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रणनीति व्यापार

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जिला बाल संरक्षण समिति, मानव व्यापार निषेध समिति, बाल कल्याण समिति एवं जिला निरीक्षण समिति की बैठक में देखरेख एवं संरक्षण वाले बालक बालिकाओं पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया गया ।बैठक की अध्यक्षता उप विकास आयुक्त सतेंद्र सिंह के द्वारा किया गया ।बैठक में जमुई बाल गृह में रह रहे एक मूक-बधिर बालक को परिवार से मिलाने के लिए उसके आधार की बायोमेट्रिक जांच कराने का निर्देश बाल कल्याण समिति को दिया गया।

रणनीति: व्यापार मंडल की अहम बैठक कल

-प्रदेश अध्यक्ष लोकेश अग्रवाल मीडियो से होंगे मुखातिब
-वरिष्ठ व्यापारी नेता अतुल कुमार जैन व नवीन अरोरा रहेंगे मौजूद
लखनऊ। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के प्रदेश इकाई की एक अहम बैठक गुरूवार को राजधानी के इस्लामिया कॉलेज के पास एक होटल में आयोजित की जा रही है। यह जानकारी बुधवार शाम को व्यापार मंडल के मीडिया प्रभारी विजय मान ने दी। इस दौरान व्यापार मंडल अध्यक्ष लोकेश अग्रवाल मीडिया कर्मियों से बातचीत के दौरान संगठन से संबंधित आगामी कारोबारी हितों को लेकर वार्ता करेंगे। इस दौरान प्रदेश के युवा व्यापार मंडल इकाई के वरिष्ठ व्यापारी नेता अतुल कुमार जैन, लाटूश रोड व्यापार मंडल के प्रमुख पदाधिकारी नवीन अरोरा सहित अन्य जनपदों व राजधानी क्षेत्र के प्रमुख कारोबारी प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।

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जिला बाल संरक्षण समिति, मानव व्यापार निषेध समिति, बाल कल्याण समिति एवं जिला निरीक्षण समिति की बैठक में देखरेख एवं संरक्षण वाले बालक बालिकाओं पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया गया ।बैठक की अध्यक्षता उप विकास आयुक्त सतेंद्र सिंह के द्वारा किया गया ।बैठक में जमुई बाल गृह में रह रहे एक मूक-बधिर बालक को परिवार से मिलाने के लिए उसके आधार की बायोमेट्रिक जांच कराने का निर्देश बाल कल्याण समिति को दिया गया।

बेगूसराय बालिका गृह में आवासित शेखपुरा जिले के बालिकाओं पर खास नजर

बैठक के बारे में जानकारी देते हुए जिला बाल संरक्षण इकाई के सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास ने बताया कि बेगूसराय बालिका गृह में आवासित शेखपुरा जिले के बालिकाओं पर खास नजर रखने की सलाह बाल कल्याण समिति को उप विकास आयुक्त के द्वारा दिया गया। बैठक में कोबिड से अनाथ हुए बच्चों को प्रधानमंत्री राहत फंड से लाभ दिलाने का निर्देश सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई डॉ अर्चना कुमारी को दिया गया ।

94 बच्चों को टीका दिया गया है

इस अवसर पर सुरक्षित स्थान के अधीक्षक धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि वर्तमान में सुरक्षित स्थान में 98 बच्चे रह रहे हैं जिसमें 94 बच्चों को टीका दिया गया है तथा 4 बच्चे को अभी तक टिका नहीं दिया गया है। इस पर उप विकास आयुक्त ने डी पी एम को निर्देश दिया कि वह तुरंत मेडिकल टीम भेजकर 4 बच्चों को कोविड का टीका लाने का प्रबंध करें।

सुरक्षित स्थान मटोखर में 3 वॉच टॉवर

इस अवसर पर बताया गया कि सुरक्षित स्थान मटोखर में 3 वॉच टॉवर बनाए गए हैं जिस पर सुरक्षा प्रहरी को तैनात करना आवश्यक है जो कि अभी तक नहीं हो पाया है। इस पर उप विकास आयुक्त ने बैठक में मौजूद आरक्षी उपाधीक्षक कल्याण जी को निर्देश दिया कि वह आरक्षी अधीक्षक से संपर्क कर अविलंब वाच टावर पर सुरक्षा प्रहरी की तैनाती सुनिश्चित कराएं ताकि सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रह सके। बैठक में सहायक निदेशक डॉ रचना कुमारी सीपीओ सच्चिदानंद कुमार , सी डब्लू सी से शशिवाला कुमारी, सुनील सिंह, गौतम कुमार, हेल्पलाइन की समन्वयक अमृता कुमारी ,श्रम एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौजूद थे

