ब्रोकर इतिहास

55 साल के हुए अमित शाह, दिलचस्प रहा शेयर ब्रोकर से 'राजनीति के चाणक्य' बनने का सफर
मौजूदा राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह आज यानी 22 अक्टूबर को 55 साल के हो गए हैं. किसी वक्त पर शेयर ब्रोकर रहने वाले अमित शाह आज देश के गृहमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. उनका ये सफर अपने आप में खास है जिसे जानना बेहद दिलचस्प होगा.
22 अक्टूबर 1964 को मुंबई में जन्में अमित शाह को राजनीति विरासत में नहीं मिली बल्कि वो अपनी काबिलियत और कुशलता से इसके शहंशाह बने. पढ़ाई के बाद उन्होंने अपने करियर की शुरुआत स्टिक के पाइप का कारोबार संभालने से की. इसके बाद स्टॉक मार्केट में शेयर ब्रोकर के तौर पर भी काम किया. वह 16 साल की आयु में ही आरएसएस से जुड़ गए थे और अखिल विद्यार्थी परिषद् (ABVP) के कार्यकर्ता बन गए. वह आरएसएस से 1980 में जुड़े और महज दो साल के ब्रोकर इतिहास अंदर ABVP की गुजरात ईकाई के संयुक्त सचिन बन गए.
पीएम मोदी से मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात 1986 में हुई थी और तभी से दोनों में दोस्ती हो गई. अमित शाह ने सक्रिया राजनीति की शुरुआत 1987 से बीजेपी की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) में शामिल होने से की. इसके बाद वह BJYM में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नियुक्त गए औऱ 1989 में अहमदाबाद के सचिव बन गए.
आडवाणी से परिचय
अमित शाह ने राम जन्मभूमि आंदोलन में जमकर प्रचार प्रसार किया. इस दौरान उनकी मुलाकात लाल कृष्ण आडवाणी से हुई. आडवाणी उस समय गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे. अमित शाह ने इसी के बाद से 2009 तक आडवाणी के चुनाव संयोजक की जिम्मेदारी निभाई.
इसके बाद अमित शाह 1995 में गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष बने और 1997 में पहली बार गुजरात के सरखेज विधानसभा से चुनाव लड़ा औऱ भारी वोटों से जीत हालिस की. अमित शाह की कुशलता को देखते हुए उन्हें 1998 में बीजेपी की गुजरात ईकाई का प्रदेश सचिव बना दिया गया और 1999 में प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्त कर दिया गया.साल 2002 में अमित शाह ने पहली बार गुजरात सरकार में मंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद उऩ्होंने गृह मंत्रालय, ट्रांसपोर्ट, निषेध, संसदीय कार्य जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली.
जब फर्जी एनकाउंटर केस में जेल पहुंच गए अमित शाह
एक तरफ जहां अमित शाह एक बाद एक सीढ़ी को पार करते हुए अपने राजनीति करियर में ऊपर उठ रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ वो कई परेशानियों का सामना भी कर रहे थे. अमित शाह के जीवन में सबसे बड़ा मोड़ तब आय़ा जब फर्जी एनकाउंटर के मामले में उन्हें 2010 में जेल भेज दिया गया. हालांकि ब्रोकर इतिहास इसके बाद 2015 में CBI की एक विशेष अदालत ने इस एनकाउंटर केस में अमित शाह को बरी कर दिया.
पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और फिर गृहमंत्री
इसके बाद अमित ब्रोकर इतिहास शाह को 2014 में राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया और उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया जहां से बीजेपी ने 71 सीटों के साथ ऐतिहासि जीत दर्ज की.
इसके बाद 2014 में ही अमित शाह को राष्ट्रीय पार्टी अध्यक्ष बना दिया गया. 2019 में दूसरी बार भी जब पीएम मोदी की सरकार आई तो उन्हें गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी गई. गृहमंत्री बनते ही अमित शाह ने कई बड़े फैसले लेकर इतिहास रच दिया. इनमें जम्मू-कश्नीर से अनुच्छेद 370 हटाना और तीन तलाक पर कानून भी शामिल है.
Purnia: सदर थानाध्यक्ष संजय सिंह के घर से मिली पीले रंग की डायरी में शहर के कई बड़े जमीन ब्रोकर का नाम और लेखा-जोखा देख चौंके SUV के एसपी जे0 पी0 मिश्रा…पढ़ें पूरी खबर
Purnia, Rajesh Kumar Jha : आय से अधिक संपत्ति मामले में जिले में आठ ठिकानों में चल रही SUV टीम की छापेमारी में बुरे फंसे एसपी दयाशंकर,सदर थानाध्यक्ष संजय सिंह, रीडर नीरज,टेलीफोन ऑपरेटर सावन कुमार के निजी आवास और सरकारी आवास से SUV टीम को अकूत सम्पत्ति मिलने की खबर से पूरे जिले में हड़कंप ब्रोकर इतिहास मच गया है.बताते चलें कि 27 इनोवा गाड़ी के काफिले के SUV(स्पेशल यूनिट विजिलेंस) की 110 लोगों की पूरी टीम सुबह के 7 बजे पूर्णिया जिले के पुलिस अधीक्षक दयाशंकर के सरकारी आवास सहित आठ ठिकानों पर पहुंची तो पूरे जिले में हड़कम्प मच गया.किसी ने सोचा भी नहीं था कि एसपी के घरों पर भी ब्रोकर इतिहास विजिलेंस की छापेमारी हो सकती है.
