई व्यक्ति सीधे ही विदेशी शेयर बाजारों से खरीदारी कर सकता है. म्यूचुअल विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश फंड में कई प्रकार के फंड हैं, जो विदेश में निवेश का प्रस्ताव देते हैं. भारत में कई अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड हैं. इन म्यूचुअल फंडों की खास बात यह है कि इनमें भारतीय करेंसी में ही निवेश कर सकते हैं और आपको फॉरेक्स एक्सचेंज के झंझट में भी नहीं पड़ना होता है और न ही फॉरेक्स एक्सचेंज चार्जेज देने होते हैं. म्यूचुअल फंड के जरिए एक निवेशक कितना भी निवेश कर सकता है.
कितना लगता है टैक्स (Tax on Foreign Equity Investment )
विदेशी बाजारों में निवेश करने से पहले टैक्स नियमों को जान लेना जरूरी है. यह समझना जरूरी है कि वहां की कमाई पर कितना और कैसे टैक्स लगेगा. यूएस सिक्योरिटीज और एक्सचेंज कमीशन (US Securities and Exchange Commission -SEC) के साथ पंजीकृत निवेश सलाहाकार वेस्टेड फाइनेंस (Vested Finance) का कहना है कि अगर 24 महीनों से ज्यादा स्टॉक को अपने पास रखकर बेचा जाता है तो उस पर 20 फीसदी की दर से लॉंग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा और कुछ सरचार्ज और फीस भी देनी होगी.
ईटीएफ के लिए यह सीमा 36 महीने हैं. अगर 24 महीने से पहले ही बिकवाली कर दी जाती है तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स आपके इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से वसूला जाएगा. यही नहीं, अमेरिका में डिविडेंड्स पर 25 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. इनवेस्टर को ब्रोकरेज काटकर ही बाकी 75 फीसदी रकम देता है. हालांकि, भारत में टैक्स फाइल करते समय चुकाए गए डिविडेंड टैक्स का क्रेडिट ले सकते हैं.
स्पेशल टैक्स नहीं
ऑनलाइन पोर्टल टैक्सबडी डॉट कॉम (Taxbuddy.com) के फाउंडर सुजीत बांगड़ का कहना है कि अमेरिका या किसी अन्य देश में इक्विटी में निवेश के लिए कोई निर्धारित टैक्स रेट आदि नहीं हैं. विदेशी होल्डिंग्स भी सोने की तरह ही एक एसेट है जिस पर नियमानुसार टैक्स लगता है. हम यहां विदेशी एसेट अपने पास रखते हैं तो यह जरूरी है कि वो ऐसे फंड से खरीदे गए हों, जिसकी जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में हमने दी हो.
विरासत में मिले हों शेयर तो क्या?
अगर किसी को विदेशी शेयर विरासत (Inherits Foreign Shares) में मिले हों तो फिर क्या होता है? इस सवाल के जवाब में बांगड़ का कहना है कि अगर कोई भारतीय विदेशी एसेट्स में निवेश ग्लोबल फंड्स आदि के माध्यम से निवेश करता है तो इस तरह के निवेश पर विरासत कर या एस्टेट ड्यूटी नहीं देनी होती है. अगर कोई व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत हैसियत से अमेरिका में शेयर खरीदता है तो उसकी मौत के बाद विरासत टैक्स (Inherits Tax) देना पड़ता है. लेकिन, ऐसे मामलों में भी अमेरिका में चुकाए टैक्स पर वह भारत में क्रेडिट ले सकता है क्यों भारत और अमेरिका इस को लेकर समझौता है.
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FPI Investment in India: शेयर बाजार में पैसे की 'छप्पर फाड़' बरसात, विदेशी निवेश 20 माह के उच्चतम स्तर पर
नई दिल्ली, एजेंसी। विदेशी निवेशकों (FPIs) ने अगस्त माह में भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) में 51,200 करोड़ रुपए का निवेश किया, जो पिछले 20 महीने में सबसे अधिक है। सबसे अच्छी बात यह है कि ये निवेश ऐसे समय पर किया गया है, जब भारतीय बाजार अपने उच्चतम स्तर से नीचे कारोबार कर रहे हैं और कच्चे तेल की कीमत भी 100 डॉलर के नीचे बनी हुई है।
इससे पहले जुलाई में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने 5,000 करोड़ रुपए का निवेश किया था। जुलाई में एफपीआई ने 9 महीने की लगातार बिकवाली के बाद दोबारा भारतीय बाजारों में निवेश करना शुरू किया था। बता दें, पिछले साल अक्टूबर में एफपीआई ने बिकवाली शुरू की थी और यह लगातार जून 2022 तक जारी रही। इस दौरान विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 2.46 लाख करोड़ों रुपए की निकासी की थी।
निवेशकों की पसंद बना भारतीय बाजार
सैंक्टम वेल्थ के प्रोडक्ट एंड सलूशन को-हेड मनीष जेलोका का कहना है कि आने वाले महीनों में भारतीय शेयर बाजार विदेशी निवेशकों को आकर्षित करता रहेगा। हालांकि आने वाले महीनों में निवेश अगस्त के मुकाबले थोड़ा धीमा रहेगा। वहीं, अरिहंत कैपिटल मार्केट के संयुक्त प्रबंधक निदेशक अर्पित जैन का कहना है कि महंगाई, डॉलर की कीमत और ब्याज दरों में बढ़ोतरी एफपीआई के प्रभावों निर्धारित करेगी।
डिपोजिटरीज की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार में कुल 51,204 करोड़ रुपए का निवेश किया है। विदेशी निवेशकों की ओर से भारतीय शेयर बाजार में अभी तक एक महीने में किया गया अधिकतम निवेश 62,016 करोड़ रुपए का है, जो दिसंबर 2020 में किया गया था।
इन सेक्टरों में निवेश बढ़ा
सैंक्टम वेल्थ के जेलोका का कहना है कि भारत में महंगाई की स्थिति विकसित देशों के मुकाबले काफी बेहतर है। विदेशी निवेशक मौजूदा समय में केवल उच्च गुणवत्ता वाली कंपनियों में ही निवेश कर रहे हैं। हाल के दिनों में फाइनेंशियल, कैपिटल गुड्स, एफएमसीजी और टेलीकॉम कंपनियों में अच्छी खरीदारी देखने को मिली है।
एशियाई बाजारों में लिवाली का जोर
भारत के साथ एफपीआई ने इस दौरान इंडोनेशिया, साउथ कोरिया और थाईलैंड के बाजारों में भी निवेश किया है, जबकि फिलीपींस और ताइवान के बाजारों में बिकवाली की है।