जर्मनी ने लॉन्च की हिन्द-प्रशांत रणनीति

हिन्द - प्रशांत रणनीति लॉन्च करने का कारण : विश्व के 90% से अधिक विदेशी व्यापार समुद्र द्वारा संचालित किए जाते हैं , जिसका एक बड़ा हिस्सा हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के माध्यम से होता है। विश्व का 25% समुद्री व्यापार मलक्का जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है।

जिस रणनीति से बाकी राज्यों में जीते, वही रणनीति जम्मू-कश्मीर में अपना रहे हैं मोदी

गुरुवार की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया. कूटनीति और राजनीति के लिहाज से देखें तो मोदी का भाषण न तो भारत भर में फैले अपने प्रशंसकों के लिए था और न ही देशवासियों के लिए. उनके भाषण के नायक भी कश्मीरी थे, उदाहरण भी कश्मीरी थे और संदर्भ भी कश्मीरी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

पाणिनि आनंद

  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2019,
  • (अपडेटेड 09 अगस्त 2019, 3:14 PM IST)

गुरुवार की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करते हुए अपने पहले के तमाम भाषणों और ऐसे अवसरों से अलग लगे. आमतौर पर लंबे व्याख्यान देने वाले प्रधानमंत्री मोदी का भाषण 38 मिनट में समाप्त हुआ और कथानक कश्मीर तक सिमटा रहा. गाहे-बगाहे जम्मू और लद्दाख का ज़िक्र तो आया लेकिन इस दौरान न तो वो हिंदुओं को मज़बूत करने का नारा देते नज़र आए और न ही कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का मुद्दा उठाते. उनके भाषण के रणनीति व्यापार नायक भी कश्मीरी थे, उदाहरण भी कश्मीरी थे और संदर्भ भी कश्मीरी.

कूटनीति और राजनीति के लिहाज से देखें तो मोदी का भाषण न तो भारत भर में फैले अपने प्रशंसकों के लिए था और न ही देशवासियों के लिए. पाकिस्तान का या भारत में पाकिस्तानी गतिविधियों का तो प्रधानमंत्री ने नाम तक नहीं लिया. मोदी दरअसल इस भाषण के ज़रिए कश्मीरी अवाम और विश्व समुदाय, दोनों को साधने की कोशिश कर रहे थे. कम से कम संदेश तो ये ही था.

विश्व समुदाय और रणनीति व्यापार कश्मीर के लिए मोदी के भाषण में दो संदेश थे. दोनों ही विश्वमंच पर सराहे जाने वाले शब्द हैं- डेवलेपमेंट और डेमोक्रेसी. मोदी अपने भाषण में या तो लोकतंत्र को मज़बूत करने, नई राजनीतिक पीढ़ी तैयार करने और तरह-तरह के चुनावों पर ज़ोर देते रहे और या फिर विकास के स्वप्न संसार में लोगों को भविष्य की छवियां दिखाने की कोशिश करते नज़र आए. ये दोनों ही बातें सकारात्मक हैं क्योंकि इसमें नौकरियां हैं, बेहतर जीवन स्तर है, समष्टिभाव है, बेहतर संसाधन और व्यापार है, मज़बूत लोकतंत्र है और लोगों की प्रतिभागिता का आह्वान है.

लेकिन ऐसा नहीं है कि मोदी की यह रणनीति बिल्कुल नई ही है. मोदी का यह एक टेस्टड फार्मूला है तो अबतक सफल होता आया है और कम से कम उन्हें तो यह उम्मीद है ही कि कश्मीर के मामले में भी ये सही साबित होगा.

मोदी का रामबाण फार्मूला

मोदी का यह फार्मूला पिछले कुछ वर्षों की राजनीति के वरक पलटकर समझा जा सकता है. अवधारणा सीधी है. जिस भी राज्य में अपने पैर जमाने हों, पहले वहां के राजनीतिक वर्चस्व और सबसे मज़बूत दिख रहे राजनीतिक घरानों को पहचानो. फिर उनकी जातीय और सामुदायिक सत्ता की सीमित आबादी के अलावा बाकी लोगों को अवसर, शक्ति और समानता के नारे के साथ जोड़ो. इस तरह पहले से बनी लकीरों के समानान्तर बड़ी लकीर खींचकर मोदी अभी तक जीत पर जीत साधते आए हैं.

उदाहरण से समझना चाहें तो उत्तर प्रदेश की ओर देखें. मायावती जाटवों की राजनीतिक पहचान हैं. वहीं अखिलेश यादव एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण के उत्तराधिकारी. लेकिन बाकी जातियों में इनकी पैठ सीमित रही. मोदी ने बाकी छोटी-छोटी जातियों को एकीकृत करके इन क्षेत्रीय दलों के वर्चस्व को हाशिए पर ला दिया. यहां परिवारवाद और जातिवाद या संप्रदाय विशेष के तुष्टिकरण को मोदी पहली लकीर के खिलाफ इस्तेमाल करके अपने पाले में बहुमत जुटाते आए हैं.

