कमोडिटी ऑप्शंस का परिचय

डेली न्यूज़
सेबी द्वारा कृषि जिंसों में डेरिवेटिव व्यापार पर प्रतिबंध | 21 Dec 2021 | भारतीय अर्थव्यवस्था
प्रिलिम्स के लिये:
कैपिटल मार्केट, डेरिवेटिव ट्रेडिंग, इन्फ्लेशन, ऑप्शंस, फ्यूचर्स, फॉरवर्ड्स, स्वैप्स
मेन्स के लिये:
डेरिवेटिव ट्रेडिंग निलंबन के कारण और इसके प्रभाव, महत्त्व और डेरिवेटिव ट्रेडिंग से संबंधित चिंताएँ।
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नेशनल कमोडिटीज़ एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) के फ्यूचर प्लेटफॉर्म पर सात कृषि जिंसों के डेरिवेटिव व्यापार पर एक वर्ष के लिये प्रतिबंध लगा दिया है।
शुरू कैसे करें!
पूरे पहले मॉड्यूल में आपको स्टॉक मार्केट या शेयर बाज़ार से परिचित करवा दिया गया है। हमारी कोशिश रही है कि वो सारे विषय आप समझ जाएं जिनको जानना आपके लिए, एक निवेशक के तौर पर ज़रूरी है, खासकर तब जब आप बाज़ार के लिए एकदम नए हैं। अब भी अगर आपके दिमाग में सवाल बचे हैं, तो अच्छी बात है, क्योंकि आगे आने वाले मॉड्यूल में हम उनके जवाब देंगे।
यहाँ हम ये बताना भी ज़रूरी समझते हैं कि हमने इतने मॉड्यूल क्यों बनाए हैं, और वो आपस में कैसे जुड़े हुए हैं। एक बार फिर से नज़र डाल लीजिए कि कौन से मॉड्यूल हमने बनाएं हैं।
- स्टॉक मार्केट का परिचय
- टेक्निकल एनालिसिस
- फंडामेंटल एनालिसिस
- फ्यूचर ट्रेडिंग
- ऑप्शन थ्योरी
- ऑप्शन स्ट्रैटेजीज
- क्वांटिटेटिव कॉन्सेप्ट्स
- कमोडिटी बाज़ार
- रिस्क मैनेजमेंट और ट्रेडिंग फिलॉसफी
- ट्रेडिंग स्ट्रैटेजीज कमोडिटी ऑप्शंस का परिचय और सिस्टम्स
- फाइनेंशियल मॉडलिंग फॉर इंवेस्टमेंट प्रैक्टिस
13.1 इतने सारे मॉड्यूल – आपस में कैसे जुड़े हैं?
जेरोधा- वारिसटी (Zerodha- Varsity) में हमारी कोशिश है कि बाज़ार से जुड़े अच्छे शैक्षिक विषयों को आपतक पहुंचा सके। इसमें शामिल विषय हैं फंडामेंटल एनालिसिस, टेक्निकल एनालिसिस, डेरिवेटिव्स, ट्रेडिंग स्ट्रैटेजीज, रिस्क मैनेजमेंट आदि। हर मुख्य विषय पर एक मॉड्यूल है। लेकिन अगर आप बाज़ार में नए हैं या कहें कि नए निवेशक हैं तो आपको ये लग सकता है कि ये सारे विषय आपस में जुड़े हुए कैसे हैं?
इस सवाल के जवाब में आपसे एक सवाल करना ज़रूरी है। आपको क्या लगता है कि बाज़ार में सफल होने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ क्या है? बाज़ार में सफलता का मतलब है कि आप खूब सारे पैसे बनाएं और अगर आप पैसा नहीं बना रहे हैं, तो आप असफल हैं। तो मेरे सवाल के जवाब में, आपके दिमाग में बहुत सारी बातें आएंगी, जैसे- रिस्क मैनेजमेंट, अनुशासन, टाइमिंग (timing) यानी सही वक्त पर सही फैसला, बाज़ार से जुड़ी जानकारी इत्यादि।
इन चीजों के महत्व से कमोडिटी ऑप्शंस का परिचय इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन ज्यादा ज़रूरी और प्राथमिक है एक दृष्टिकोण या नज़रिया (Point of view) बनाना ।
दृष्टिकोण या नज़रिया वो चीज है जो आपको बताती है कि बाज़ार किस दिशा में जाएगा। अगर आपको लगता है कि बाज़ार ऊपर जाएगा, तो आपका नज़रिया तेज़ी का है, और आप शेयर खरीदेंगे। इसी तरीके से अगर आपका नज़रिया मंदी का है, तो आप बाज़ार में शेयर बेचेंगे।
लेकिन ये नज़रिया आप कैसे बना सकते हैं? आप कैसे तय करेंगे कि बाज़ार ऊपर जाएगा कि नीचे?
