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मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है?

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मुद्रा क्या है? मुद्रा की परिभाषा | मुद्रा का अर्थ एवं प्रकार

मुद्रा के बिना आधुनिक अर्थव्यवस्था की कल्पना ही नहीं की जा सकती है. किसी राज्य में यदि कोई आर्थिक गतिविधि होती है तो उसमे कही न कही मुद्रा का केंद्रीय स्थान होता है. मुद्रा क्या है ये तो मोटा-मोटा सभी को पता होगा लेकिन मुद्रा की परिभाषा कम ही लोग जानते होंगे।

इस आर्टिकल में मैं आपको मुद्रा का अर्थ एवं प्रकार सब-कुछ समझाऊंगा। यदि यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो इसे दोस्तों के साथ शेयर भी करें।

Table of Contents

मुद्रा क्या है? मुद्रा का अर्थ

मुद्रा शब्द अंग्रेजी के शब्द ‘Money’ का हिंदी रूपांतरण है। Money को लैटिन भाषा के Moneta शब्द से लिया गया है।

मुद्रा की परिभाषा

मुद्रा एक ऐसी वस्तु है जो सामान्य रूप में विनिमय (exchange) के माध्यम, मूल्य के माप, धन के संचय तथा ऋणों के भुगतान के रुप में स्वीकार की जाती है। मुद्रा को राजकीय मान्यता तथा संरक्षण भी प्राप्त होता है|

दूसरे शब्दों में कहें तो मुद्रा (currency) धन के उस रूप को कहते हैं जिस से दैनिक जीवन में क्रय और विक्रय (buying and selling) की क्रियाएं होती है।

क्राउथर के अनुसार, “मुद्रा वह वस्तु है जो विनिमय के माध्यम के रूप में सामान्यतया स्वीकारी जाती है और साथ ही साथ में मुद्रा के मापऔर मुद्रा के संग्रह का कार्य भी करे।”

मुद्रा के प्रकार

मुद्रा के कई प्रकार है. यदि मुद्रा के वर्गीकरण के बारे बात की जाये तो इसे हम निम्न प्रकार से वर्गीकृत कर सकते है-

भीतरी मुद्रा (Inside money)

वह मुद्रा जो अर्थव्यवस्था की भीतरी निजी इकाइयों के ऋण पर आधारित हो| जैसे बैंक में जमा का उस सीमा तक भाग जो उसके द्वारा निजी क्षेत्र को दिए गए ऋण के बराबर हो उसे भीतरी मुद्रा कहते है|

बाहरी मुद्रा (outside money)

बाहरी मुद्रा लोगो का शुद्ध धन होता है| बाहरी मुद्रा जैसे- सोना, सरकारी प्रतिभूति आदि तथा भीतरी मुद्रा जैसे बैंक बैलेंस।

फिएट मनी या लीगल टेंडर (Fiat money)

ये मुद्रा सरकार के अनुसार चलती हैं. और सरकार फ़िएट मनी को ही लीगल टेंडर घोषित करती है. जिसे देश के सभी लोगों और संस्थाओं को भुगतान के साधन के रूप में स्वीकार करना होता है.

भारत में एक रूपये का सिक्का या नोट एक सीमित ग्राह्य लीगल टेंडर है. अर्थात एक रूपये के सिक्कों या नोट से आप एक सीमा तक ही भुगतान कर सकते है. सीमा के बाहर इनको स्वीकार करने की कोई वैधानिक अनिवार्यता नहीं है.

मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंविदेशी विनिमय-दर (Foreign Exchange Rate)- मुद्रा-मूल्य के विदेशी विनिमय दर से अभिप्राय, एक देश की मुद्रा के बदले में जितनी विदेशी मुद्रा की इकाइयाँ प्राप्त होती हैं, वे उस मुद्रा का मूल्य कहलाती है।

इसे सुनेंरोकेंमुद्रा के मूल्य से सामान्य तात्पर्य है कि आप उससे क्या खरीद सकते हैं, कितना खरीद सकते हैं और भविष्य में हम क्या कर सकते हैं। मूद्रा का मूल्य माल और सेवाओं के मूल्य की तरह ही इसके लिए मांग से निर्धारित होता है। डॉलर के मूल्य को मापने के तीन तरीके हैं। पहला यह है कि विदेशी मुद्राओं में डॉलर से कितना खरीद सकते हैं ।

इच्छुक मुद्रा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंऐच्छिक मुद्रा यह वह मुद्रा मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है? है जिसे व्यक्ति प्राय: अपनी इच्छा से स्वीकार कर लेता है, किन्तु उसके अस्वीकार करने पर कानून द्वारा उसे इस मुद्रा को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

मुद्रा से आप क्या समझते हैं मुद्रा के विभिन्न कार्यों का वर्णन कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रा एक ऐसा मूल्यवान रिकॉर्ड है या आमतौर पर वस्तुओं और सेवाओं के लिए भुगतान के रूप में स्वीकार किया जाने वाला तथ्य है. यह सामाजिक-आर्थिक संदर्भ के अनुसार ऋण के पुनर्भुगतान के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. मुद्रा का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है लेनदेन को सुविधाजनक बनाना.

मुद्रा गुणक क्या है?

इसे सुनेंरोकेंNotes: किसी अर्थव्यवस्था में कुल मुद्रा पूर्ति और उच्च शक्तिशाली मुद्रा के स्टॉक का अनुपात मुद्रा गुणक कहलाता है।

मुद्रा क्या है Class 10?