बिहार में यही स्थिति लालू प्रसाद की जाति आधारित राजनीति की हुई है. उनका एमवाई समीकरण भी राज्य की राजनीति की एक बड़ी लकीर था जिसे मोदी ने उनसे बड़ी लकीर खींचकर छोटा साबित कर दिया है.रणनीति व्यापार

ऐसा माना जाता रहा है कि हरियाणा की राजनीति में जाटों से अलग होकर धान की एक पौध तक रोपी नहीं जा सकती. लेकिन राज्य के विधानसभा चुनाव से लेकर दो लोकसभा चुनावों तक जिस तरीके से जाट और जाट राजनीति के जमे-जमाए परिवार हाशिए पर डाल दिए गए, वो मोदी के इस फार्मूले से ही संभव हो सका है.

केवल राजनीतिक विपक्ष ही नहीं, भाजपा से जुड़े संगठनों के साथ भी ऐसा हुआ है. शिवसेना से बेहतर उदाहरण इसके लिए क्या हो सकता है. आज शिवसेना की छटपटाहट एनसीपी या कांग्रेस के प्रति कम, भाजपा से पैदा हो रहे खतरे के प्रति ज़्यादा है.

अगला दांव कश्मीर में

और अब बारी है कश्मीर की. मोदी अपने भाषण में एक काम सबसे ज़्यादा करते नज़र आए और था किसी भी जाति, संप्रदाय या क्षेत्रीय पहचान से ऊपर उठकर बहुमत आबादी को रिझाने की कोशिश करने का. मोदी ने न तो कश्मीरी पंडितों का ज़िक्र किया और न ही हिंदू मुसलमान या बौद्ध और सिखों का. वो सबके लिए नौकरियों, व्यापार के अवसर, विश्वस्तरीय पर्यटन, सिनेमा और खानपान, वजीफे और भर्तियां लेकर आए. उन्होंने राज्य के कर्मचारियों और पुलिस को केंद्रीय कर्मचारियों के बराबर लाने का ख्वाब दिखाया.

युवाओं को भविष्य, परिवारों को बेहतर जीवन स्तर, दो परिवारों तक सीमित सत्ता की परिस्थितियों में रणनीति व्यापार सबसे लिए राजनीति में अवसर मोदी की इस ख्वाबीदा तस्वीर में शामिल थे.

मोदी भाषण में विकास के ये सारे बिंब रणनीति व्यापार गढ़ते हुए सत्ता पर दशकों से काबिज परिवारों को घेरते भी रहे. इरादा साफ है, इन राजनीतिक परिवारों की लकीर से लंबी लकीर खींचना और इन्हें जम्मू-कश्मीर की राजनीति के पन्ने पर हाशिए तक समेट देना.

लंबी लकीरें लोगों को भाती हैं. वो रणनीति व्यापार लकीरों में बेहतर तकदीर देखने लगते हैं. लेकिन कश्मीर में लकीर केवल परिवारों में जकड़ी राजनीति की ही नहीं है. लोगों के दिलों में लकीर है क्योंकि उन्हें गहरे घाव झेलने पड़े हैं. मोदी अपनी रणनीति से भले ही क्षेत्रीय राजनीति के घरानों की लकीरें छोटी कर लें, लेकिन कश्मीरियों के दिलों की लकीरें लंबी हैं और यहां सवाल उससे आगे निकल पाने का नहीं है, उसे मिटा पाने का है.

रणनीति पदानुक्रम - Strategy hierarchy

अधिकांश निगमों में प्रबंधन के कई स्तर होते हैं। सामरिक प्रबंधन इन स्तरों में से सबसे ज्यादा व्यापक है और कंपनी के सभी हिस्सों में आवेदित है। सामरिक प्रबंधन सबसे लंबे समय तक के लक्ष्य क्षितिज को शामिल करती है। सामरिक प्रबंधन कंपनी के मूल्यों, कंपनी की संस्कृति, कंपनी के लक्ष्यों, और कंपनी के धारणाओं को दिशा देता है। इस व्यापक कॉर्पोरेट रणनीति के तहत आम तौर पर व्यापार स्तर प्रतिस्पर्धी रणनीतियों और कार्यात्मक इकाई रणनीतियों होती है।

कॉर्पोरेट रणनीति विविधतापूर्ण कंपनी की अत्यधिक रणनीति को संदर्भित करती है। इससे कॉर्पोरेट रणनीति के सवालों के जवाब दिए जाते हैं- जैसे कि " कंपनी किस व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं?"