नज़रिया या दृष्टिकोण बनाने के लिए एक सही कार्य प्रणाली से बाज़ार का परीक्षण (Analysis) करना होगा। कुछ तरीके हैं जिनका इस्तेमाल कर आप ये परीक्षण कर सकते हैं।
- फंडामेंटल एनालिसिस
- टेक्निकल एनालिसिस
- क्वांटिटेटिव एनालिसिस
- बाहर का नज़रिया (Outside views)
आपको समझाने के लिए हम एक उदाहरण देते हैं कि एक ट्रेडर के दिमाग में क्या चल रहा होता है, जब वो अपना नज़रिया बना रहा होता है।
फंडामेंटल एनालिसिस पर आधारित दृष्टिकोण – कंपनी के तिमाही नतीजे अच्छे दिख रहे हैं, कंपनी ने बिक्री में 25% और मुनाफे में 15% वृद्धि दिखाई है। कंपनी ने आगे का भविष्य यानी गाइडेंस (Guidance) भी अच्छा बताया है। तो ये सारे फंडामेंटल संकेत शेयर में तेज़ी दिखाते हैं और इसलिए ये शेयर खरीदने की श्रेणी में है।
टेक्निकल एनालिसिस पर आधारित दृष्टिकोण – MACD इंडिकेटर तेज़ी दिखा रहा है और ये बुलिश कैंडलस्टिक पैटर्न (Bullish Candlestick Pattern) के साथ है। इसको देखने पर शेयर छोटी अवधि के लिए (Short Term) तेज़ी में दिखता है और इसे खरीदा जा सकता है।
क्वांटिटेटिव एनालिसिस पर आधारित दृष्टिकोण – पिछले दिनों की तेज़ी के बाद शेयर के PE ने तीसरे स्टैंडर्ड डेविएशन ( 3 rd Standard Deviation) को छू लिया है। PE के तीसरे स्टैंडर्ड डेविएशन को तोड़ने की उम्मीद 1% ही है। इसलिए ये मानना बेहतर होगा कि शेयर की चाल बदल रही है और ये बेचे जाने के लिए तैयार है।
बाहर का नज़रिया (Outside views)- टेलिविजन पर आ रहे एनालिस्ट शेयर में खरीदारी की सलाह दे रहे हैं इसलिए शेयर खरीदा जा सकता है।
आपका नज़रिया आपकी अपनी एनालिसिस पर आधारित होना चाहिए ना कि किसी और के कहने से, क्योंकि बाद में आप किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते।
अपना नज़रिया बनाने के बाद आप आमतौर पर क्या करेंगे? क्या सीधे बाज़ार में जाएंगे और सौदे करने लगेंगे? वास्तव में बाज़ार की पेचीदगियां यहीं से शुरू होती हैं।
अगर आपका नज़रिया तेज़ी का है तो आप…
- स्पॉट मार्केट में शेयर खरीद सकते हैं।
- डेरिवेटिव बाज़ार में शेयर खरीद सकते हैं।
- डेरिवेटिव में आप शेयर का फ्यूचर खरीद सकते हैं।
- या आप ऑप्शन में सौदे कर सकते हैं।
- ऑप्शन में कॉल ऑप्शन (Call Option) भी है और पुट ऑप्शन (Put Option) भी है।
- आप कॉल और पुट ऑप्शन का एक मिश्रण ले कर सिंथेटिक बुलिश ट्रेड (Synthetic Bullish Trade) भी कर सकते हैं।
तो अपना नज़रिया बनाने के बाद आप क्या करेंगे यह एक अलग ही खेल है। सही इंस्ट्रूमेंट को चुनना ही आपके नज़रिए को ट्रेडिंग में सफल या असफल बनाता है।
उदाहरण के लिए, अगर मैं एक शेयर को लेकर एक साल के लिए तेज़ी में हूं तो मेरे लिए अच्छा ये होगा कि मैं उस शेयर को डिलीवरी ट्रेडिंग में लेकर रख लूं। लेकिन अगर मैं कम समय के लिए तेज़ी का नज़रिया रखता हूं, जैसे कि 1 हफ्ता, तो फ्यूचर का कोई इंस्ट्रूमेंट मेरे सौदे के लिए बेहतर होगा।
अगर मैं तेज़ी में हूं लेकिन उस नज़रिए में कुछ शर्तें जुड़ी हुई हैं, जैसे- मुझे लगता है कि बाज़ार बजट भाषण के बाद उछलेगा, लेकिन मैं बहुत रिस्क या जोखिम लेने को तैयार नहीं हूं तो मेरे लिए ऑप्शन इंस्ट्रूमेंट बेहतर होंगे।
तो कुल मिलाकर बाज़ार के हर खिलाड़ी को अपना नज़रिया बनाना चाहिए और उसके लिए सही ट्रेडिंग इंस्ट्रूमेंट चुनना चाहिए, तभी आप बाज़ार में सफल हो सकते हैं।