ऐसा पूर्णिया के इतिहास में पहली बार हुआ है.SUV की टीम जब सदर थानाध्यक्ष संजय सिंह के किराये के मकान पर पहुंची तो संजय सिंह को ये समझने में देर भी नहीं लगी कि हम विजिलेंस के घेरे में आ चुके है.तकरीबन 6 घण्टे से अधिक देर तक SUV की टीम ने सदर थानाध्यक्ष संजय सिंह के घर पर छापेमारी की. छापेमारी के दौरान SUV की टीम को भारी मात्रा में कैश,गोल्ड, जमीन के कागजात और फिक्स्ड डिपॉजिट के कागजात मिले.
इसी दौरान SUV की टीम को गोदरेज में रखे एक पीले रंग की डायरी मिली.जब डायरी को पढा गया तो SUV टीम के एसपी जे0 पी0 मिश्रा की आंखे खुली रह गई. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उस पीले रंग की डायरी में शहर के कई बड़े जमीन ब्रोकर का नाम और उनके साथ का लेखा जोखा लिखा था.टीम ने उस डायरी को जप्त करते हुए अपने साथ ले गए.
मेरा सारा पैसा इस फ्रॉड ब्रोकर के अंदर फंसा हुआ था
SICH
1-2 साल ऑस्ट्रेलिया विनियमन संदेहजनक नियामक लाइसेंस व्यापार का संदेहजनक दायरा
मलेशिया 2022-02-19 11:25
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महंगी हो जाएगी इंश्योरेंस पॉलिसी! IRDAI के नए नियम का होगा बड़ा असर
News18 हिंदी 2 दिन पहले News18 Hindi
नई दिल्ली. भारत में इंश्योरेंस प्रोडक्ट और कंपनियों के कामकाज पर नजर रखने वाली नियामक संस्था इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने एजेंट कमीशन में कटौती के अपने प्रस्ताव को संशोधित किया है. 24 नवंबर को एक नए प्रस्ताव में आईआरडीएआईए ने इंश्योरेंस कंपनियों को उनके बोर्ड द्वारा अप्रूव पॉलिसी के अनुसार कमीशन का पेमेंट करने की अनुमति देने की योजना बनाई है. हालांकि, एक राइडर है- बीमाकर्ताओं के पास यह लचीलापन तब तक होता है जब तक भुगतान किया गया एक्सपेसेंस ऑफ मैनेजमेंट (EoM) के ओवरऑल खर्च की सीमा का उल्लंघन नहीं करता है जिसका उन्हें पालन करना होता है.
लेखिका और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज मार्केट्स (NISM) में सहायक प्रोफेसर मोनिका हालान ने कहा ब्रोकर इतिहास कि यह इंश्योरेंस इंडस्ट्री में एक बड़ा कदम है क्योंकि यह सभी लागतों को एक मद में रखता है और इंडस्ट्री को अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार आवंटन करने की स्वतंत्रता देता है.
यह रेगुलेटरी लिमिट से अधिक इंसेंटिव और रिवॉर्ड देने की संदिग्ध प्रथा को भी समाप्त कर सकता है. वह आगे कहती हैं कि यह पहला गंभीर कदम है जो आईआरडीएआईए ने अपने इतिहास में एक रेगुलेटर के रूप में उन प्रोडक्ट्स में कमीशन को कम करने के लिए उठाया है जो आज हास्यास्पद रूप से उच्च स्तर पर हैं.
1 अप्रैल 2023 से लागू हो सकते हैं नए नियम
ईओएम में कमीशन और अन्य खर्च जैसे टेक्नोलॉजी खर्च, कर्मचारी लागत, प्रशासनिक खर्च आदि शामिल हैं. अगस्त के मसौदे में भी ईओएम की सीमा का उल्लंघन नहीं करने वाली कंपनियों को कमीशन पेआउट तय करने की छूट दी गई थी. एक बार अंतिम रूप दिए जाने के बाद ये नियम 1 अप्रैल, 2023 से लागू हो जाएंगे.
पॉलिसीधारकों को नुकसान
विशेष रूप से लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों में भारी कमीशन दरों ने अक्सर पॉलिसीधारकों के हितों के खिलाफ काम किया है. फिलहाल इंश्योरेस कंपनियों को अपने कमीशन भुगतान को तब तक कम करने की आवश्यकता नहीं है जब तक वे ईओएम सीमा के भीतर हैं. अन्य वित्तीय क्षेत्र जैसे म्युचुअल फंड में जहां एक्सपेंस रेशियो नीचे की ओर चल रहा है.
एमके ग्लोबल के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट अविनाश सिंह ने प्रस्तावित कमीशन स्ट्रक्चर पर अपनी रिपोर्ट में कहा, ”रेगुलेटर और इंडस्ट्री दोनों को शुतुरमुर्ग सिंड्रोम को दूर करने और इस तथ्य के साथ सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है कि ओवरऑल एक्सपेसेंस रेशियो इंडस्ट्री के आकार में वृद्धि के साथ घटेगा. इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए इनवर्ड-लुकिंग रहना समझदारी नहीं है.”
सीधे इंश्योरेंस कंपनियों से खरीदारी करने की सलाह दे रहे हैं एक्सपर्ट
इंडस्ट्री का आकार बढ़ने से लागत में काफी कमी आई है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि हालांकि पॉलिसीधारक अब एजेंटों को मोटा कमीशन देने के बारे में कुछ नहीं कर सकते, लेकिन वे प्रीमियम बचाने के लिए सीधे इंश्योरेंस कंपनियों से खरीदारी कर सकते हैं. फर्स्ट ग्लोबल इंश्योरेंस ब्रोकर्स के रीजनल डायरेक्टर हरि राधाकृष्णन कहते हैं, “नया ड्राफ्ट कहता है कि लाइफ के साथ-साथ नॉन-लाइफ पॉलिसीधारक सीधे इंश्योरेंस कंपनियों के पास जा सकते हैं और प्रीमियम पर छूट प्राप्त कर सकते हैं.”