और "कैसे यह व्यवसायों पूर्णतः सहक्रिया हो सकते है और किस तरह से कंपनी के प्रतिस्पर्धी क्षमता में बढ़ोतरी कर सकते है?"

व्यापार रणनीति, एक विविध संस्था में, एक व्यापारिक फर्म या रणनीतिक व्यापार इकाई (SBU) की समेकित रणनीतियों को संदर्भित करती है। माइकल पोर्टर के मुताबिक, एक फर्म को एक व्यापार रणनीति तैयार करनी चाहिए जिसमें एक सतत प्रतिस्पर्धी लाभ और अपने चुने हुए क्षेत्रों या उद्योगों में दीर्घकालिक सफलता प्राप्त करने के लिए लागत नेतृत्व, भेदभाव या केंद्रबिंदु शामिल होना चाहिए।

कार्यात्मक रणनीतियों में मार्केटिंग रणनीतियों, नई उत्पाद विकास रणनीतियों, मानव संसाधन रणनीतियों, वित्तीय रणनीतियों,

कानूनी रणनीतियों, आपूर्ति श्रृंखला रणनीतियों, और सूचना प्रौद्योगिकी प्रबंधन रणनीतियों को शामिल किया जाता है। लघु और मध्यम अवधि की योजनाओं पर जोर दिया जाता है और जो प्रत्येक विभाग की कार्यात्मक जिम्मेदारी के स्तर / क्षेत्र तक रणनीति व्यापार सीमित है। प्रत्येक कार्यात्मक विभाग समग्र कॉर्पोरेट उद्देश्यों को पूरा करने में अपना योगदान करने का प्रयास करता है, और इसलिए कुछ हद तक उनकी रणनीतियां व्यापक कॉर्पोरेट रणनीतियों से प्राप्त की जाती हैं। कई कंपनियां महसूस करती हैं कि एक कार्यात्मक संगठनात्मक संरचना गतिविधियों को व्यवस्थित करने का एक प्रभावी तरीका नहीं है, इसलिए वे पुनर्वितरण कर रहे हैं।

प्रक्रियाओं या एसबीयू के अनुसार पुनर्वितरण एक रणनीतिक व्यापार इकाई एक अर्ध-स्वायत्त इकाई है जो आम तौर पर अपने बजट,

नए उत्पाद निर्णय, निर्णय लेने और रणनीति व्यापार मूल्य निर्धारण के लिए ज़िम्मेदार होती है। कॉर्पोरेट मुख्यालय द्वारा एक एसबीयू को आंतरिक लाभ केंद्र के रूप में माना जाता है।

परिचालन रणनीति नामक रणनीति का एक अतिरिक्त स्तर पीटर ड्रकर द्वारा उद्देश्यों (एमबीओ) द्वारा प्रबंधन के सिद्धांत में प्रोत्साहित किया गया था। यह केंद्रबिंदु सोच और विस्तार में बहुत संकीर्ण है और कार्य निर्धारण मानदंड जैसे दिन-प्रतिदिन की परिचालन गतिविधियों के साथ सौदों, इसे बजट के भीतर संचालित होना चाहिए, लेकिन उस बजट को समायोजित या बनाने की स्वतंत्रता नहीं है। व्यावसायिक स्तर की रणनीतियों को व्यावसायिक स्तर की रणनीतियों द्वारा सूचित किया जाता है, जो बदले में कॉर्पोरेट स्तर की रणनीतियों द्वारा सूचित किए जाते हैं।

सहस्राब्दी की बारी के बाद से, कुछ कंपनियां सूचना प्रौद्योगिकी में प्रगति से प्रेरित एक सरल रणनीतिक संरचना में वापस रणनीति व्यापार आ गई हैं। यह महसूस किया जाता है कि ज्ञान प्रबंधन प्रणाली का उपयोग जानकारी साझा करने और सामान्य लक्ष्यों को बनाने के लिए किया जाना चाहिए। रणनीतिक विभाजन इस प्रक्रिया में बाधा डालने वाला एक कारक है माना जाता है। रणनीति की यह धारणा, गतिशील रणनीति के रूबिक के तहत कब्जा कर लिया गया है, जिसे कारपेन्टर और सैंडर्स की पाठ्यपुस्तक द्वारा लोकप्रिय किया गया है। यह काम ब्राउन और आइज़ेनहार्ट के साथ-साथ क्रिस्टेनसेन के अनुसार, व्यापार और कॉर्पोरेट दोनों की व्यापार रणनीति तैयार करता है, जो आवश्यक रूप से चल रहे रणनीतिक परिवर्तन को, रणनीति तैयार करने और कार्यान्वयन के निर्बाध एकीकरण के रूप में समझता है। इस तरह के परिवर्तन और कार्यान्वयन आमतौर पर मंचन और गतिशीलता पहलुओं के माध्यम से रणनीति में बनाया जाता है।

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