उम्मीद है कि अब तक आपको समझ आ गया होगा कि अलग-अलग मॉड्यूल कैसे बाज़ार की एक पूरी तस्वीर प्रस्तुत करते हैं।
फ्लो चार्ट के शब्द
- Fundamental Analysis – फंडामेंटल एनालिसिस
- Technical Analysis – टेक्निकल एनालिसिस
- Quantitative Analysis – क्वांटिटेटिव एनालिसिस
- Outside view – बाहरी नज़रिया
- Point of view- नज़रिया या दृष्टिकोण
- Trading terminal – ट्रेडिंग टर्मिनल
- Spot market transaction – स्पॉट मार्केट सौदे
- Derivative market transaction – कमोडिटी ऑप्शंस का परिचय डेरिवेटिव्स मार्केट सौदे
- Futures – फ्यूचर्स
- Options – ऑप्शंस
- Call option – कॉल ऑप्शन
- Put option – पुट ऑप्शन
- Over 400 strategies can be built using the combination of call and put options – इनसे मिलाकर करीब 400 तरीके की स्ट्रैटेजी या रणनीति बनाई जा सकती है।
इसको ध्यान में रखते हुए जेरोधा वारसिटी (Zerodha Varsity) के अध्यायों को पढ़ेंगे तो आपको फायदा होगा।
अगले 2 मॉड्यूल में टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस पर आधारित नज़रिया (PoV – Point of View) बनाना सीखेंगे।
इन 2 मॉड्यूल के बाद जब आपको नज़रिया बनाना आ जाएगा तब आगे के मॉड्यूल में अलग अलग ट्रेडिंग इंस्ट्रूमेंट की जानकारी दी जाएगी, ताकि आप आपने नज़रिए पर आधारित इंस्ट्रूमेंट चुन सकें। साथ ही आगे बढ़ने पर सौदों को बेहतर बनाने के लिए सफल रिस्क मैनेजमेंट तकनीक बताएंगे।
भारतीय गर्मी की लहर से वैश्विक गेहूं की कीमतें प्रभावित हुई हैं 24.05.2022
वैश्विक गेहूं की कीमतों पर भारत में गर्मी की लहर का प्रभाव
भारत में बढ़ती गर्मी की लहरों से वैश्विक गेहूं की कीमतों को बढ़ावा मिलेगा। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। पिछले 122 सालों में इस बार की गर्मी देश के लिए सबसे गर्म वर्ष है। गर्मी की लहर के दौरान, कई आर्थिक क्षेत्रों में श्रमिक उत्पादकता में कमी देखी गई है। यह विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में है। वैश्विक स्तर पर, हर साल कुल कार्य समय का 2% गवांने का अनुमान है क्योंकि इस समय काम करने के लिए बहुत गर्मी होती है या श्रमिकों को धीमी गति से काम करना पड़ता है। इसलिए, उच्च तापमान गेहूँ पैदावार को सिमित करती है। 23 डिग्री सेल्सियस के औसत तापमान से प्रत्येक एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से गेहूं की पैदावार में औसतन 10% की कमी आती है।
अन्य कारक भी हैं, जैसे सूखा और गर्मियों में पानी की आपूर्ति की कमी जो कम पानी के भंडार के कारण होती है। चूंकि गेहूं का उत्पादन मुश्किलों का सामना कर रहा है, इसलिए बाजार में गेहूं की आपूर्ति कम होगी। नतीजतन, दुनिया भर में गेहूं की कीमतों में वृद्धि की संभावना है। घरेलू मांग को पूरा करने के इरादे से भारत ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। इस बीच, रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण गेहूं की कीमतें पहले से ही आसमान छु रही थीं। इसलिए, इस तरह के निर्णय से वैश्विक गेहूं की कीमतों में और वृद्धि होने की संभावना है।
गेहूं की बढ़ती कीमतों से आप कैसे लाभ प्राप्त कर सकते हैं?