इसे सुनेंरोकें(3) मुद्रा आपको आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या से भी बचाती है फर्ज़ करो एक कपड़े मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है? बेचने वाला गेहूँ खरीदना चाहता है। पहले तो उसे कपड़े खरदीने वाला व्यक्ति ढूँढना पड़ेगा और फिर उसे देखना पड़ेगा कि ऐसा व्यक्ति है। इस प्रकार इस लेन-देन में संयोगों की आवश्यकता पड़ती है।

इसे सुनेंरोकेंमुद्रा एक ऐसी वस्तु या माध्यम है जो मनुष्य को अपनी इच्छानुसार आर्थिक निर्णय लेने में सहायता प्रदान करती है, मुद्रा की सहायता से व्यक्ति अपनी इच्छाओं एवं आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है. उपभोक्ता जिस वस्तु के लिए सबसे अधिक कीमत देने को तत्पर होता है। उन्ही वस्तुओं का उत्पादन बाजार में अधिक किया जाता है।

मुद्रा नहीं थी तब लोग आपसी लेनदेन कैसे करते थे?

इसे सुनेंरोकेंप्राचीन काल में इसे मुद्रा कहा जाता था। प्राचीन काल में जब लोगों को किसी चीज की आवश्यकता पड़ती थी, तब वे आपस में चीजों के आदान-प्रदान से अपनी जरूरत की चीजों को हासिल करते थे। मान लीजिए फल बेचने वाले को दूध की आवश्यकता होती और दूधवाले को फल की।

मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है?

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किसी मुद्रा (करेंसी) के अधिकील .

स्थिर स्तर पर निम्नतर स्तर पर उच्चतर स्तर पर इसको बाजार शक्तियों पर छोड़ देने पर

Solution : मुद्रा अधिकीलन. (Pegging up of acurrency) विदेशी बाजारों में सरकार के हस्तक्षेप (Intervention) का नतीजा होता है। "पेग" (Peg) या "फिक्स" से तात्पर्य लोकल करेंसी के अगेन्स्ट विदेशी मुद्रा के क्रय और विक्रय से है, जिसका उद्देश्य .नियत विनिमय दर. बनाए रखना है। जब ये संक्रियाएं विनिमय दर को उच्च स्तर पर रखने के लिए अपनाई जाती हैं तो इसे .पेगिंग अप. या अधिकीलन. कहते हैं, जबकि इसका विलोम पेगिंग डाउन. कहलाएगा।

मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है?

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"मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार .

Solution : मुद्रा विनिमय का साधन है। इसमें क्रय शक्ति होती है। इसलिए मुद्रा के द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-बिक्री की जाती है।
मुद्रा के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए विभिन्न विद्वानों और अर्थशास्त्रियों ने मुद्रा की परिभाषा देकर इसके अर्थ को स्पष्ट किया है। इनमें प्रो. हार्टले विदर्स का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन्होंने मुद्रा को परिभाषा देते हुए यह कहा है कि "मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करती है।" इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक पदार्थ या वस्तु जिसमें क्रय शक्ति होती है और जिसे लोग मुद्रा के रूप में स्वीकार करते हैं वही मुद्रा कहलाती है। यह मुद्रा विनिमय का कार्य करती है।
देश में ओ मुद्रा चलन के रूप में रहती है वही मुद्रा है और वही मुद्रा, मुद्रा का कार्य भी करती है। यह विनिमय का साधन है। इसके आधार पर मुद्रा मूल्य का संचय किया जाता है। साथ ही मुद्रा का एक निश्चित मूल्य होता है मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है? जिसके आधार पर अर्थव्यवस्था में ऐसी मुद्रा चलन में रहती है और जिसके द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-बिक्री की जाती है। भारत में सिक्के और कागजी नोट चलन मुद्रा (Currency) हैं। जिनके आधार पर विनिमय का कार्य होता है। अतः यह कथन बिल्कुल सही है कि मुद्रा वही है जो मुद्रा मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है? का कार्य करती है।

मूल्य का मानक

मूल्य का एक मानक सभी व्यापारियों और आर्थिक संस्थाओं को वस्तुओं और सेवाओं के लिए समान मूल्य निर्धारित करने की अनुमति देता है। मूल्य का मानक किसी देश के विनिमय के माध्यम, जैसे डॉलर या पेसो में लेनदेन के लिए सहमत मूल्य है। स्थिर बनाए रखने के लिए यह मानक आवश्यक हैअर्थव्यवस्था. आम तौर पर, मूल्य का एक मानक एक वस्तु पर आधारित होता है जिसे व्यापक रूप से जाना जाता है और उपयोग किया जाता है, जिससे इसे अन्य वस्तुओं के लिए एक उपाय के रूप में काम करने की इजाजत मिलती है। उदाहरण के लिए, चांदी, सोना, तांबा और कांस्य जैसी धातुओं का उपयोग पूरे इतिहास में मुद्रा के रूप और मूल्य के मानकों के रूप में किया गया है।

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मूल्य का मानक व्यावसायिक मूल्यांकन में पाए जाने वाले मूल्य को काफी हद तक प्रभावित करेगा क्योंकि अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग खरीदार और विक्रेता मूल्य को अलग तरह से देखेंगे।

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