कमोडिटी एक्सचेंजों में गेहूं का ट्रेड करना लाभदायक हो सकता है। ऐसा करने का एक तरीका गेहूं की कीमतों पर नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड में कारोबार करना है। दूसरा कॉल ऑप्शन खरीदना है या पुट ऑप्शन बेचना है और गेहूं पर फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट (अनुबंध) खरीदना है। यदि गेहूं की कीमत बढ़ती है तो इन सभी परिदृश्यों से लाभ होने की संभावना है। कमोडिटी फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ट्रेडिंग करना स्टॉक या इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ट्रेडिंग करने के समान हैं। नीचे दिए गए गेहूं के फ्यूचर्स चार्ट पर, कीमत एक अपट्रेंड में स्थित है और भविष्य में 1425.00 के उच्च स्तर को पुनः प्राप्त कर सकती है।
1425.00 का लक्ष्य स्तर
गेहूं की बढ़ती कीमतों में ट्रेड करने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्टॉक
ITC बाजार को मात दे सकती है। FMCG दिग्गज ITC आशीर्वाद आटा ब्रांड के तहत गेहूं का उत्पादन करता है, जो भारत में अपने उच्च गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है। जब कम आपूर्ति के कारण गेहूं की कीमतें बढ़ती हैं, तो ITC को गेहूं की उच्च मांग से लाभ होने की संभावना है। इससे कंपनी की लाभप्रदता में सुधार हो सकता है। निम्न चार्ट पर, ITC के शेयर की कीमत एक मजबूत अपट्रेंड में है। यह 200-EMA से ऊपर कारोबार कर रहा है, यह 310.00-320.00 की सीमा तक पहुंचने के लिए ऊपर जा सकता है।
310.00 का लक्ष्य स्तर
320.00 का लक्ष्य स्तर
जोखिम चेतावनी: लेख की सामग्री में निवेश की सलाह निहित नहीं है और आप अपनी ट्रेडिंग गतिविधि और/या ट्रेडिंग के परिणामों के लिए पूरी तरह से स्वयं जिम्मेदार हैं।
पैदावार, एक विशेष अवधि में कमोडिटी ऑप्शंस का परिचय उत्पन्न और प्राप्त आय को संदर्भित करता है। इसे निवेशित राशि, वर्तमान बाजार मूल्य या प्रतिभूति के प्रत्यक्ष मूल्य के आधार पर प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड भारत में एक प्रमुख कृषि कमोडिटी एक्सचेंज है
₹74,979 करोड़ की सकल बिक्री मूल्य और ₹13,032 करोड़ के शुद्ध लाभ के साथ, ITC भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की FMCG कंपनियों में से एक है।
ग्रीन यानि हरित भविष्य की ओर बढ़ते कदम और इसका बाज़ार पर प्रभाव
ग्रीन यानि हरित भविष्य की ओर बढ़ते कदम और इसका बाज़ार पर प्रभाव क्या कच्चा तेल ही भविष्य है? इस बात का ध्यान रखते हुए कि तेल एक नॉन-रिन्यूएबल रिसोर्स (Non-renewable resource) यानी अनवीकरणीय स्त्रोत है, इसका एक दिन ख़त्म होना निश्चित है| इसलिए हमें अभी से ग्रीन भविष्य की ओर कदम बढ़ाना चाहिए जहां हम पवन, पानी और सोलर एनर्जी जैसे क्लीन सोर्सेज का इस्तेमाल करें| आज न सिर्फ भारत पर दुनिया भर में कई ऐसी कंपनियां हैं जो स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल करती हैं| इनमें टेस्ला का नाम सबसे ऊपर है, जिसने इस क्षेत्र में तेज़ी से अपनी पहचान बनाई है| वर्तमान समय में यह न केवल विश्व की सबसे मूल्यवान ऑटोमोटिव कंपनी है, बल्कि सबसे स्वच्छ ऊर्जा कंपनी भी है| 1 अप्रैल, 2021 को टेस्ला का मार्किट कैप यानी बाज़ार पूंजीकरण 638 बिलियन डॉलर था| इसके विपरीत जनरल मोटर्स का मार्केट कैप लगभग 80 बिलियन डॉलर है और फोर्ड मोटर्स का लगभग 50 बिलियन डॉलर है| भारत में भी हरित ऊर्जा क्षेत्र में तेज़ी से विकास हो रहा है| टाटा पावर और सुज़लॉन एनर्जी (Suzlon energy) जैसी कंपनियां हवा, पानी और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कदम बढ़ा रही हैं| देश में ग्रीन एनर्जी क्षेत्र के विकास के लिए विदेशी निवेशक भी आगे आ रहे है| CRISIL के मुताबिक, वैश्विक निवेश से भारत की रिन्यूएबल ऊर्जा क्षमता 2023 में लगभग 35 GW तक पहुँच सकती है| ESG निवेश में लगातार बढ़ोतरी के कारण स्टॉक मार्केट में भी हरित ऊर्जा क्षेत्र में निवेशकों की रुचि बढ़ने की सम्भावना है| आने वाले समय में यह निश्चित रूप से निवेशकों और ग्राहकों के लिए अत्यंत रुचि का क्षेत्र साबित होगा|
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